संपादकीय

कोरोना को न्यौता और हमारी बेपरवाही

अली खान
( स्वतंत्र लेखक, विचारक एवं स्तंभकार )
जैसलमेर, राजस्थान

आज देश भर में कोरोना अपने पदार्पण के दूसरे वर्ष में जमकर कहर बरपा रहा है। आज देश और प्रदेश में कोरोना के बढ़ते प्रभाव ने सभी को हैरत में डाल दिया है। हमारी केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस की वैक्सीन रिलीज करके यह दावा किया कि हमारी वैक्सीन कोरोना वायरस से निपटने में पूर्णतया कारगर है। लेकिन वैक्सीन का उपभोग करने वाला व्यक्ति भी अपने को कोरोना के भय से मुक्त नहीं कर पा रहा है। ऐसे में यह सवाल बड़ा लाजिमी हो जाता है कि वैक्सीन उपभोगी और गैर-उपभोगी दोनों आजकल कोरोना वायरस से अपने को क्यों नहीं बचा पा रहे हैं?
पिछले कुछ दिनों के आंकड़े बताते हैं कि देश में कोरोना विस्फोट अपने उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। आज देश का दुर्भाग्य है कि सरकारें अपनी आबादी को कोरोना जैसे खतरनाक वायरस के प्रकोप से बचाने के बजाय चुनाव समूह का आयोजन करवाकर आम जनता को मौत के मुंह में धकेलने का भरसक प्रयास कर रही है। पिछली बार के मुकाबले इस बार कोविद-19 वायरस तेजी के साथ फैल रहा है। उसके बावजूद भी सरकारों का रवैया कुछ गंभीर नहीं लगता। इस बार कोविद-19 का प्रसार शहरों के साथ-साथ गांवों में भी देखा जा सकता हैं।
कोविद-19 अपने पदार्पण के साथ वृद्धजनों को सर्वाधिक चपेट में ले रहा था। लेकिन इस बार यह देखा गया है कि यह बुजुर्गों के साथ-साथ युवा आबादी को भी खासा प्रभावित कर रहा है। ऐसे में यह बहुत खतरनाक और जोखिम भरा कोरोना प्रसार हो सकता है। कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरोना के खतरनाक प्रसार के पीछे सरकारों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया और हमारी लापरवाही बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। हमारी लापरवाही देश को सम्पूर्ण लॉकडाउन झेलने के लिए विवश कर सकती है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि कोरोना के तेजी के साथ बढ़ते प्रसार को रोकने में हमारी जागरूकता और गंभीरता बहुत बड़ा योगदान दे सकती है। हमें चाहिए कि हम कोरोना गाइडलाइन की अनुपालना में जहां तक संभव हो घरों से बाहर न निकलें। साथ ही साथ इस बात का भी अवश्य ख्याल करें कि दो गज दूरी मास्क है जरूरी।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सीबीएसई बोर्ड ने दसवीं बोर्ड परीक्षा को निरस्त करने के साथ-साथ बारहवीं बोर्ड परीक्षा को भी फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। इसके कुछ समय अंतराल के बाद राजस्थान सरकार ने गंभीरता का परिचय देते हुए दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित कर दिया। ऐसे में इस बात का सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि केंद्र और राज्य सरकार कोरोना वायरस के प्रति गंभीर हो चली है। ऐसे में देश की सम्पूर्ण आबादी एक बार फिर सम्पूर्ण लॉकडाउन के भय से खुद को अलग नहीं कर पा रही है। सरकार ने लॉकडाउन के संदर्भ में फिलहाल कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है। लेकिन कुछ इलाकों जहां कोरोना का विस्फोट हुआ है, वहां कर्फ्यू लगाकर स्थिति को काबू में लेने का भरसक प्रयास कर रही है। यदि उसके बावजूद भी कोरोना अपना प्रसार-प्रभाव दिखाता है तो ऐसे में देश एक बार फिर सम्पूर्ण लॉकडाउन झेलने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
जबकि महाराष्ट्र सरकार ने नाइट कर्फ्यू, वीकेंड लॉकडाउन और मिनी लॉकडाउन लगाकर स्थिति को काबू में लाने का पुरजोर प्रयास किया हैं। लेकिन वहां हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे है। इन सब प्रयासों के बावजूद भी कोरोना ग्राफ उत्तरोत्तर बढ़ रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पंवार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि यदि आने वाले दिनों में कोरोना प्रसार नहीं थमा, तो ऐसे में यह मिनी लॉकडाउन सम्पूर्ण लॉकडाउन का रूप अख्तियार कर सकता है। आज यह कहना पड़ रहा है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार लोग कोविद-19 संक्रमण के खतरे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जबकि हमें यह भली-भांति समझना होगा कि पिछली बार के मुकाबले इस बार कोरोना वायरस और अधिक ज्वलंत रूप में है। हमारी बेपरवाही हमारी जान को जोखिम में डाल सकती है। ऐसे में इससे निपटने में सबसे ज्यादा कारगर उपाय यही हो सकता है कि हम सतर्क और संवेदनशील बने रहे।

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