संपादकीय

चम्बल तेरी यही कहानी पुस्तक की समीक्षा

समीक्षक – डॉ. सुषमा शर्मा
सचिव (राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान)

हाल ही में प्रकाशित डॉ. प्रभात कुमार सिंघल की पुस्तक ‘चम्बल तेरी यही कहानी’ राजस्थान की भाग्य रेखा बनी चम्बल नदी पर आधारित महत्वपूर्ण दस्तावेज है। भारत की पावन गंगा, यमुना, सरस्वती नदियों के साथ पावन ‘चम्बल –चर्मण्यवती ‘नदी के भौगोलिक, एतिहासिक, पौराणिक, सांस्कृतिक परिपक्ष में इसके आर्थिक-सामाजिक, पर्यावरणीय एवं पर्यटन महत्व को रेखाँकित करती है ‘चम्बल तेरी यही कहानी’ पुस्तक। चम्बल नदी की व्यथा और वास्तविकता को प्रतिबिंबित करती है। विषय के महत्व को दुगनित करते हुए भारत की प्रमुख नदियों की महत्वपूर्ण जानकारी का समावेश भी किया गया है। चंबल की सहायक नदियों और उनके महत्व को भी साथ-साथ बताया गया हैं। प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार एवं जनसम्पर्क विभाग के पूर्व सँयुक्त निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों के मध्य प्रवाहित हिने वाली चम्बल नदी पर व्यापक जानकारीपूर्ण पुस्तक का लेखन किया है जो निश्चित ही स्वागत योग्य है। आकर्षक क्लेवर में इसका प्रकाशन जयपुर के सहित्यागार प्रकाशक द्वारा किया गया है।
राजस्थान की भाग्य रेखा बनी चम्बल नदी के जल से कृषि में हरित और पीली क्रांति एवं मत्स्य पालन में नीली क्रांति के योगदान एवं कोटा में उद्योगों के अकल्पनीय क्रांतिकारी विकास को शिद्दत से रेखांकित किया गया है। इसी के जल के प्रताप से परमाणु, पन, कोयले पर आधारित बिजलीघरों की स्थापना से पावर हब का बनना और नदी पर निर्मित चार बांधों से विकसित सिंचाई सुविधाओं ने जहां सूखे खेतों को जीवनदान दिया वहीं राजस्थान की प्यास बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया को बखूबी दर्शाया गया हैं।
नदी का बेसिन किस प्रकार प्रकृति के सुंदर पर्यावरण एवं जैव विविधता के दर्शन कराता है और नदी दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय घड़ियाल सेंक्चुरी होने का गौरव प्राप्त करती है को काफी विस्तार से बताया गया है। साथ ही चम्बल नदी के कुछ भाग के प्रदूषित होने और अवैध खनन होने से जलीय जीवों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर चिंता जताते हुए ध्यान आकर्षित किया गया हैं।
पर्यटन विकास का सुदृढ़ आधार बनी चम्बल नदी राजस्थान की नहीं देश की पहचान बन गई है। इससे राजस्थान को नई पहचान मिली यह नदी राजस्थान की धड़कन बन गई हैं। राजस्थान को प्रगति और उन्नति के शिखर पर पहुँचाने में चम्बल के भागीरथी योगदान को आधार बना कर ज्ञानवर्धक, उपयोगी एवं संग्रहनीय पुस्तक को सरल, सहज एवं बोधगम्य भाषा में आठ अध्यायों की मणि माला में पिरो कर प्रामाणिक जानकारी देने का प्रयास लेखक द्वारा किया गया हैं। हार्ड बाइंड 160 पृष्ठ की पुस्तक को रोचक बनाने के लिये आवश्यकतानुसार चित्र भी दर्शाये गये हैं। पुस्तक का मूल्य भी वाजिब 250 रुपये रुपये रखा गया है। पुस्तक का महत्व इस दृष्टि से विशेष है कि चम्बल नदी पर यह प्रथम किताब है। राज्य के नगरीय विकास मंत्री श्री शांति कुमार धरीवाल ने भी पुस्तक के लिए अपना सन्देश भेजा, जिसे प्रारम्भ में स्थान दिया गया है।
यह पुस्तक नदियों एवं नदी से सम्बंधित विषयों को जानने के इच्छुक प्रेमियों के साथ-साथ विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए उपयोगी होगी ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास हैं। अब तक अछूते रहे विषय पर लिखी गई यह कृति अभिनन्दनीय और वंदनीय है।

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