संपादकीय

डॉ. अनिता वर्मा को साहित्य के राष्ट्रीय पटल पर लघु कथा से मिली पहचान

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवं पत्रकार

साहित्य जगत के राष्ट्रीय पटल पर राजस्थान में कोटा शहर की विख्यात साहित्यकार लेखिका डॉ.अनिता वर्मा उगते हुए सूर्य के समान है जिन्होंने लघु कथाओं के आलोक से साहित्य संसार को रोशन कर अपनी अलग और विशिष्ठ पहचान स्थापित की है। लघु कथा के साथ – साथ ये काव्य सृजन, गंभीर विषयों पर लेखन, समीक्षा, किताबों की भूमिका लेखन , शोध वृति और राजस्थानी भाषा में खासतौर पर हाइकु कविता लेखन विधाओं में प्रवीण हैं।
लघु कथाएं मनोरंजन के साथ -साथ संदेश परक हैं। आपके लेखन में संवेदना,काव्य, बचपन,वृद्धजन,दलित नारी विमर्श और अंतर्द्वंद, लोक संस्कृति आदि के परिवेश पर आपका चिंतन शिद्दत से मुखरित कर पाठक को चिंतन और दिशा प्रदान करता है।

** इनसे मेरी पहली मुलाकात राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में हुई जब मेरी पुस्तक” हमारा भारत हमारी शान” के विमोचन में आप विमोचन अथिति ने रूप में शामिल थी। आपके विचार भी सुनने को मिले। आप से प्रश्न किया कि आपने लघु कथा लेखन विधा को ही क्यों अपनाया तो कहने लगी सृजन में परिवेश अत्यंत महत्वपूर्ण होता है जो व्यक्तित्व को आकार प्रदान कर परिमार्जित करता है।

** आप बताती हैं घर में प्रारम्भ से ही सकारात्मक वातावरण मिला। बाल्यकाल से ही विद्यार्जन का जुनून व समर्पण भाव रहा है। सदैव कुछ जानने सीखने की ललक बनी रही । बचपन में घर पर बाल पत्रिकाएँ आती थी । इनकी कहानियां बहुत चाव से पढ़ती थी जो मुझे आकर्षित करती थी। मेरे परिचित के यहॉं सरिता, नवनीत, धर्मयुग और अन्य बहुत सी पत्रिकाएं आती थी। जब कुछ बड़ी हुई तो इनको पढ़ने लगी। मुझे समझ आये न आये जब तक मैं उन पत्रिकाओं को पूरा पढ़ नहीं लेती थी चैन नहीं आता था। खास कर चंपक में पशु पक्षियों के सुन्दर चित्र कथाएँ मुझे बहुत अच्छी लगती थी।

** वह बताती हैं कि बाल्यकाल के उसी समय में बाल कथाएं पढ़ते-पढ़ते बाल कथाएं लिखने का बीजांकुर हुआ और इन्होंने भी पशुपक्षियों पर आधारित छोटी – छोटी बाल कथाएँ लिखना प्रारम्भ कर दिया। स्कूल में पत्रिका निकलती थी उसमें पहली बार छपना प्रारम्भ हुआ। यहीं से विधिवत लेखन के लिए जमीन तैयार होने लगी थी। प्रथम बार परिपक्व रचनाएँ राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की पत्रिका मधुमती में तीन लघुकथाएँ प्रेरणा, छोटा कमरा और सौदा प्रकाशित होने से उत्साहवर्धन हुआ और इनमें जोश भर दिया। उसके बाद आज तक पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इन्होंने लघु कथा विधा को लेखन का मूल आधार बना लिया और आज तक निर्बाध लेखन और प्रकाशन की यात्रा जारी है।

** साहित्य सृजन : प्रो.अनिता की प्रकाशित कृतियों में कुछ समय पहले 2023 में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के पाण्डुलिपि प्रकाशन सहयोग योजना से द्वितीय लघुकथा संग्रह “झाँकती खिड़कियाँ” का प्रकाशन हुआ है। इस कृति पर कथाकार और समीक्षक विजय जोशी का अभिमत है ” यह कृति सामाजिक और मानवीय सम्बन्धों के बनते- बिगड़ते ताने-बाने का वास्तविक दृश्य दिखाती है। पारिवारिक और सामाजिक विसंगतियों एवं विडम्बनाओं का वास्तविक चित्रण हुआ है। यही नहीं संघर्ष की स्थितियाँ और उनसे उपजी मानसिकता का सटीक विवेचन और विश्लेषण सामने आया है। ये लघुकथाएँ इस बात की भी द्योतक हैं कि ये अपने समय और समाज के विविध आयामी पक्षों को सामने लाकर परस्पर संवाद करने हेतु पहल करती हैं।”

** आपकी पहली पुस्तक भी राजस्थान साहित्य अकादमी विशिष्ट साहित्यकार लेखन योजना में 2011 में मोनोग्राफ सामने आई। इसके उपरांत तीसरी कृति 2012 में “दर्पण झूठ न बोले ” प्रथम लघु कथा संग्रह प्रकाशित हुई। शचीन्द्र उपाध्याय के साहित्य में संवेदना और शिल्प पर आपकी पुस्तक 2018 में आई। आपका एक काव्य संग्रह भी 2022 में “बोलती ऑंखें” के नाम से प्रकाशित हुआ। आपके दोनों लघु कथा संग्रह में 80 – 80 लधु कथाएं शामिल हैं। इनके अतिरिक्त आपने “कथा कलशों के शिल्पकार विजय जोशी -2008″ एवं ” समाजदृष्टा साहित्यकार रत्नकुमार सांभरिया भाग -2″ नामक दो पुस्तकों का संपादन भी किया। आपका एक कहानी संग्रह प्रकाशन प्रक्रिया में है।

** साहित्यिक यात्रा के पड़ाव पर पुस्तक लेखन के साथ-साथ अनेक शोध पत्र और विभिन्न विषयों पर लिखे गए आलेख भी आपके द्वारा रचित साहित्य का सुदृढ़ पक्ष है। संवेदना और सृजन धर्मिता वर्तमान बचपन और सूर, इक्कीसवीं सदी की कविता आश्वस्त स्वर, हिन्दी उपन्यास संवेदना के बदलते संदर्भ :एक दृष्टि, बाल पहेलियां अनवरत , हिन्दी के युगीन उपन्यास: युग चेतना,कुँवर नारायण के काव्य की संवेदना, राजस्थानी लोकगीत परम्परा और महत्त्व , बाल साहित्य की आवश्यकता उपयोगिता और विशिष्टता , हिन्दी की समकालीन कविता हमारी विरासत ,रत्नकुमार सांभरिया की कहानियों का शिल्प सौष्ठव, संस्कृति के व्यापक सन्दर्भ, परम्परा आधुनिकता और अज्ञेय , दलित विमर्श और हिन्दी लधुकथाएं :एक दृष्टि, श्रृंखला की कड़ियाँ: स्त्री विमर्श के विविध आयाम, स्त्री के अंतर्द्वंद्व को उजागर करती कृति :एक थी माधवी, साहित्य समाज और वृद्धजन की समस्याएं, लोक संस्कृति का दस्तावेज ढाई कड़ी की बिछात, दलित कहानियों में चित्रित परिवेश, हिन्दी कविताओं में पर्यावरण, भावों की भाषा और भाव संप्रेषण कला आपके साहित्यिक चिंतन और प्रखर लेखन की सशक्त रचनाएं हैं, जिनका प्रकाशन देश के कई राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों और हंस, वनमाली कथा ,कथादेश एवं सादर इण्डिया आदि पत्रिकों और साझा संकलनों में में हो कर इनके विचारों की अंतर्दृष्टि आम पाठक तक तक गई है। साहित्य सृजन यात्रा पर ऑनलाइन संवाद आकाशवाणी में जीवन के रंग चम्बल चैनल के संग और मरू मंच से होने के साथ – साथ अनेक वार्ताएं भी प्रसारित हुई हैं।

** लधुकथाओं को आपने अपनी विशिष्ठ लेखन विधा का आधार बनाया है। इन कथाओं के लेखन शिल्प, सौंदर्य बोध, विषय वस्तु और अंतरदृष्टि ने आपकी लघुकथा लेखिका के रूप में साहित्य के फलक पर विशिष्ठ पहचान कायम की है, जो किसी भी लघु कथा लेखिका के लिए गर्व का विषय है। इस विधा में सिद्धहस्त लेखिका की अनेक लघुकथाएं राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं और साझा संकलनों में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं।

** बौद्धिक और चिंतनशील साहित्यकार होने से अनेक साहित्यकार अपनी पुस्तकों की भूमिका और समीक्षा इनसे लिखवाने में गौरव महसूस करते हैं । आपने अब तक कर दो दर्जन पुस्तकों की भूमिकाएं लिखने के साथ – साथ एक दर्जन पुस्तकों की समीक्षा भी लिखी हैं।

** राजस्थानी में हाइकु : आप जापानी लघु कविता हाइकु को राजस्थानी भाषा में लिखने में भी दक्ष है। लघु कथा और लघु कविता क्या मणिकांचन संयोग है। आपके लिखे हाइकु राजस्थळी में प्रकाशित हुए हैं। आपके लिखित हाइकु कविता की बानगी देखिए… जिन्हें तीन-तीन की पंक्तियों के रूप में देखें………..
नेह रो रंग अंतस हळचळ मन बैचेण मन री पीड़
*उथळ पुथळ छै
कुण समझै
फूल खिल र्या *
*मौसम बदल ग्यो
मनड़ो राजी
पून्यूं रो चाँद
मनमोवणी छब *
ओळ्यूं आवै ओस रा मोती आँगणिया बिखर्या किरणा बिणै

** सम्मान : लेखन के लिए आपको साहित्य रत्न, हिंदी सेवी,साहित्य सौरभ,काव्य शिरोमणि और विशिष्ट साहित्यकार अलंकरणों से सम्मानित किया गया है। आपको 2018 में भारतेंदु समिति द्वारा साहित्य श्री सम्मान, आर्यावृत साहित्य रत्न सम्मान, 2022 में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय कोटा द्वारा संभाग स्तरीय हिन्दी दिवस सम्मलेन में “हिन्दी सेवी सम्मान”, चम्बल श्री सम्मान और साहित्य मंडल नाथद्वारा द्वारा “साहित्य सौरभ सम्मान”, “समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान” और 2022-23 में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा 19 मई 2023 को भगतसिंह मेहता सभागार नेहरू भवन राजस्थान राज्य लोक सेवा प्रशासन संस्थान जयपुर में 51हजार रुपए का “विशिष्ट साहित्यकार सम्मान” जैसे प्रमुख सम्मान से नवाजा गया है। साथ ही विभिन्न संस्थाओं द्वारा समय – समय पर प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। रमा मेहता ट्रस्ट द्वारा 2021 में आयोजित तीन दिवसीय कहानी कार्यशाला में प्रतिष्ठित लेखिकाओं से संवाद और इनकी कहानी को श्रेष्ठ कहानी के रूप में छठा स्थान प्राप्त हुआ।

** परिचय : बहुमुखी प्रतिभा की धनी लेखिका डॉ.अनिता वर्मा का जन्म कोटा में माता श्रीमती धन कंवर एवं पिता दुलीचन्द वर्मा के आंगन में हुआ। आपका बचपन कोटा में ही व्यतीत हुआ और समस्त शिक्षा भी यहीं हुई।
आपने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर कोटा विश्वविद्यालय कोटा से 23 मार्च 2012 को ”शचीन्द्र उपाध्याय के कथा साहित्य में बाल संवेदना और शिल्प” विषय पर पी. एचडी. की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में आप राजकीय आर्ट्स महाविद्यालय,कोटा में हिंदी विषय की प्रोफेसर हैं। आप शोध पर्यवेक्षक के रूप में भी पंजीकृत हैं तथा आपके पर्यवेक्षण में 2 विद्यार्थियों ने शोध उपाधि प्राप्त करली है और 6 विद्यार्थी शोध कार्य कर रहे हैं। आपके पर्यवेक्षण में पी.एचडी. उपाधि प्राप्त करने वाली स्टूडेंट डॉ.कृष्णा कुमारी कहती हैं की स्टूडेंट्स के साथ इनका व्यवहार अत्यंत आत्मीय रहता है और पूरी निष्ठा से स्टूडेंट के साथ – साथ स्वयं भी परिश्रम कर शोध कार्य पूर्ण कराती हैं।
आपने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में पत्र वाचन कर सहभागिता की है तथा लघु कथाकार के रूप में साक्षात्कार लिए हैं। समय-समय पर आपको साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता ,विशिष्ट अतिथि और व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया जाता है। आप महाविद्यालय की साहित्यिक गतिविधियों का संयोजन व संचालन का दायित्व भी निर्वहन बखूबी करती हैं।

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