संपादकीय

नये साल की शुभकामनाएं !

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, (उत्तराखंड)

गेहूं,चना, सरसों से भरपूर हरियल खेतों को
किसान, मजदूर और गरीब-अमीर के मेहनती बेटों को
नये साल की शुभकामनाएं !

अल सुबह और शाम पेड़ों,घास और वनस्पतियों से झूलती शबनम की बूंदों को
सर्द हवाओं के बीच गडरियों, लोहारों, हरेक जलते अलावों और चूल्हों को
नये साल की शुभकामनाएं !

माघ माह में धरती के कोने-कोने में बिखरी कोहरे की धवल चादर को
पहाड़ों के आगोश से झांकती सूरज की मंद-मंद रश्मियों और मां भारती के आंचल को
नये साल की शुभकामनाएं !

सर्द और बर्फीली हवाओं में घर से दूर विषम और दुर्गम परिस्थितियों में सीमा की रक्षा-सुरक्षा करते हमारे समस्त वीर जवानों को
परबत,पठार, मैदान, घाटियां और कल-कल बहती नदियों और कलरव करते पंछियों को
नये साल की शुभकामनाएं !

समस्त विश्व की भूमि को, घर-आंगन की हर दहलीज़ को
आसमां में टिमटिमाते चांद, तारों को और मां भारती के समस्त प्यारों को
नये साल की शुभकामनाएं !

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