कोरोना मृतकों के संस्कार में भय नहीं
-अजय श्रीवास्तव
भारत में वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण समाज में भय और चिंता का वातावरण है। पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका यह संक्रमण हमारे जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर चुका है। इतिहास में ऐसा दौर कभी नहीं आया जब ट्रेन एवं विमान समेत यातायात के सभी साधन, बाजार, शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, होटल, भोजनालय, हर प्रकार का व्यापार, सरकारी कार्यालय तथा कारखाने एक साथ बंद करने पड़े हों। चीन से आए इस खतरनाक संक्रमण से दुनिया भर में करीब तीन लाख लोग मर चुके हैं। हिमाचल प्रदेश इस मामले में काफी सौभाग्यशाली है कि जहां संक्रमण के फैलाव की रफ्तार काफी कम है। अभी तक हिमाचल में इस वायरस से पीड़ित अधिकतर लोग वे हैं जो विदेश या दूसरे राज्यों से यहां आए। जयराम ठाकुर सरकार की सतर्कता एवं दूरदर्शी नीतियों और कोरोना योद्धाओं के कठिन परिश्रम से दूसरे राज्यों के मुकाबले यहां बहुत कम पॉजिटिव केस आए और नगण्य जनहानि हुई है। राज्य सरकार ने प्रशासन और पुलिस के माध्यम से आम जनता को इस महामारी के प्रति जागरूक करने का व्यापक अभियान छेड़ा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसे लेकर स्वयं मोर्चा संभाला और केंद्र सरकार एवं राज्य के आला अधिकारियों के साथ लगातार इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। यदि ऐसा न हुआ होता तो परिस्थितियां बेहद गंभीर हो सकती थीं। प्रदेश में कोरोना से पहली मृत्यु धर्मशाला में हुई थी। मृतक तिब्बती शरणार्थी था जो अमरीका से लौटा था। दूसरी मृत्यु मंडी के सरकाघाट के 21 वर्षीय युवक की शिमला के इंदिरा गांधी अस्पताल में हुई। यह युवक दिल्ली से इलाज करा कर आया था और उसके दोनों गुर्दे खराब थे। उसका अंतिम संस्कार शिमला में जिस तरह किया गया, वह कुछ हद तक विवाद का विषय बन गया।
आम जनता में कोरोना पीड़ित मृतकों के अंतिम संस्कार को लेकर जागरूकता की काफी कमी है। स्वाभाविक है कि भय के इस विश्वव्यापी वातावरण में हिमाचल में भी अंतिम संस्कार को लेकर अधिक जागरूकता की आवश्यकता है। यदि मीडिया इसमें सकारात्मक भूमिका अदा करे तो जनता के मन में अंतिम संस्कार को लेकर व्याप्त अनावश्यक भय कम हो सकता है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 15 मार्च को ‘कोविड-19 शव के प्रबंधन संबंधी गाइडलाइन्स’ जारी की थीं। कोरोना से पीड़ित होकर प्राण त्यागने वालों के शव के वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन के अलावा इसमें मृतक एवं उसके परिवारजनों के मानवाधिकारों और धार्मिक आस्था के सम्मान को भी पूरा स्थान दिया गया है। इन गाइडलाइन्स को हिमाचल प्रदेश सरकार के विशेष सचिव (स्वास्थ्य) ने 18 मई को अधिसूचित करके स्वास्थ्य विभाग के सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए अग्रेषित कर दिया। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन्स में पूरा विवरण है कि कोरोना पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शव को किस प्रकार वैज्ञानिक ढंग से संक्रमण रहित किया जाए। इसमें उन स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए विशेष दिशा-निर्देश हैं जो शव से संबंधित कार्यों को अपने हाथों से संपन्न करते हैं। शव को संक्रमण रहित करने के बाद दो परतों वाले प्लास्टिक बैग में डाल दिया जाता है। इस बैग के ऊपरी भाग को फिर से एक रसायन से संक्रमण रहित किया जाता है।
गाइडलाइन्स कहती हैं कि संक्रमण रहित करने के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए मृतक के परिजनों को सौंप दिया जाए या मुर्दाघर में रख दिया जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि परिजन मृतक का अंतिम दर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें इसकी अनुमति है। बैग का एक सिरा खोलकर मृतक का चेहरा दूर से उन्हें दिखाया जा सकता है। लेकिन मृतक को छूने, चूमने या गले लगाने की अनुमति नहीं है। लाश को शवगृह में यदि रखा जाता है तो उसे भी संक्रमण रहित करने की पूरी प्रक्रिया गाइडलाइन्स में बताई गई है जिसका पालन करना अनिवार्य है। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि कोरोना पीड़ित मृतकों के शवों के लिए कोई अलग शवदाह गृह बनाने की बात गाइडलाइन्स में नहीं है। यानी सामान्य मुर्दा घरों में उनके शवों को भी रखा जा सकता है। एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी कही गई है कि ऐसे शवों के अंतिम संस्कार में कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं है। संभवतः इसे गाइडलाइन्स में इसलिए जोड़ा गया क्योंकि कोई मुर्दा न तो खांस सकता है, न छींक सकता है और न ही थूक सकता है। शव का पोस्टमार्टम करने से बचने की सलाह भी दी गई है। और यदि किसी कारण से यह अनिवार्य हो जाए तो अत्यंत सख्त सावधानियां भी बताई गई हैं। शव को वाहन में ले जाने से संबंधित सावधानियां भी गाइडलाइन्स का हिस्सा हैं। इनमें भी कहा गया है कि यदि लाश को ठीक ढंग से संक्रमण रहित किया गया है तो उससे कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं होगा। शवदाह गृह में लाश को पहुंचाने के बाद वाहन को संक्रमण रहित करना आवश्यक है। शव से कोई संक्रमण न हो, इसलिए उससे दूरी बनाए रखना जरूरी है। शव का अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाज से करने के बाद परिजनों और श्मशानघाट के कर्मचारियों को निजी स्वच्छता का कोरोना संबंधी मानकों के अनुरूप ध्यान रखना पड़ेगा। एक बात और इसमें स्पष्ट की गई है कि अंतिम संस्कार के बाद मृतक की अस्थियां और राख एकत्र करने में कोई भी खतरा नहीं होता। हिमाचल प्रदेश एवं अन्य राज्यों में भी कोरोना पीड़ित मृतकों के अंतिम संस्कार के संबंध में विवाद इसलिए उत्पन्न हुए क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की विस्तृत गाइडलाइन्स के बारे में न सिर्फ आम जनता, बल्कि प्रशासन में भी जागरूकता की कमी है। गाइडलाइन्स में मृतक, उसके परिजनों के धार्मिक तथा अन्य मानवाधिकार पूरी तरह संरक्षित किए गए हैं।