संपादकीय

वैश्विक मुद्दों पर मिलकर नित आगे बढ़ रहे हैं भारत- फ्रांस !

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल फिलहाल(13 और 14 जुलाई 2023) भारत के दो अहम सहयोगी देशों फ्रांस और यूएई के दौरे पर हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री फ्रांस पहुंचे हैं और प्रधानमंत्री की यह छठी फ्रांस यात्रा है। जानकारी देना चाहूंगा कि उनकी सबसे हालिया यात्रा हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। गौरतलब है कि हाल फिलहाल, फ्रांस के ‘राष्ट्रीय बैस्टिल डे’ समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में राष्ट्रपति मैक्रॉन के साथ हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल हुए हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि बैस्टिल डे फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस है जो कि प्रत्येक वर्ष 14 जुलाई के दिन मनाया जाता है। भारतीय प्रधानमंत्री की यह यात्रा अत्यंत विशेष और महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। पच्चीस सालों का समय बहुत लंबा होता है और पच्चीस सालों में दोनों देशों के संबंधों में काफी मजबूती आई है और दोनों देशों में आपसी विश्वास कायम हुआ है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि फ्रांस और भारत ने वर्ष 1998 में एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित की थी, और पिछले एक दशक में संबंधों में मजबूती आई है। वास्तव में दोनों देशों की दोस्ती संवेदनशील और संप्रभु डोमेन सहित कई मुद्दों पर सहयोग को बढ़ा रही है। फ्रांस और भारत के रक्षा व्यापार संबंधों को सबसे अहम माना जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री ने यह बात कही है कि फ्रांस ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत में एक महत्वपूर्ण भागीदार है। फिर चाहे वह पनडुब्बी हो या नौसैनिक विमान, दोनों देश एक साथ मिलकर न केवल अपनी, बल्कि अन्य मित्र देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा करना चाहते हैं। पिछले कुछ समय में कोविड-19 महामारी और रूस -यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव दुनियाभर में महसूस किया गया है। इससे ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और यह अत्यंत चिंता की बात है। भारत ने दीर्घकालिक शांति की बात कहते हुए आतंकवाद के खात्मे पर बल दिया है वहीं दूसरी ओर भारत और फ्रांस, फ्रांस में भारत के ‘यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस’ (यूपीआई) को शुरू करने पर सहमत हुए हैं। भारत ने फ्रांस के शहर मार्सिले में एक नया वाणिज्य दूतावास खोले जाने की बात भी कही है। सच तो यह है कि पिछले कुछ दशकों में भारत और फ्राँस ने साझा मूल्यों और शांति, सुरक्षा एवं सतत विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता पर आधारित घनिष्ठ और गतिशील संबंधों का विकास किया है। जानकारी देना चाहूंगा कि फ्राँस भारत के लिये एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में उभरा है, जो वर्ष 2017-2021 में भारत के लिये दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता रहा है। भारतीय वायु सेना के लिये 36 राफेल लड़ाकू जेट की आपूर्ति भी फ्रांस ने की है। जानकारी देना चाहूंगा कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में पहली पीढ़ी के डसॉल्ट ऑरागन लड़ाकू विमान की खरीद से लेकर स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी, मिराज-2000 लड़ाकू विमान, राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से खरीदे हैं। भारत फ्रांस के साथ समय समय पर विभिन्न सैन्य वार्ताएं और सैन्य अभ्यास करता आया है जिनमें क्रमशः नौसेना के साथ वरूण, वायुसेना के साथ गरूड़ और थल सेना के साथ शक्ति अभ्यास शामिल रहे हैं। यदि हम फ्रांस के आर्थिक सहयोग की बात यहां करें तो वर्ष 2021-22 में 12.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक व्यापार के साथ फ्राँस भारत के एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है। इतना ही नहीं, अप्रैल 2000 से जून 2022 के बीच वह 10.31 अरब डॉलर के संचयी निवेश के साथ भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक रहा है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि फ्रांस हिंद-प्रशांत को खुले और समावेशी क्षेत्र के तौर पर संरक्षित रखना चाहता है, जो किसी भी दबाव से मुक्त हो। फ्रांस की असैन्य परमाणु सहयोग में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि हम अंतरराष्ट्रीय मंचों की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एन एसजी) में प्रवेश के भारत के दावे का फ्राँस समर्थन करता है। वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री काल में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे उस समय जब दुनिया ने भारत से अपना मुंह मोड़ लिया था, उस वक्त भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के बावजूद भारत का समर्थन करने वाला फ्रांस पहला देश था। फ्रांस ने अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताकर उसी दौरान भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अगस्त 2019 में जब भारत ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, तब भी फ्रांस ने खुलकर भारत का साथ दिया। फ्रांस ने सबसे पहले कहा था कि यह फैसला भारत का आंतरिक मामला है। यह महत्वपूर्ण है कि फ्रांस और भारत दोनों चीन के बढ़ते प्रभाव पर समान चिंताओं को साझा करते रहे हैं। हाल फिलहाल भारत-फ्रांस सीईओ मंच को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस के कारोबारी दिग्गजों से यह बात कही है कि वे दोनों देशों की मित्रता को और आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें। इसी बीच पीएम मोदी फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक और सैन्य सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा है, जो बहुत महत्वपूर्ण होने के साथ ही हम सभी के लिए अत्यंत गौरव की बात है।परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान और उत्तर में आक्रामक होते चीन के बीच बसे भारत के लिए हथियारों की दरकार हमेशा बनी रहती है। इसी बीच जहां रूस से हथियार लेने में भारत को दिक्कतें भी आई हैं, ऐसे में फ्रांस भारत के लिए हितकारी साबित हुआ है। इतना ही नहीं फ्रांस ने समय समय पर जलवायु सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग , समुद्री सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय सहयोग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सच तो यह है कि भारत और फ्रांस ने कई वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम किया है। यह महत्वपूर्ण है कि फ्रांस के बैस्टिल डे परेड में भारतीय सेना की भागीदारी 100 साल पुरानी है। फ्रांस इस वक्त भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी(अमेरिका को पछाड़कर)देश है। पीएम मोदी के वर्तमान दौरे को भारत और फ्रांस के बीच मजबूत होते संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दौरे से दोनों देशों के संबंधों में और अधिक प्रगाढ़ता आएगी और दोनों देश प्रगति, उन्नयन और विकास की ओर अग्रसर होकर नये सोपानों, नयी ऊंचाइयों को छू सकेंगे।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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