गुल्लीबाबा ने बच्चों को बताया पर्यावरण के प्रति जागरुक रहने के गुण
नई दिल्ली। गुल्लीबाबा आ रहे है, गुल्लीबाबा आज आएगें, गुल्लीबाबा कभी भी आ सकते हैं, ये गुंज आज सुबह से ही सुनाई दे रही थी। आखिरकार गुल्लीबाबा प्रकट हुए, परंतु किसी माॅल, कम्युनिटी क्लब, एयरपोर्ट या किसी फाइव स्टार होटल में नहीं, बल्कि राजधानी के एक अनाथ आश्रम किलकारी रेनबो होम कश्मीरी गेट में।
गुल्लीबाबा को देख बच्चें अदम्य जोश उत्साह और उमंग से भर उठे। कोई बच्चे गिरे नहीं, वहां वे अफरा तफरी का माहौल ना हो इनसे बचने के लिए गुल्लीबाबा ने पहले ही वहां के प्रशासन को बता दिया था कि वो एक-एक बच्चे से मिलेंगे और तब तक नहीं जाएगें, जब तक कि वो सारे बच्चों से मिल ना लें। बच्चे बेसब्री लेकिन शांतिपूर्वक अपनी पारी का इंतजार कर रहे थे। गुल्लीबाबा सभी बच्चों से मिलें, उन्हें कविताएं सुनाई, लेखन सामग्री, चाॅकलेट आदि बांटे और विद्यार्थी जीवन का धर्म समझाया।
गुल्लीबाबा से बात करके बच्चें प्रफुल्ल्ति हो उठे वे आज सिर्फ गुल्लीबाबा की ही बातें कर रहे थे। गुल्लीबाबा में फोकस, फिटनेस और सभी के लिए रेस्पेक्ट है, गुल्लीबाबा के पास हरेक समस्या का समाधान है। गुल्लीबाबा को कभी गुस्सा नहीं आता, गुल्लीबाबा सभी बच्चों से मिलते हैं, जो बच्चे गुल्लीबाबा से प्यार करते हैं वो कभी झूठ नहीं बोलते, किसी तरह के व्यसन आदि से दूर रहते है, समय का महत्व समझते हैं, पर्यावरण के प्रति जागरुक रहते हैं, स्वच्छता उनकी पहचान होती है, हमेषा फिट रहते हैं।
एक बच्चा सुबकते हुए बोला गुल्लीबाबा फिर आएंगे, मुझसे प्रोमिस किया है। अनाथ आश्रम के लोग भी इस बात को लेकर भाव विभोर थे कि गुल्लीबाबा ने उनके यहां आने का निर्णय किया। अगर संक्षेप में कहें तो उन बच्चों के लिए आज का दिन गुल्लीबाबा के नाम रहा।