संपादकीय

कोरोना को हराने में जुटी मोदी सरकार

-रमेश सर्राफ धमोरा
स्वतंत्र पत्रकार (झुंझुनू, राजस्थान)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को हराने में पूरी ताकत से जुटी हुई है। कोरोना संक्रमण से जूझते दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत ने कोरोना के संक्रमण पर काफी हद तक काबू पा लिया है। केंद्र सरकार की सतर्कता के चलते ही देश में कोरोना संक्रमण तीसरे स्टेज पर नहीं पहुंच पाया हैं। इसी कारण देश में कोरोना का सामुदायिक विस्तार नहीं हो सका है। समय रहते देश में लाकडाउन लागू करना मोदी सरकार का एक ऐसा फैसला था जिसकी आज हर कोई सराहना कर रहा है।
भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में एकाएक सम्पूर्ण लाकडाउन का फैसला करना मजबूत नेतृत्व का ही परिणाम है। केंद्र सरकार ने समय रहते देशव्यापी लाकडाउन लागू करने का फैसला करके पूरे देश को एक सूत्र में बांधा है। उसी का परिणाम है कि लगातार तीसरी बार भी लंबे समय के लिए लाकडाउन लागू किये जाने के उपरांत भी देश की जनता पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ी नजर आ रही है। देश के सभी लोग लाकडाउन की पालना में केंद्र व राज्य सरकारों को पूरा सहयोग दे रहे हैं।
देश में लाकडाउन लागू करते समय चिकित्सा सेवाओं की दृष्टि से भारत का दुनिया में 115 वां स्थान था। उस वक्त देश में एकमात्र पूणे में कोरोना जांच की बायो लेबोरेटरी कार्यरत थी। लेकिन कोरोना की भारत में आहट के साथ ही केंद्र सरकार ने देश भर में तेजी से कोराना जांच की बायो लैबोरेट्रीज की संख्या में बढ़ोतरी की। आज देश में प्रतिदिन लेबोरेटरी की संख्या में विस्तार हो रहा है। केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर इस प्रयास में लगी है कि देश के सभी जिलों में बायो लेबोरेटरी की स्थापना की जाए। जिससे कोरोना सहित इस तरह की अन्य बीमारियों की भी तात्कालिक जांच की सुविधा उपलब्ध हो सके।
केंद्र सरकार के विशेष प्रयासो से देश में सरकारी स्तर पर 304 टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापित हो चुकी है। वहीं निजी क्षेत्र की 105 लेबोरेटरीज भी कोरोना पॉजिटिव की जांच करने के लिए अधिकृत की जा चुकी है। देश में फिलहाल सरकारी स्तर पर आंध्र प्रदेश में 48, अरुणाचल प्रदेश में एक, आसाम में छह, बिहार में छह, चंडीगढ़ में 3, छत्तीसगढ़ में 3, दिल्ली में 10, गुजरात में तेरह, गोवा में 3, हरियाणा में आठ, हिमाचल प्रदेश में पांच, जम्मू कश्मीर में 4, झारखंड में 4, कर्नाटक में 18, केरल में 14, महाराष्ट्र में 33, मध्य प्रदेश में 10, मणिपुर में दो, मेघालय में एक, ओडिशा में 7, पुडुचेरी में दो, पंजाब में 3, राजस्थान में 14, तमिलनाडु में 34, तेलंगाना में 9, त्रिपुरा में एक, उत्तर प्रदेश में 19, उत्तराखंड में 4, पश्चिम बंगाल में 10, अंडमान निकोबार दीप समूह में 3, दादर एवं नागर हवेली में एक लेबोरेटरी कार्यरत है। देश के विभिन्न प्रदेशों में सरकारों द्वारा लगातार नई जांच लेबोरेटरी प्रारंभ करवाई जा रही है तथा कई लेबोरेटरी में जांच करने वाले मशीनों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
कोरोना संकट के बाद केंद्र सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरण, जांच किट, जरूरी दवाएं व अन्य सामानों का तेजी से आयात किया। जिस कारण से कोरोना की जांच में तेजी आई है। केंद्र सरकार ने हर प्रदेश में अनेकों जगह पर कोरोना उपचार के लिए अलग से कोविड -19 अस्पतालों की व्यवस्था करवाई व बड़ी संख्या में आइसोलेशन केंद्र बनवाए। यहां तक कि आपात स्थिति का मुकाबला करने के लिए हजारों की संख्या में रेल के डिब्बों को भी आइसोलेशन वार्ड के रूप में तैयार करवाया गया है।
केंद्र सरकार ने घरेलू कंपनियों को भी कोरोना के उपचार से संबंधित विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया। जिस कारण आज देश में सैकड़ों घरेलू कंपनियां विभिन्न तरह का साजो- सामान बनाने में जुटी हुई है। फलस्वरूप केंद्र सरकार की विदेशों से आयात पर निर्भरता कम हुई है। सरकारी प्रोत्साहन के चलते आज बड़ी संख्या में फेसमास्क, पीपी किट, कोराना जांच किट, वेंटिलेटर सहित बहुत सी वस्तुएं स्थानीय स्तर पर ही बनाई जाने लगी है।
लॉक डाउन लागू करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब जनता की भी सुध ली। केंद्र के खजाने उन जरुरतमंदों के लिए खोल दिए गये जिनके सामने रोजी रोटी से लेकर अन्य दिक्कतें थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के जरिए जनधन, उज्जवला और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों के खातों में सीधे पैसे भेजे गये ताकि लोगों की नकदी की परेषानी को दूर किया जा सके। देश की आधी आबादी से अधिक लोगों को केंद्र सरकार प्रति माह निशुल्क गेहूं व दाल उपलब्ध करवा रही है। इसके साथ ही सरकार ने हर वर्ग के लिए राहत पैकेजों का भी एलान किया। केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों में भी पूंजी बढ़ाने का फैसला किया है। जिससे बाजार में नकदी की कमी दूर होगी। लाकडाउन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा आमजन को दिए गए विभिन्न तरह के राहत पैकेजो का जरूरतमंदों को लाभ मिल रहा है।
केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण की दृष्टि से देश को रेड, ऑरेंज व ग्रीन जोन में बांटा है। रेड जोन में उन जिलों को शामिल किया गया है जहां कोरोना का संक्रमण सबसे अधिक है। वहां पूर्णतया लोक डाउन रहेगा तथा अधिकांश गतिविधियों पर रोक रहेगी। कोरोना संक्रमण से निकल चुके जिलो को ऑरेंज जोन में शामिल किया गया है। ऑरेंज जोन में शामिल जिलों में कुछ गतिविधियों में छूट दी जाएगी। ग्रीन जोन में ऐसे जिलों को शामिल किया गया है जहां एक भी कोरोना पॉजिटिव का केस नहीं मिला है। आगामी 4 मई से 17 मई तक देश में लाकडाउन तीन लागू किया गया है। इसमें जोन वाइज प्रतिबंध लागू रहेगें।
केंद्र सरकार ने दूसरे प्रांतों में फंसे विद्यार्थियों, मजदूरों, पर्यटको व अन्य लागों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों को आपसी सहमति से रेल व बस चलाने की छूट प्रदान की है। राज्य सरकारों द्वारा बाहर से लाये गये लोगों की पूरी मेडिकल जांच करवायी जाकर उनको घर पर या जरूरत होने पर बनाये गये सेंटरो पर क्वॉरटीन किया जाएगा। केन्द्र सरकार के इस कदम से लाकडाउन में फंसे हुए लोग अपने घर पहुंच सकेगें।
लाक डाउन समाप्त होने के बाद जनजीवन को फिर से व्यवस्थित रूप से पटरी पर लाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार अभी से पूरी तरह प्रयासरत नजर आ रही है। इस बाबत केंद्र में उच्च स्तरीय समिति बनायी गयी है जो इस दिशा में काम कर रही है। उक्त समिति शिघ्र ही अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपेगी। उसके बाद केंद्र सरकार को तय करना है कि देश में लोगों का जनजीवन किस तरह से सुचारू चल सकेगा।
सरकार के सामने देश में बंद पड़े कल कारखानों व व्यवसायिक संस्थानो को पूर्ववत शुरू करवाना भी बड़ी चुनौति बनेगा। देश में श्रमिकों का अपने घर चले जाने के कारण श्रमिकों को फिर से काम पर लौटाना भी एक बड़ी समस्या होगी। कोरोना संकट के डर से अपने घरों को लौट चुके श्रमिकों का जल्दी ही दूसरे प्रदेशों में लौटना मील मालिकों के साथ ही सरकार के सामने भी एक बड़ी समस्या बनने वाली है। जिसका हल फिलहाल किसी के पास नजर नहीं आ रहा है।

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