संपादकीय

कोरोना का संकट

-सिद्धार्थ शंकर
कोरोना संक्रमण से उपजे संकट पर काबू पाने के लिए जब समूचे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था, तब उम्मीद यही थी कि इसके फैलने पर लगाम लगाई जा सकेगी। लेकिन अब चार महीने के बाद ऐसा लगता है कि लॉकडाउन लागू होने के बावजूद कोरोना के संक्रमण को रोक पाने में पर्याप्त कामयाबी नहीं मिल पाई है। बल्कि शुरुआती दौर में इसके फैलने के रफ्तार पर जितनी चिंता जताई जा रही थी, आज उसके मुकाबले उसमें कई गुना ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है।
सवाल है कि आखिर बचाव के तमाम और सबसे सख्त कवायदों के बावजूद कोरोना वायरस के संक्रमण के तेजी से फैलने पर काबू पाना मुश्किल क्यों बना हुआ है। इसके फैलने की जो वजहें हैं और अब तक उससे बचाव के जो उपाय बताए गए हैं, क्या उसमें कोई कोताही बरती जा रही है, जिसकी वजह से स्थिति बेलगाम होती जा रही है? इस वायरस के संक्रमण का जो स्वरूप रहा है, उसके मुताबिक इससे बचने के लिए बेवजह घर से नहीं निकलने, लोगों का आपस में कुछ दूरी बरतने, मुंह और नाक को ढकने के लिए मास्क लगाने और हाथ ठीक से धोने जैसे साधारण उपाय बताए गए थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि जब शुरुआत में पूर्णबंदी लागू की गई थी तब लगभग समूचे देश में इसके सावधानी से पालन को लेकर सतर्कता और जागरूकता देखी गई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्णबंदी के लंबा खिंचते जाने के साथ-साथ लोगों के बीच जरूरी सावधानियों को लेकर कुछ लापरवाही आई। खासतौर पर जब से पूर्णबंदी में थोड़ी राहत दी गई, तब से लोगों ने ज्यादा कोताही बरतनी शुरू कर दी। कुछ राज्यों में बचाव के नियमों का पालन कराने और इलाज की समुचित व्यवस्था को लेकर प्रशासन भी चैकस नहीं रहा। तो क्या यही वजह है कि अब संक्रमण की रफ्तार में तेजी आ गई?
हो सकता है कि पूर्णबंदी के लंबा खिंचने के दौर में बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा हो, इसलिए सरकार ने सावधानी बरतने की चेतावनी के साथ लॉकडाउन में ढील दी। लेकिन इस राहत के बाद लोगों में मनमानी और लापरवाही देखी गई। यह एक बड़े और व्यापक खतरे की अनदेखी है, जो अगर इसी तरह की जाती रही तो आने वाला समय भयावह साबित हो सकता है! इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं जिसमें रोजाना के संक्रमण और मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बल्कि कई हलकों से सामुदायिक संक्रमण की स्थिति की भी आशंका उभरने लगी है। हालांकि बढ़ते संक्रमण के बीच यह भी तथ्य है कि संक्रमित मरीजों के ठीक होने की रफ्तार बढ़ी है। ये अच्छे संकेत हैं। लेकिन अगर इससे बचाव के इंतजामों में लापरवाही बरती गई तो स्थिति फिर बिगड़ सकती है। इसलिए न केवल सरकार को इस मसले पर गंभीरता बनाए रखने की जरूरत है, बल्कि आम लोगों को भी इससे संबंधित नियमों के पालन को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

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