शिक्षा

“महिला शक्ति पर्व सम्मेलन”- अभावग्रस्त मेघावी बेटियों को पढने के लिये लगे पंख

राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा मे अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य एक“ महिला शक्ति पर्व सम्मेलन” का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत अभावग्रस्त एवं मूलभुत सुविधाओं से वंचित मेधावी 11 बालिकाओं को पुस्तकालय से जोडा गया और इस पुनीत कार्य मे राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय केशवपुरा कोटा मे हिंदी के व्याख्याता पद पर कार्यरत डा.रजना शर्मा ने निभाई संरक्षक की भूमिका।
इस अवसर पर पुस्तकालय से जोडी गयी हेमलता जाटव (कक्षा -12) की मां फलों का ठेला लगाती है तथा पिता दिवंगत हो चुके है, निकिता मेघवाल (कक्षा -12) मां दूसरों के घरो पर खाना बनाती है पिता दिवंगत हो चुके है, संगम कुमारी वर्मा के माता दृपिता शब्जी बेंचते है। निकिता व्यास (कक्षा -11) के पिता मजदूरी करते है शिवानी सेन (कक्षा -12) के माता दुसरो के घरो पर कार्य करती है तो पिता फेक्ट्री मे कार्य करते है कोमल यादव के पिता मजदूरी करते है। विशाखा शर्मा के पिता डाईवरी करते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद काम नही। संजना जाटव के पापा मजदूरी करते है तो मां निजि चिकित्सालय मे कार्य करती है, मीना बोचावत के पापा मजदूरी तथा मा छाडु दृपोंच्छें का कार्य करती है।
प्रतिभाशाली अभावग्रस्त इन बेंटियों का पब्लिक लाईब्रेरी की वरिष्ठ महिला पाठक आशा यादव, टीना शर्मा, अपेक्षा चतुर्वेदी, विनिता जडियां, नम्रता सिंह, निधि शर्मा, मानसी हाडा, लक्षिता चतुर्वेदी प्रिति नागर ने माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा उन्हें कोटा पब्लिक लाईब्रेरी की सदस्यता दी गयी।
इस अवसर पर कोमल, विशाखा, शिवानी, निकिता ने कहा कि – इस पुस्तकालय का वातवरण शांत है तथा महिलाओं के लिये सुरक्षित भी है, जो पढने के लिये श्रेष्ठ है वहीं संजना कहती है हम यंहा 5-6 घंटें निर्बाध गति से अध्ययन कर सकते है। हेमलता ने कहाकि कि यहा के कार्मिको का व्यवहार बहुत ही अच्छा है। संगम कहती है कि मेरी बहुत ईच्छा ठीक कि मे लाईब्रेरी आकर पढुं वह सपना आज पुरा होने वाला है। संगम कुमारी का कहना है कि मेरा आज पहला दिन है मुझे यह लगा कि पढाई के लिये यह सबसे सही जगह है।
इस अवसर पर पुस्तकालयाध्यक्ष डा दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सार्वजनिक पुस्तकालयो का प्रमुख दायित्व कम्युनिटीज को इंटेलेक्चुअल वर्ल्ड से कनेक्ट करना है तभी हम सांस्क्रतिक रुप से और सम्रद्ध हो सकेंगे। उन्होने बताया कि आज अधिकतर अभावग्रस्त बच्चों के परिवार एक कमरे मे निवास करने के मजबूर है इसलिये सार्वजनिक पुस्तकालयो की भुमिका इस मायने मे अतिमहत्वपुर्ण है इसलिये शहर के भामाशाहों को सारवजनिक पुस्तकालयों के विकास के लिये आगे आना चाहिये। इस अवसर “बी इंस्पायर्ड” थीम पर आधारित कोटा की महिला लेखको की प्रदर्शनी लगाई गयी।

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