संपादकीय

सियासी रणभूमि के सबसे बड़े योद्धा बने मोदी

-योगेश कुमार गोयल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रवाद, सुरक्षा, हिन्दू गौरव तथा नए भारत को लेकर चलाए गए अभियान की बदौलत भाजपा न केवल कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को बुरी तरह शिकस्त देते हुए प्रचंड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल हुई, बल्कि इस चुनाव के बाद मिली जबरदस्त ताकत ने मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बनाने में भी अहम भूमिका निभाई। 2019 की जीत के बाद नरेन्द्र मोदी सियासी रणभूमि के सबसे बड़े योद्धा बनकर उभरे हैं। भाजपा की इस बेमिसाल जीत ने यह साबित कर दिया है कि नरेन्द्र मोदी की स्वीकार्यता न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी बढ़ी है। कम से कम इस वक्त तो उनके कद का कोई और नेता देश में दूर-दूर तक नजर नहीं आता। भाजपा की प्रचंड आंधी में कांग्रेस जहां करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में शून्य के आंकड़े पर सिमट गई, वहीं भाजपा के लिए यह जीत कई मायनों में इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि बहुत सारे भाजपा उम्मीदवार कुछ हजार नहीं बल्कि कई-कई लाखों मतों के अंतर से विजयी हुए। यूपी का महागठबंधन फार्मूला हो या कर्नाटक का कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन अथवा भयानक चुनावी हिंसा के बावजूद ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का अभेद्य माना जाता गढ़ पश्चिम बंगाल, हर किले को ढहाने में भाजपा सफल रही। उत्तर प्रदेश में जहां वह अपने अनुमानित नुकसान को सीमित करने में कामयाब रही तो कुछ ऐसे नए राज्यों में, जहां 2014 में वह कमजोर थी, अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में भी उसे सफलता मिली।
माना कि 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर और मोदी की सुनामी के चलते कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट गई थी। फिर कांग्रेस ने करीब पांच माह पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। उससे कुछ समय पहले लोकसभा के कुछ उपचुनावों में भी भाजपा से कुछ सीटें जीतने में सफलता पाई थी, उसे देखते हुए यह उम्मीद नहीं थी कि उसका प्रदर्शन इतना निराशाजनक रहेगा। लेकिन लोकसभा चुनाव में वह इस जीत को भुनाने में पूरी तरह नाकाम रही। कुछ माह पहले जीते तीन राज्यों में तो उसका करीब-करीब सूपड़ा ही साफ होता दिखा है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जहां उसे क्रमशः सिर्फ दो व एक सीट से संतोष करना पड़ा। राजस्थान में तो उसका खाता तक नहीं खुला। इन चुनावी नतीजों से राहुल गांधी के नेतृत्व तथा उनकी पार्टी के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। लोकसभा चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की औकात जहां एक क्षेत्रीय पार्टी के समकक्ष बनाकर रख दी है, वहीं सेक्युलर राजनीति को कई कोस पीछे छोड़ते हुए जिस प्रकार हिन्दुत्ववादी राजनीति भाजपा के लिए इतना बड़ा फायदे का सौदा साबित हुई है। ऐसे में भाजपा गठबंधन की शानदार जीत के बाद अब यह तय माना जा सकता है कि आने वाले दिनों में देश में राष्ट्रवाद की पहले से भी बड़ी लहर देखने को मिल सकती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान श्चाय वालेश् मुद्दे को हथियार बनाया था और इस बार उन्होंने जिस प्रकार श्चैकीदारश् को जनमानस में पहुंचाकर विपक्ष के तमाम हथियारों को बड़ी आसानी से भोथरा कर दिया। एक बार फिर उन्होंने यह प्रमाणित कर दिया कि उन्हें अपने ऊपर होने वाले हमलों को किस प्रकार पलक झपकते ही अपना ही हथियार बना डालने में महारत हासिल है। यही वजह रही कि कांग्रेस हो या अन्य तमाम विपक्षी दल, किसी का कोई भी मुद्दा अमित शाह की रणनीति और मोदी लहर के समक्ष नहीं टिक पाया। 2014 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाले जो राजनीतिक दल केन्द्र में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही सरकार से खफा चल रहे थे और सरकार के खिलाफ कदम-कदम पर कड़े तेवर दिखाते रहे। ऐसे अधिकांश विरोधियों को चुनाव से पहले ही मनाकर कड़वाहट की घुट्टी को मिठास में बदलना भी भाजपा के लिए बहुत काम आया।
अब तक माना जाता रहा है कि केन्द्र में केवल कांग्रेस ही लगातार दो बार पूर्ण बहुमत लेकर सत्तासीन हो सकती है लेकिन भाजपा ने इस मिथक को तोड़ा है और लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाकर नरेन्द्र मोदी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री के रूप में उभरे हैं। नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं। नेहरू ने लगातार तीन बार 1952, 1957 और 1962 का चुनाव पूर्ण बहुमत से जीतकर तथा इंदिरा गांधी ने 1967 और 1971 का चुनाव पूर्ण बहुमत के साथ जीतकर सरकार बनाई थी। देश की आजादी के बाद से 27 मई 1964 तक अर्थात् 16 साल 286 दिनों तक पं. नेहरू लगातार प्रधानमंत्री पद पर बरकरार रहे। उनके बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहने वाली दूसरी प्रधानमंत्री बनीं, जो 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 तक लगातार प्रधानमंत्री पद पर रहीं। सबसे लंबे समय तक इस पद रहने वाले तीसरे प्रधानमंत्री थे डा. मनमोहन सिंह, जो 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक प्रधानमंत्री बने रहे। उनके बाद अटल बिहारी वाजपेयी 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में भाजपा 282 सीटें जीतकर अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल रही थी और लगातार दूसरी बार इससे भी ज्यादा सीटें जीतकर वह एक बार फिर रिकॉर्ड मत प्रतिशत के साथ अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई।
1951-52 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 45 फीसदी मतों के साथ लोकसभा की कुल 489 सीटों में से 364 सीटें जीती थी और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 1957 में 47.78 फीसदी मतों के साथ 371 सीटों पर शानदार जीत दर्ज कराई थी। 1962 में भी कांग्रेस को लोकसभा की कुल 494 सीटों में से 361 सीटें मिली थी। 1967 में इंदिरा गांधी लोकसभा की कुल 520 सीटों में से 283 सीटें ही जीत सकी थीं। उनका करिश्माई व्यक्तित्व 1971 में कांग्रेस को 352 सीटें दिलाने में सफल रहा। 2014 में भाजपा नरेन्द्र मोदी के चेहरे के साथ देशभर में विकास के वादे के साथ चुनावी मैदान में उतरी तथा 282 सीटों के साथ अपने ही बूते पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही और अपने ही दमखम पर इस बार 300 से भी ज्यादा का आंकड़ा पार कर भाजपा ने ऐसा परचम लहराया है, जिसने उसके तमाम आलोचकों की बोलती बंद कर दी है। बहरहाल, लोकसभा चुनाव से निकले जनादेश का विश्लेषण करें तो इसका सीधा और स्पष्ट संदेश यही है कि जनता ने जहां कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को खारिज कर दिया है, वहीं नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, उनकी कार्यशैली, ठोस निर्णय लेने वाले नेता की छवि तथा उनके करिश्माई नेतृत्व के प्रति पूरा भरोसा और पूरी आस्था जताई है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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