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नासकॉम फाउंडेशन ने जमीनी स्तर पर नई तकनीकों के इस्तेमाल की सिफारिश की

नई दिल्ली। नासकॉम फाउंडेशन ने आज  IT-BPM उद्योग केंद्रित भारत के सबसे बड़े सीएसआर कॉन्फ्रेंस – द सीएसआर लीडरशिप कॉन्फ्रेंस (CLC) 2018 का आयोजन किया। कार्यक्रम में उद्योग की शीर्ष कंपनियों के 300 से अधिक सीएक्सओ तथा सीएसआर प्रमुख, पूरे भारत से विभिन्न एनजीओ के प्रमुख, सरकारी अधिकारी, टेक 4गुड चैंपियन्स, सामाजिक अविष्कारक एक जगह इकट्ठा हुए, जहां जमीनी स्तर पर सामाजिक विकास से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया।
श्रीकांत सिन्हा, सीईओ, नासकॉम फाउंडेशन ने कहा, “आज IR 4.0 तकनीकों के साथ हम इतिहास रचने के करीब हैं। मानव केंद्रित अविष्कारों द्वारा हम नई तकनीकों के निर्माण एवं इस्तेमाल का लक्ष्य रखते हैं, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एमएल, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स आदि। ऐसा करने से दैनिक जीवन की विभिन्न समस्याएं हल की जा सकेंगी और आम लोगों की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी। इसी के साथ उन्हें अपना सामाजिक परिवेश बेहतर बनाने में मदद भी की जाएगी। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य ऐसी ही तकनीकों से जुड़े अवसरों तथा चुनौतियों पर चर्चा करना है और इन्हें वर्तमान में लागू करने की जरूरतों को पूरा करना है।”
इस मौके पर नासकॉम फाउंडेशन ने इस वर्ष के अपने विभिन्न प्रयासों द्वारा निर्माण किये गये प्रभाव के बारे में बताया। इनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव नीचे दिये गये हैं :

  • 1,20,000 से अधिक युवाओं को रोजगार योग्यता बढ़ाने वाले कौशल का प्रशिक्षण दिया गया।
  • 370 एनजीओ को रु. 16.1 करोड़ मूल्य के सॉफ्टवेयर डोनेशन द्वारा सशक्त बनाया गया।
  • 3400 से अधिक दिव्यांगों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया।
  • 30000 से अधिक लोगों को डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण दिया गया।
  •  नासकॉम सोशल इनोवेशन फोरम का 10वां संस्करण आयोजित किया गया, जिसमें रिकॉर्ड 1900 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, और विजेताओं को रु. 40 लाख के आर्थिक अनुदान एवं मार्गदर्शन सहायता प्रदान की गई।
  • सरकार एवं 200 से अधिक एनजीओ की मदद कर रहे 10,000 से अधिक सक्रिय वॉलंटियर्स के साथ संपर्क बनाया गया।
  • देश के 24 राज्यों में 220 से अधिक पब्लिक लाइब्रेरीज का स्थान परिवर्तन किया जा रहा है।
  • 10 शहरों में 123000 से अधिक लोगों को ई-कचरे के बारे में जागरूक किया गया – कॉन्फ्रेंस के दौरान ‘ई-कचरे के पर्यावरणीय खतरे पर जागरूकता कार्यक्रम’ से जुड़ी एक रिपोर्ट भी जारी की गई, जिसमें इस पहल के बारे में प्रमुखता से बताया गया और यह भी बताया गया कि मूलभूत जागरूकता के माध्यम से ई-कचरे की समस्या को किस प्रकार नियंत्रण में रखा जा सकता है।
    कॉन्फ्रेंस में उद्योग की शीर्ष हस्तियां, जैसे क्रिष गोपालाकृष्णन, सह-संस्थापक, इंफोसिस एवं चेयरमेन, एक्सिलर वेंचर्स, और रमन रॉय, चेयरमेन नासकॉम, डॉ. गणेश नटराजन, चेयरमेन 5एफ वर्ल्ड, अरविंद गुप्ता, सीईओ, माइगव तथा पवन दुग्गल, प्रेसिडेंट, साइबरलॉज.नेट आदि ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि तकनीक द्वारा किस प्रकार से स्थाई एवं विस्तार योग्य प्रभाव निर्माण किये जा सकते हैं।
    कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रमुख वक्ताओं ने भारत के लिए ‘स्थाई विकास लक्ष्यों’ को हासिल करने के लिए डिजिटल परिवेश को अपनाने की महत्वपूर्ण जरूरत पर अपने विस्तृत दृष्टिकोण जाहिर किये। इन वक्ताओं में अटल इनोवेशन मिशन के रामानन रामानाथन ने सरकार का दृष्टिकोण बतायाय मोतूशी सेनगुप्ता, इंडिया हेड, मैकअर्थर फाउंडेशन ने नागरिक समुदाय के अनुभव साझा कियेय लियोनार्डो ऑर्टिज विलाकोर्टा, डायरेक्टर, ग्लोबल फील्ड एम्पावरमेंट, माइक्रोसॉफ्ट फिलेंथ्रॉपिज ने एक वैश्विक नजरिया पेश किया, हर्ष विनायक, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, एनटीटी डेटा ने उद्योग जानकारी पेश की और अनुराग बत्रा, चेयरमेन एवं एडिटर-इन-चीफ बिजनेस वर्ल्ड ने विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी साझा की।
    सीएलसी में आगे बढ़ते हुए विभिन्न पैनल चर्चाओं का संचालन किया गया। इनमें चेंज अलायंस द्वारा लिंग समानता जैसी सामाजिक विकास चुनौतियों पर प्रभाव बनाने के लिए किस तरह तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है, इस विषय पर चर्चा का संचालन किया गया। वहीं, पर्यावरण, स्वास्थ्य सेवाओं, सामाजिक विकास में तकनीक के लाभ पर भी अन्य पैनल चर्चाएं हुई। विभिन्न प्रभावों की जानकारी देने हेतु आयोजित चर्चाओं में पूर्व में सफल हो चुके सामाजिक तकनीकी प्रयासों के उदाहरण भी प्रस्तुत किये गये।
    जहां एक तरफ इस कॉन्फ्रेंस में बच्चों को टिंकरिंग लैब्स तथा मेकरस्पेसेस जैसी तकनीकें इस्तेमाल करने हेतु बढ़ावा देने के नए तरीकों पर बात की गई, वहीं दूसरी तरफ इंटरनेट पर बच्चों की सुरक्षा के गंभीर विषय पर यूनिसेफ के नेतृत्व में चर्चा की गई।
    सीएसआर लीडरशिप कॉन्फ्रेंस सिर्फ सामाजिक प्रगति के लिए नई तकनीकों के इस्तेमाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि यहां एक कदम आगे बढ़ते हुए सीएसआर प्रमुखों को निगरानी, रिपोर्टिंग, प्रभाव आंकलन तथा प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं हल करने में मदद करने के लिए गुडएरा द्वारा एक मास्टर क्लास का संचालन भी किया गया। कॉन्फ्रेंस में बीबीसी मीडिया एक्शन (इंडिया) लिमिटेड द्वारा संचालित एक अन्य मास्टरक्लास में इन प्रतिनिधियों डिजाइन थिंकिंग कॉन्सेप्ट्स के इस्तेमाल द्वारा बेहतर, अधिक कुशल एवं आधुनिक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट रणनीतियां बनाने में सहायता की गई।
    देश के एनजीओ अपने अच्छे कार्यों को दिखाने तथा डोनेशन तथा अन्य प्रकार के स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं को आमंत्रित करने हेतु, नए माध्यम तैयार करने के लिए अक्सर सामान्य वेब तथा मोबाइल प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल में मुश्किलों से जूझते पाए जाते हैं। सोशल समोसा ने इन एनजीओ की मदद के लिए अपनी डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञता दिखाते हुए अपने टूल के बारे में बताया। इस टूल के जरिये एनजीओ अपनी कहानियां बता सकते हैं और बाहरी विश्व के साथ संवाद बनाने हेतु इसे अपना प्रमुख माध्यम बना सकते हैं।
    सीएसआर लीडरशिप कॉन्फ्रेंस में तकनीक आधारित सामाजिक अविष्कारों का प्रदर्शन भी किया गया। इनमें हकदर्शक, स्ट्रैटाइन्वायरो प्रा. लि., दानोमोजो, बेयरफुट कॉलेज तथा ईको फाइनेंशियल जैसे अविष्कार प्रदर्शित किये गये और सीएसआर प्रमुखों को प्रमुख एनजीओ के साथ एक साझा मंच प्रदान किया गया। यह एनजीओ सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम करते हैं, जैसे कौशल विकास – सेंटम फाउंडेशन, शिक्षा एवं आजीविका – निर्माण ऑर्गनाइजेशन, विशेष सक्षम लोग – वी शेष और सड़क सुरक्षा -WRI – हरियाणा विजन जीरो।
    नासकॉम फाउंडेशन सामाजिक भलाई के लिए तकनीक के इस्तेमाल को संभव बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, 2020 तक कम से कम 10 मिलियन लोगों के जीवन में प्रभाव डालने की योजना रखता है।

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