संपादकीय

कोरोना जंग की योद्धा डॉ उपासना चौधरी

-रमेश सर्राफ धमोरा
स्वतंत्र पत्रकार (झुंझुनू, राजस्थान)
राजस्थान में पहली बार प्लाज्मा दान शिविर लगाने की परिकल्पना चूरू मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर उपासना चौधरी ने की थी। प्लाज्मा दान शिविर को राजस्थान सरकार ने एक मिसाल के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए कोरोना को हराकर स्वस्थ हो चुके लोगों द्धारा प्लाज्मा दान कर लोगों की जिंदगी बचाने का एक अभियान चला था। जिसमें कोरोना से रिकवर हुए मरीज पॉजिटिव मरीजों को रिकवर करने के लिए अपना प्लाज्मा दान किया।
कोरोना मरीजों को ठीक करने में कामयाब साबित हुयी प्लाज्मा थेरेपी को लेकर महात्मा गांधी स्वास्थ्य संस्थान जयपुर एवं एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर की ओर से झुंझुनू के बीडीके जिला अस्पताल में प्रदेश का पहला प्लाज्मा डोनेट कैंप लगाया गया था। जो देश के अन्य प्रदेशों के लिए भी प्रेरणादायक बना। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने झुंझुनू के प्लाज्मा कैंप की सराहना की थी।
डॉ उपासना चौधरी ने बताया कि मैंने करोना कंट्रोल रूम में कोरोना की गंभीरता और बारीकियों को समझा। मैंने इमरजेंसी यूनिट में मरीजों को व बहुत सारे स्वास्थ्य कर्मियों को करोना से मरते हुए देखा है। उस वक्त हम चिकित्सा कर्मी खुद को असहाय महसूस करते थे। करोना की कोई दवाई नहीं होने के कारण लोगों की जान नहीं बचा पा रहे थे। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्लाज्मा थेरेपी को कोविड-19 के खिलाफ असरदार बताया एवं चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने भी प्लाज्मा दान की अपील की तो मैंने अपनी टीम के साथियों से चर्चा कर कोरोना प्रभावित लागों के प्राण बचाने के लिये प्लाज्मा शिविर लगावाकर सरकार का सहयोग करने की ठानी।
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना सरवाइवर (जो कोरोना की जंग जीत चुके हैं) के खून का एक हिस्सा प्लाज्मा कहलाता है। उसमें करोना के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हो जाती है। अगर वह एंटीबॉडी रूपी प्लाज्मा किसी कोविड-19 पेशेंट को चढ़ाया जाता है तो उसके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। प्लाज्मा थेरेपी से जिस व्यक्ति का प्लाज्मा लिया जाता है। उसके शरीर में किसी भी प्रकार की कोई कमजोरी या दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। उसके शरीर में 48 से 72 घंटे के अंदर पुनः प्लाज्मा विकसित हो जाता है। परंतु उसके द्वारा दिए गए प्लाज्मा दो लोगों की जिंदगी बचा सकता है।
डॉ उपासना चौधरी ने बताया कि कोरोना से ठीक हो चुके लोग डर के कारण प्लाज्मा दान करने के लिए आगे नहीं आते थे। तब मैंने प्लाज्मा कैंप लगाने का फैसला लिया। प्लाज्मा दान करने के लिए लोगों को समझाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। क्योंकि लोगों के लिए प्लाज्मा दान का विषय एकदम अलग था। लोगों में भय, अविश्वास बहुत था। कोविड-19 होने के बाद उन्हें बहुत सी शारीरिक व सामाजिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसलिए मैंने लोगों को फोन पर, सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न प्रकार के वीडियो बनाकर समझाया एवं उनके मन में प्लाज्मा से लेकर जो भी भय, शंका, अविश्वास था उसे दूर किया।
मैंने जब राजकीय बीडीके अस्पताल झुंझुनू में पता किया तो पता चला कि यहां पर प्लाज्मा निकालने वाली मशीन ही नहीं है। फिर मैंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा से इस विषय पर चर्चा की और उनके सहयोग से मेडिकल कॉलेज जयपुर की टीम को झुंझुनू बुलाकर झुंझुनू में प्रदेश का प्रथम प्लाज्मा दान शिविर लगवाया। जिसमें झुंझुनू एवं चूरू जिले के 48 कोरोना योद्धाओं ने प्लाज्मा दान कर एक अनूठी मिसाल पेश की थी। जो आगे चलकर एक राज्यस्तरीय मुहिम बनी।
लोगों की मदद करने के लिए मैंने महात्मा गांधी स्वास्थ्य संस्थान झुंझुनू नाम से एक एनजीओ भी बनाया है। उसकी सहायता से मैंने अभी तक 200 से ज्यादा लोगों को प्लाज्मा दान करवा चुकी हूँ। बीकानेर, सीकर, चूरू एवं जयपुर में हम प्लाज्मा शिविर लगा चुके हैं और बहुत से गंभीर करोना से ग्रसित व्यक्तियों की जान बचा चुके हैं। अब बहुत से लोग इमरजेंसी में रात को भी प्लाजमा दिलवाने के कॉल करते हैं। मैं उनकी पूरी मदद करती हूं। मैं अपने खर्चे पर लोगों की मदद कर रही हूं। मैं हर महीने अपनी तनख्वाह का आधा हिस्सा लोगों की भलाई के लिए खर्च कर रही हूं। मैं लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हूं। चाहे बात खून दिलाने की हो या फिर प्लाज्मा दान की हो या फिर अस्पताल में बेड दिलाना हो या इलाज करवाना हो। लोगों की मदद के लिए हम हमेशा तैयार रहते हैं और मदद करते हैं।
डॉ उपासना चौधरी ने बताया कि दुनिया भर में प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना वायरस के नए इलाज की तरह देखा जा रहा हैं। अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में कोरोना मरीजों के उपचार में काम में लिए जा रहे प्लाज्मा से कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार करवाने के लिये अब प्रदेश सरकार भी पूरी तरह से सक्रिय हो गयी है। प्लाज्मा दान करने वाले लागों का मानना है कि दूसरे मरीजों के जीवन बचाने के ऐसा प्रयास अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा दान रक्तदान से भी सरल है। इसमें किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। और ना ही कोई कमजोरी आती है।
डॉ. उपासना चौधरी अब अंगदान जन जागृति एवं जीवनदान रथयात्रा अभियान चला रही है। इस रथयात्रा ने राजस्थान के 15 जिलो में जाकर लोगों को अंगदान को लेकर जागरूक करने का काम किया है। यात्रा की संयोजिका डॉ. उपासना ने बताया कि देश में प्रति वर्ष करोड़ो लोग अंगदान की कमी से मरते हैं। अंगदान रथयात्रा के माध्यम से लोगों के संकोच एवं प्रश्नों को दूर करके उनको अंग दान की महत्वता के बारे में जागरूक किया जा रहा है। एक व्यक्ति अंग दान करके आठ 10 लोगों की जान बचा सकता है। जो व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं करता है। वह मृत्यु के पश्चात किसी का जीवन बचा कर एक मिसाल कायम कर सकता है।
डा. उपासना ने बताया कि इस यात्रा के तहत गांवों में रात्रि चौपाल का आयोजन कर प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न चल चित्रों से अंग दान कर के महत्व को बताया गया। रथयात्रा जिस भी ग्राम में रूकती वहां जागरूकता मदद केंद्र लगाया गया। जिसमें लोगों को अंगदान से संबंधित प्रश्नों का निवारण करने का प्रयास किया जाकर उन्हें अंग दान देने की शपथ के लिए प्रेरित किया गया। अभी तक रथ यात्रा के दौरान प्रदेश में 6000 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके 12 हजार से अधिक लोगों को अंगदान की शपथ दिलाकर अंगदान करने के प्रति जागरूक किया गया है।

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