संपादकीय

वैश्विक भाषा बने हिन्दी

-रमेश सर्राफ धमोरा
राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार (झुंझुनू, राजस्थान)

विश्व हिंदी दिवस सिर्फ एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि भारत की विविधता में एकता का भी उत्सव है। 10 जनवरी इसी भावना को समर्पित दिन है जिसे भारतवासी विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन हमें देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं।
विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई। विश्व में पहला हिंदी दिवस 10 जनवरी 1974 को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित किया गया था। इस महासम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। तब से ही इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्दी का एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में संवर्द्धन करने और विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन को संस्थागत व्यवस्था प्रदान करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना का निर्णय लिया गया था। विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीसस के मोका गांव में 11फरवरी 2008 से कार्यरत है।
विश्व हिन्दी दिवस को मनाने की शुरुआत पहली बार साल 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर की गई थी। इस दिन को मनाने के पीछे का कारण हिंदी के महत्व को बढ़ाना था। विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था।
इस साल 2023 में विश्व हिंदी दिवस की थीम है हिंदी को जनमत की भाषा बनाना बगैर उनकी मातृभाषा की महत्व को भूले। विश्व हिंदी दिवस 2023 सम्मेलन का मुख्य विषय हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक है। सम्मेलन फिजी में डेनाराऊ द्वीप कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जाएगा। हिंदी नाम खुद ही दूसरी भाषा से लिया गया है। यह नाम फारसी शब्द हिंद् से लिए गया है। जिसका अर्थ सिंधु नदी की भूमि से जुड़ा हुआ है। 11वीं शताब्दी के आसपास फारसी बोलने वाले लोगों ने सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को हिंदी नाम दिया था।
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि हैं। जिसमें 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण हैं। हिंदी दुनिया में चैथी सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली है। जिसका उपयोग 120 से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है। हिंदी एक महत्वूपर्ण भाषा है। विश्व पटल पर यह सिद्ध हो चुका है कि हिंदी भाषा अपनी लिपि और उच्चारण के अनुसार सबसे शुद्ध और वैज्ञानिक भाषा है।
हर साल विश्व हिंदी दिवस देश को एक साथ लाता है और हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है। यह एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि हम जहां भी जाएं हमें अपनी भाषा, संस्कृति और मूल्यों को अपने साथ रखना चाहिए। हिंदी दिवस हमारे अंदर देशभक्ति की भावना जगाता है। आजकल लोग हिंदी के बजाय अंग्रेजी सीखना पसंद करते हैं क्योंकि यह व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। लेकिन हिंदी दिवस अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लगातार याद दिलाता है कि हिंदी हमारी आधिकारिक भाषा है।
हिंदी संस्कृत भाषा का वंशज है जो एक प्राचीन भारतीय भाषा है। यह अरबी, फारसी, तुर्की, पुर्तगाली और अंग्रेजी जैसी भाषाओं से प्रभावित है और यह उस भाषा परिवार का हिस्सा है जिसे इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार के रूप में जाना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
हिंदी भाषा एक दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए बहुत आसान और सरल माध्यम प्रदान करती है। हिन्दी विविध भारत को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन यह कैसी विडम्बना है कि जिस भाषा को कश्मीर से कन्याकुमारी तक सारे भारत में समझा जाता हो। उस भाषा के प्रति आज भी इतनी उपेक्षा व अवज्ञा क्यों ? प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिन्दी भाषा को आसानी से बोल समझ लेता है। इसलिए इसे आमजन की भाषा अर्थात जनभाषा कहा गया है।
देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के एक साथ विकास के कारण हिन्दी ने कहीं ना कहीं अपना महत्ता खो दी है। आज हिन्दी भाषा में अंग्रेजी शब्दों का प्रचलन तेजी से बढ़ने लगा है। बहुत से बड़े समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी मिश्रित हिन्दी का उपयोग किया जाने लगा है। जो हिन्दी भाषा के लिये शुभ संकेत नहीं हैं। रही सही कसर सोशल मीडिया ने पूरी कर दी है। जहां सॉफ्टवेयर की मदद से रूपांतर कर अंग्रेजी से हिन्दी भाषा बनायी जाती है। जिसमें ना मात्रा का ख्याल रहता है और ना ही शुद्ध वर्तनी का। वर्तमान समय में हिन्दी भाषा के समाचार पत्र व पत्रिकायें धड़ाधड़ बंद हो रहें हैं।
आदिकाल से अब तक हिन्दी के आचार्यों, सन्तों, कवियों, विद्वानों, लेखकों एवं हिन्दी-प्रेमियों ने अपने ग्रन्थों, रचनाओं से हिन्दी को समृध्द किया है। परन्तु हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपने विचारों, भावों एवं मतों को विविध विधाओं के माध्यम से हिन्दी में अभिव्यक्त करें एवं इसकी समृध्दि में अपना योगदान दें। कोई भी भाषा तब और भी समृध्द मानी जाती है जब उसका साहित्य भी समृध्द हो।
हिन्दी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, और दिल्ली राज्यों की राजभाषा भी है। राजभाषा बनने के बाद हिन्दी ने विभिन्न राज्यों के कामकाज में लोगों से सम्पर्क स्थापित करनें का अभिनव कार्य किया है। लेकिन विश्व भाषा बनने के लिए हिन्दी को अब भी संयुक्त राष्ट्र के कुल सदस्यों के दो तिहाई देशों के समर्थन की आवश्यकता है। भारत सरकार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। हम संभावनाएं जता सकते हैं कि शीघ्र ही हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा में शामिल कर लिया जायेगा।
हिंदी दिवस का उद्देश्य भारतीय भाषा के बारे में जागरूकता पैदा करना और इसे विश्व भर में वैश्विक भाषा के रूप में प्रचारित करना है। इसे भारतीय भाषा के प्रयोग के बारे में जागरूकता फैलाने और हिंदी भाषा के उपयोग एवं प्रचार से संबद्ध मुद्दों के बारे में जागरूक करने के लिये भी प्रयुक्त किया जाता है। हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिये की हम पूरे मनोयोग से हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना निस्वार्थ सहयोग प्रदान कर हिन्दी भाषा के बल पर भारत को फिर से विश्व गुरु बनवाने का सकारात्मक प्रयास करेंगें।

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