संपादकीय

फ्रांस को नस्लीय भेदभाव खत्म करने की आवश्यकता!

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार

इन दिनों फ्रांस नफरत की आग में जल रहा है। वहां हिंसा पर हिंसा हो रही है। हमें यहां यह जानने समझने की जरूरत है कि आखिर फ्रांस के नफरत की आग में जलाने के पीछे आखिर कारण क्या हैं ? तो इस संबंध में जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास 17 वर्षीय एक युवक नाहेल को ट्रैफिक पुलिस की ओर से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर गोली मार दी गई और इसके बाद वहां हिंसा भड़क उठी। मीडिया के हवाले से जानकारी मिली है कि पुलिस ने जिस 17 वर्षीय नाहेल को गोली मारी, वो अपनी मां की इकलौती संतान था। | वो डिलीवरी ब्वॉय का काम करता था और रग्बी का लीग प्लेयर था। वास्तव में, यह बहुत ही संवेदनशील और गंभीर है कि फ्रांस में घटना के बाद जगह-जगह आगजनी हो रही है। लोगों में इतना गुस्सा है कि उन्होंने शहर की अनेक इमारतों, यहां तक कि दुकानों और वाहनों तक को आग के हवाले कर दिया है। बहुत नुक्सान हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक 1350 गाड़ियों और 234 इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया। सार्वजनिक जगहों पर आग लगाने की 2,560 घटनाएं हुई हैं।फ्रांस में अनेक स्थानों पर आज पथराव हो रहा है। स्थिति बहुत ही गंभीर बनी हुई है। जानकारी देना चाहूंगा कि ट्रैफिक जांच के दौरान नाहेल की हत्या का एक वीडियो भी सामने आया है। इस विडियो में यह देखा गया कि ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने पर पुलिस वाला 17 साल के नाबालिग नाहेल को गोली मार देता है, जिसके बाद नाहेल की मौत हो जाती है। इसके बाद भड़के दंगों में पुलिस ने अब तक हजारों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। हालांकि दोषी पुलिस अफसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन हिंसा है कि थमने का नाम नहीं ले रही है। बताया जा रहा है कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों का सिलसिला लगातार जारी है। इन दंगों में पुलिस के 70 से अधिक लोग घायल हुए हैं।जानकारी मिलती है कि फ्रांस में हिंसा की चौथी रात स्थिति पर काबू करने के लिए सरकार ने करीब 45 हजार पुलिस अफसरों को तैनात किया गया है।
वास्तव में,फ्रांस के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि बीते पांच दिनों में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों दो बार इस घटनाक्रम को लेकर आपातकालीन बैठक बुला चुके हैं। स्थिति को संवेदनशील देखते हुए कई शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है।इस बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जर्मनी का अपना दौरा तक टाल दिया। जानकारी देना चाहूंगा कि तेईस साल में पहली बार फ्रांस के राष्ट्रपति जर्मनी का आधिकारिक दौरा करने वाले थे और वर्तमान में जर्मनी के दौरे के लिए अगली तारीख का अब तक एलान नहीं किया गया है।फ्रांस के गृह मंत्री ने यहां तक कहा है कि वह आपातकाल की आशंकाओं को भी खारिज नहीं कर रहे हैं। कई शहर आगजनी की घटनाओं के बाद धू-धू कर जल रहे हैं। हालांकि सरकार सुरक्षा बलों की अधिक तैनाती कर रही है। दरअसल, फ्रांस में आज भी नस्लवाद की समस्या है।फ्रांसीसी समाज में कई लोग नस्लवाद को एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे के रूप में मानते हैं। फ्रांस में यहूदी-विरोधी, साथ ही ईसाई धर्म और इस्लाम से जुड़ी नस्लों के प्रति पूर्वाग्रह का एक लंबा इतिहास रहा है और कुछ लोग इस घटना को नस्लवाद के चश्मे से देख रहे हैं, जो कि ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। किशोर की मौत के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी यह बात कही है कि फ्रांस को अपनी पुलिस में नस्लीय भेदभाव के गहरे मुद्दों का समाधान करना चाहिए।उल्लेखनीय है कि अल्जीरियाई मूल के 17 वर्षीय किशोर की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद पूरे देश में भड़की हिंसा की आग थमी नहीं है। सच तो यह है कि इस हिंसा ने पूरे फ्रांस को हिलाकर रख दिया है। इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। वास्तव में, हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है, इसलिए जल्द से जल्द हिंसा पर लगाम लगनी चाहिए।समस्या का समाधान जोर जबरदस्ती या पुलिसिया कार्रवाई से भी नहीं हो सकता है। इसलिए सरकार को सौहार्दपूर्ण तरीके अपनाकर फ्रांस में हो रही हिंसा पर लगाम लगाने की जरुरत है। यह अत्यंत गंभीर है कि 17 वर्षीय इस अल्जीरियाई मूल के इस किशोर की मौत के बाद लोग, पुलिसिंग और फ्रांस के उपनगरों की पुलिस में नस्लीय प्रोफाइलिंग का सवाल उठा रहे हैं। हिंसा की आग बेल्जियम तक पहुंच गई है,ऐसे में जरूरत इस बात की है कि शांति और संयम से आपसी बातचीत कर मसले को सुलझाने की दशा में त्वरित व उचित कदम उठाए जाएं।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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