संपादकीय

मजबूत व उन्नतिशील राष्ट्र का निर्माण हेतु नशे को उखाड़ फेंकना होगा!

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर,कालमिस्ट व युवा साहित्यकार

यह बहुत ही दुखद है कि आज हमारी युवा पीढ़ी नशे की लत में लगातार घुलती चली जा रही है। लहू की जगह आज युवाओं की रगों में ड्रग्स या अन्य नशे दौड़ रहे हैं और इस बात की पुष्टि अखबारों और मीडिया की खबरों से होती है। हम आए दिन अखबारों में शराब, नशीली दवाएं, गांजा, चिट्टा, अफीम पकड़े जाने की खबरें पढ़ते हैं। आज के समय में, हमारे देश में शराब, सिगरेट, तंबाकू(जर्दा, खैनी) का सेवन आजकल बहुत आम हो गया है, लेकिन इसके अलावा भी लोग अलग अलग तरह के नशे करते हैं, जिनमे शराब, अफीम, चरस, गांजा (भांग), हेरोइन व कोकेन जैसे घातक नशीले पदार्थ शामिल हैं। कुछ लोग तो विभिन्न दवाइयों का इस्तेमाल भी नशे के रूप में करते हैं। यहां तक कि लोग खांसी के सिरप और कुछ निद्रकारक गोलियों का इस्तेमाल नशे के रूप में करते हैं। कोई पेट्रोल सूंघकर नशा करता है, कोई थिनर सूंघ कर तो कोई सिलोचन से नशा करता है, तो कोई आयोडेक्स तक को नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। बहुत बार नशे के सेवन से होने वाली मौतों की खबरें भी हम पढ़ते ही है। युवा वर्ग यह सोचता है कि नशे से उसकी टेंशन, अवसाद दूर हो जाएगा। बुरी संगत के असर से कोई भी युवा आज आसानी से नशे के चंगुल में फंस जाता है और उसको नशे की लत लग जाती है।नशे की लत में फंसने के बाद वह चाहकर भी इस बुरी लत को नहीं छोड़ पाता है। नशे की लत के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें क्रमशः जेनेटिक्स, फैमिली हिस्ट्री, पर्यावरणीय और मनोवैज्ञानिक कारण, मानसिक विकार जैसे अवसाद, तनाव, जीवन में किन्हीं दर्दनाक घटनाओं का घटित हो जाना, स्कूल या कालेज में दोस्तों व सहपाठियों की कमी, अकेलापन आदि प्रमुख कारण हैं। कई बार घर से दूर रहने के कारण भी युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ जाती है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है, इसलिए व्यस्तता बहुत जरूरी है। वास्तव में,नशे की लत का लगना किसी बीमारी से कम नहीं है। यदि नशे की लत व्यक्ति लग जाए तो उसका दिमाग सही तरीके से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो,नशे की लत एक क्रॉनिक है, जो बार–बार लौटने वाली बीमारी है। इससे दिमाग में लंबे समय तक चलने वाले कैमिकल बदलाव होते हैं, जो नशे की लत को छूटने नहीं देते। आज अनेक स्थानों पर विभिन्न ड्रग्स माफिया, ड्रग्स रैकेट सक्रिय हैं। उनको सिर्फ और सिर्फ अपने लाभ से मतलब है। वे देश की युवा पीढ़ी को अपने फायदे के लिए नशे की गर्त में धकेल रहे हैं। हालांकि प्रशासन व सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करता है लेकिन ऐसे लोग साम-दाम-दंड-भेद अपनाकर या रसूखदार व्यक्तियों, बेईमान नेताओं की मिलीभगत से पुलिस की गिरफ्त से आसानी से छूट जाते हैं। बहुत दुखद और संवेदनशील है कि आज मादक पदार्थ देश की नई पीढ़ी को लगातार चाट रहे हैं। ड्रग्स के सेवन व इससे जुड़े आपराधिक मामले बहुत ही भयावह हैं।नशे की लत से निजात पाने का बेहतरीन विकल्प है खुद को हमें हमेशा मोटीवेट व सकारात्मक रखना चाहिए और अच्छी संगत में रहना चाहिए और बुरी संगत वाले लोगों से स्वयं को दूर रखना चाहिए। शिक्षा का प्रसार बहुत ही जरूरी व आवश्यक है, क्यों कि शिक्षा प्राप्त करके हम सही मार्ग पर चल सकते हैं और समाज में व्याप्त बुराईयों के खिलाफ कदम उठा सकते हैं। हमें तनाव व अवसाद से निपटने के लिए स्वस्थ तरीकों को सीखने, सिखलाने की आज बहुत जरूरी है, क्यों कि आज की जिंदगी भागमभाग और दौड़-धूप भरी जिंदगी है, जहां पल पल परेशानियां हैं, दिक्कतें हैं लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि जीवन कभी भी फूलों की सेज नहीं होता है। जीवन में सुख और दुख का संगम है। यहां कभी धूप है तो कभी छांव है। हमें जीवन में संघर्ष करना सीखना चाहिए और परेशानियों से कभी भी विचलित नहीं होना चाहिए। हमें अपने परिवार के साथ घनिष्ठ और अच्छे संबंध रखने चाहिए और इस बात पर गहनता से चिन्तन मनन करना चाहिए कि नशा जीवन को बर्बाद ही करता है। नशे से स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, बहुत बार बड़ी बीमारियां घेर सकती हैं। नशे से धन की बर्बादी होती है और आदमी कहीं का भी नहीं रहता है। समाज नशे करने वाले लोगों को घृणित नजरों से देखता है। नशे के कारण ही आज समाज में क्राइम की घटनाओं में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हो रही है। चोरी की घटनाओं को भी नशे के कारण बल मिलता है।आज नशे के कारण जो कुछ रोजाना हो रहा है, उससे यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि स्थिति कितनी खतरनाक है।आज हमें स्वस्थ जीवनशैली को विकसित करने की जरूरत है, हमें चाहिए कि हम अच्छे दोस्त चुनें। सकारात्मक रहें, ईश्वर में विश्वास रखते हुए हमेशा आगे बढ़ें। आदर्श लोगों की जीवनियों को हमें पढ़ना चाहिए कि किस प्रकार उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष करते हुए सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। एक आंकड़े के अनुसार आज देश के 29 फीसदी से अधिक लोग नशे की गिरफ्त में हैं। दो तीन साल पहले एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक में यह खबर आई थी कि दुनिया में नशे का कारोबार लगभग तीस लाख करोड़ रुपए का है और देश की बीस प्रतिशत आबादी नशे की गिरफ्त में है। हमारे देश में तो फिल्मी हस्तियां तक नशे के कारण सुर्खियों में रहीं हैं। हमारे युवा फिल्मी हस्तियों को अपना रोल माडल मान बैठते हैं और उनका अनुसरण करते हैं,यह बहुत ही ग़लत है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (एनडीडीटी), एम्स की वर्ष 2019 की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में ही लगभग 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है।रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1.5 करोड़ महिलाएं देश में शराब,अफीम और कैनबिस का सेवन करती हैं। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी (10-75 वर्ष के बीच की) विभिन्न प्रकार के नशे की चपेट में है। युवा पीढ़ी किसी भी देश का असली भविष्य होते हैं और जब युवा पीढ़ी ही नशे की गर्त में होगी तो यह देश व समाज के लिए एक बड़ा खतरा है। आज नशामुक्ति अभियान के तहत हर गांव, हर शहर, हर गली, हर कूचे, हर सडक़, हर स्कूल, हर कॉलेज में यहां तक कि विभिन्न सरकारी कार्यालयों तक में भी नशा मुक्ति के नारे बुलंद किए जा रहे हैं, बावजूद इसके भी आज हमारा समाज नशायुक्त होता जा रहा है। हालांकि पिछले कुछ समय से ड्रग्स का कारोबार करने वालों पर एनसीबी की सख्त कार्रवाई भी हुई है। हम यह बात कह सकते हैं कि ज्यों ज्यों मर्ज की दवा हम कर रहे हैं, त्यों त्यों मर्ज बढ़ता ही जा रहा है। आज युवा वर्ग ही नहीं, बल्कि अब छोटे बच्चे भी इसकी जद में हैं। ड्रग्स का जहर स्कूलों और कालेजों में पढ़ रहे युवाओं की रगो में आज पहुंच रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि दुनियाभर में नशे की वजह से तकरीबन दो लाख मौतें हर साल होती हैं और भारत में पिछले कुछ ही सालों में ही ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी तक बढ़ गया, जोकि चिंतित करने वाला आंकड़ा है। यह बहुत ही संवेदनशील और महत्वपूर्ण है कि तमाम पाबंदियों के बावजूद भारत डार्कनेट पर बिक रहे मादक पदार्थों की आपूर्ति के लिए दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा सूचीबद्ध किए जाने वाले देशों में से एक है।लोगों पर नशे की बढ़ती गिरफ्त और इसके दुष्परिणामों को देखते हुए भारत में भी राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कईं कानून भी बनाए गए हैं, इसके बावजूद भी इस पर अमल नहीं हो पाता, यह वास्तव में विडंबना ही कही जा सकती है। वास्तव में, ‌‌जब नशे से आत्महत्या, हत्या, चोरी व क्राइम की घटनाएं आम होने लगे तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि हमारा समाज, प्रांत व राष्ट्र खतरे में हैं। निःसंदेह सरकार और कानून ड्रग्स के विरुद्ध लगातार प्रयासरत और सक्रिय हैं, लेकिन यहां माता-पिता, अध्यापकों और कुल मिला कर समाज का दायित्व अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। आज ड्रग्स की तस्करी के काले धंधे के खिलाफ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व उत्तराखंड की सरकारों को सांझे तौर पर सजगता से काम करने की आवश्यकता है। यह काबिलेतारिफ है कि आज भारत सरकार नशे को रोकने को के लिए रोजाना हर एक संभव कोशिश कर रही है और लोगों को जागरूक कर रही है। भारत में बहुत सारे काउंसिलिंग सेन्टर व नशामुक्ति केंद्र खुल रहे हैं। लोगों को इनमें इलाज मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन नशामुक्ति के लिए सांसें प्रयासों को बल दिए जाने की जरूरत है।अगर हमें एक मजबूत व उन्नतिशील, प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण करना है, तो हमे नशे जैसी को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *