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अगले 5 वर्षों के दौरान गोदरेज एंड बॉयस नेमैनग्रोव संरक्षण में निवेश को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई है

मुंबई। प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को मनाए जाने वाले मैनग्रोव ईकोसिस्टम के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस अवसर पर, गोदरेज ग्रुप की प्रमुख कंपनी गोदरेज एंड बॉयस ने मैनग्रोव के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है। कंपनी विक्रोली मैनग्रोव का संरक्षण कर रही है, जो देश के सबसे बड़े निजी स्वामित्व वाले मैनग्रोव वन हैं। ये मैनग्रोव भारत के प्रथम आईएसओ 14001 प्रमाणित वन हैं। मुद्दों पर अधिक ध्यान देने के लिए, गोदरेज एंड बॉयस ने कंपनी में एक डेडिकेटेड वेटलैंड्स मैनेजमेंट सर्विसेज (WMS) का गठन किया है, जिसने समुदायों, विशेष रूप से तटीय राज्यों में रहने वाले लोगों के सहयोग से देश भर में कई संरक्षण और नवीकरण संबंधी नए कदम उठाए हैं।
गोदरेज एंड बॉयस ने जो स्ट्रेटजी अपनाई है वो मैनग्रोव ईकोसिस्टम के संरक्षण के लिए अनुसंधान, जागरूकता और सहयोग पर आधारित है। कंपनी ने संयुक्त रूप से भारत के 9 तटीय राज्यों में मैनग्रोव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के साथ, मैजिकल मैंग्रोव्स नामक एक मुहिम चलाई है। मुहिम ने मुहिम वालंटीयर के रूप में 150 से अधिक युवकों को प्रशिक्षित किया है। इन वालंटीयर, या मैनग्रोव एंबेसडर, उन्हें इस नाम से भी पुकारा जाता है, ने वर्चुअल सेशन में 18,000 से अधिक भारतीयों को जागरूक किया है।
गोदरेज एंड बॉयस की तेजश्री जोशी, हेड, इन्वयारमेंटल सस्टेनिबिलिटी, ने मैनग्रेाव संरक्षण के सामूहिक प्रयासों पर कहा, “तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए क्लाइमेट चेंज और एक्सट्रीम वैदर गंभीर चिंता का विषय है। भारत के कुछ प्रमुख महानगर तटों पर स्थित हैं और हमने इन नगरों को विनाशकारी घटनाओं से जूझते हुए देखा है। समुद्र तट के रक्षक और ब्लू कार्बन सिस्टम के रूप में मैनग्रोव का महत्व पहले से विदित है। वर्तमान क्लाइमेट संकट एक ऐसा ईकोसिस्टम बनाने पर बल देता है जो मैनग्रोव को संरक्षित करने के सामान्य लक्ष्य के साथ विभिन्न हितधारकों के प्रभाव का लाभ उठाने में समर्थ बन सकें। इसलिए यह जरूरी है कि हम न केवल मैनग्रोव के बारे में अधिक जानें, बल्कि उनके संरक्षण में कंपनियों और नागरिकों की भागीदारी को भी बढ़ाया जाए।’’
मैनग्रोव के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले के रूप में अनुसंधान के योगदान को मानते हुए, कंपनी ने विक्रोली मैनग्रोव की विविध वनस्पतियों और जीवजंतुओं को प्रलेखित और निगरानी के लिए कई अध्ययन शुरू किए हैं। वर्तमान अनुसंधान के प्रमुख भाग के रूप में विक्रोली मैनग्रोव में 82 मकड़ी प्रजातियों का प्रलेखन किया गया था, जिनमें से अब तक 37 की पहचान की जा चुकी है। मकड़ी प्रजातियों, उनके प्राकृतिक वास की विविधता और शिकार संबंधी जानकारी, मैनग्रोव के स्वास्थ्य पर प्रकाश डालती है और यह मैनग्रोव मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण घटक है। मकड़ी की प्रजातियों के अलावा विक्रोली मैनग्रोव 16 ट्रू मैनग्रोव और मैनग्रोव एसोसिएट प्रजातियों का भी घर है। वर्षों के अनुसंधान से 209 पक्षी, 82 तितली, 75 कीट, 32 सरीसृप और 6 स्तनपायी प्रजातियों को भी रिकार्ड किया गया है। इसके अतिरिक्त विक्रोली में ठाणे क्रीक के साथ मैनग्रोव की जियो-टैगिंग करते हुए एक अध्ययन ने वनस्पति-जीवजंतु इंटरैक्शन को कैप्चर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पाया गया कि मेसवाक, एक मैनग्रोव एसोसिएट पौधा, मैनग्रोव हैबिटेट में जीवजंतु विविधता का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वेटलैंड मैनेजमेंट सर्विसेज टीम ने कई हितधारकों के साथ काम किया है और पिछले छह वर्षों में ऑन-साइट और ऑफ-साइट कार्यक्रमों के जरिये तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 70,000 लोगों से संपर्क किया है। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं में संपर्क के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने के लिए एक डेडिकेटेड मैनग्रोव मोबाइल ऐप, ऑनलाइन वेबिनार, कहानी की पुस्तकों, पोस्टर प्रदर्शनियों और मराठी में मैंग्रोव क्विज का उपयोग किया है।
गोदरेज एंड बॉयस ने सीआईआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के साथ मिलकर इंडिया मैनग्रोव्स कोएलिशन लॉन्च किया। यह कोएलिशन सीआईआई के इंडिया बिजनेस एंड बायोडायवर्सिटी इनिशिएटिव (आईबीबीआई) के तहत अपनी तरह का पहला इंडस्ट्री-लेड प्लेटफार्म है, जो ब्लू कार्बन इकोसिस्टम के रूप में इसके महत्व के आधार पर एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण के माध्यम से भारत के विशाल समुद्र तट पर अधिक से अधिक मैनग्रोव संरक्षण और वृक्षारोपण का समर्थन और प्रचार करेगा। हाल ही में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंडिया मैंग्रोव कोएलिशन को इस सुझाव के साथ अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया कि इंडिया मैंग्रोव कोएलिशन का फोकस भारत की आद्रभूमि के बड़े परिप्रेक्ष्य में मैनग्रोव ईकोसिस्टम को बढ़ावा देगा।
गोदरेज एंड बॉयस क्लाइमेट चेंज पर अंकुश लगाने के कार्यों में हमेशा सबसे आगे रहा है। कंपनी का उद्देश्य भारत की समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए नागरिकों और उद्योग को एक साथ लाना है।

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