शिक्षा

बनाएं ग्रीन एनर्जी में अपना करियर

– देवराज सिंह
(वीपी – टेक्निकल, इलेक्ट्रोनिक्स सैक्टर स्किल काउंसिल आफ इंडिया)

किसी भी देश के लिए बेहद जरूरी होता है कि वह अपनी उर्जा को सही मायनों में बचाकर रखे, ताकि वहाँ के लोग अपने जीवन को स्थायी रख सके और अपनी जरूरतों को पूरा कर सके। बिजली भी उर्जा का एक स्त्रोत है। आज बिजली का महत्व इतना बढ़ गया है कि लगभग सभी कार्य बिजली के द्वारा किए जाते है। घर में, उद्योगो में, स्कूलों में कार्य करने के लिए हर जगह बिजली की आवश्यकता भारी मात्रा में होती है।
यदि आज बिजली का ज्यादा उपयोग हो रहा है तो कहीं ना कहीं कारण बढ़ती जनसंख्या भी है। जितनी जन संख्या ज्यादा होगी उतनी ज्यादा बिजली उपयोग में लाई जाएगी। बिजली का ज्यादा उपयोग हमारे पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। बिजली से चलने वाले ऐसे कई उपकरण है जिनकी विशैली गैसे हवा में घुल कर पूरे पर्यावरण को दूशित कर देती है। यदि हम चाहते है कि इसको रोका जाए तो हमें कुछ ऐसे कदम उठाने की जरुरत है जो पर्यावरण को दूषित करने से तो बचाते ही हो और साथ ही साथ बिजली के उत्पादन में भी मददगार साबित हो। यह कार्य सोलर पैनल द्वारा मुमकिन है। आइए जानते हैं, आखिर क्या है सोलर पैनल?

  • क्या है सोलर पैनल?

सोलर पैनल सोलर सैल से बना होता है। सोलर पैनल वे उपकरण हैं जिनका उपयोग सूर्य की किरणों को सोखने के लिए और उन्हें बिजली या गर्मी में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। यह वास्तव में फोटोवोल्टिक सैल्स का एक संग्रह है जिसका उपयोग फोटोवोल्टिक प्रभाव के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है। इन सैल्स को सोलर पैनलों की सतह पर ग्रिड जैसे पैटर्न में व्यवस्थित किया जाता है।
यदि हम सोलर पैनल का इस्तेमाल करते है तो हमे किसी जनरेटर या किसी दूसरी बिजली की आवश्यकता नहीं होती है और ना ही इससे प्रदूषण होता है। सोलर पैनल इतने बड़े होते है कि पूरे घर की, बड़े बड़े उद्योगों की लाइट को कंट्रोल कर सकते है। भारत में बिजली की लागत व कीमत दोनो ही काफी तेजी से बढ़ रही है। इसलिए बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर पैनल का उपयोग सबसे बेहतर है।

  • सोलर पैनल का महत्व

सोलर पैनल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह प्रदूषण फैलाए बिना उर्जा उपलब्ध करवाते है। इनमें विद्युत निर्माण के दौरान न कोई विशैली गैस उत्पन्न होती है न ही यह वायु को प्रदुषित करती है। इनमें उर्जा निर्माण के दौरान कोई तेज ध्वनि उत्पन्न नहीं होती जो कि ध्वनि प्रदूशण मुक्ति का भी एक उदाहरण है। सोलर पैनल कोई विकिरण प्रभाव भी नही डालते है। आजकल कृषि क्षेत्र में भी खेतों में काफी हद तक सोलर पैनल का इस्तेमाल होने लगा है। बिना किसी बिजली कनैक्शन के प्राकृतिक रूप से बिजली उपलब्ध हो जाती है, जो खेतों में कृषि उपकरणों को चलाने में सहायता करती है।
घरों में भी छतों पर सोलर पैनल लगाए जाने लगे है। सर्दी के मौसम में गर्म पानी करना व विद्युत के लिए सौर उर्जा का प्रयोग करके खर्चे में भी कमी की जा सकती है तथा वातावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा आर्थिक रूप से इनका मूल्य उचित है तथा इसकी संभाल व देख-रेख के लिए कोई विशेष परिश्रम की भी आवश्यकता नहीं होती है।

  • भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

भारत सरकार ने सौर उर्जा की दिशा में प्रगति करना शुरू कर दिया है। मिनिस्ट्री आफ न्यू एंड रिन्यूऐबल एनर्जी (एमएनआरई) ने कई केंद्रीय वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की है और 2022 तक 175 गिगावाट की सौर पैनल क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
भारत सरकार ने किसानों की मदद के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए है। सरकार ने कुसुम योजना नाम से किसानों के लिए एक योजना चलाई है जिसकी मदद से किसान अपने खेतों में सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। इस योजना के तहत देश भर में सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी डीजल/बिजली के पंप को सोलर उर्जा से चलाने की योजना है। सोलर पैनल स्थापित करने के लिए किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा। सरकार किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी व लोन के रूप में 30 प्रतिशत की रकम भी देगी। 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंप को बिजली या डीजल की जगह सौर उर्जा से चलाने की कोशिश की जा रही है। अपने घर की छत पर सोलर पावर प्लांट लगाकर बिजली पैदा करने वाले लोगों को केंद्र सरकार 70 फीसदी सब्सिडी देगी।

  • छात्र यह कोर्स कहां से कर सकते है?

सोलर पैनल टैक्निशियन की बढ़ती मांग को देखते हुए यदि छात्र इस कोर्स में अपना बेहतर करियर बनाना चाहते है तो इलेक्ट्रोनिक्स सैक्टर स्किल काउंसिल आफ इंडिया के तहत पंजीकृत ट्रेनिंग पार्टनर्स के माध्यम से प्रशिक्षण ले सकते है। यह काॅउंसिल विद्यार्थीयों को अपने ट्रैनिंग पार्टनर की मदद से ट्रेनिंग करवाता है और सेर्टिफिकेट प्रदान करता है। ट्रैनिंग सेन्टर्स की जानकारी आप दी गई वैबसाइट http://pmkvyofficial.org/find-a-training-centre.aspx पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

  • नौकरी का संक्षिप्त विवरण :-
इंस्टाॅलेशन साइट का आंकलन करना। इंस्टाॅलेशन की आवश्यक शर्तों को समझना। डिजाइन के अनुसार लेआउट की जरूरत को समझना। इंस्टाॅलेशन मैटीरियल की व्यवस्था करना। ग्राहक के अनुसार सौर पैनल स्थापित करना।
  • सोलर पैनल टैक्निशियन बनने के लिए यह व्यक्तिगत गुण होने अनिवार्य है :-

1. लम्बे समय तक खड़े होने की व काम करने की क्षमता रखता हो।

2. सोलर पैनल को संभालने के लिए अच्छी षारीरिक षक्ति हो।

3. शहर, गांव, खेत या छत जैसे विभिन्न स्थानों पर काम करने की इच्छा रखता हो।

  • न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता :- 10वीं पास होना अनिवार्य है।
  • अधिकतम शैक्षणिक योग्यता :- आईटीआई/डिप्लोमा (इलैक्ट्रिकल मैकेनिकल)।
  • अनुभव :- न्यूनतम 6 महीने लेकिन इक्विपमेंट इंस्टाॅलेशन में अनुभव अनिवार्य नहीं है।
  • कोर्स पूरा होने के बाद नौकरी के अवसर :-

इस कोर्स को करने के बाद व्यक्ति इंस्टाॅलेशन इंजीनियर और प्रोटोटाइप डेवलपर बन सकता है।

  • इस कोर्स को करने की समय अवधि :- 400 घंटे हैं।
  • इस नौकरी का सैलरी पैकेज क्या रहेगा :- इस नौकरी का सैलरी पैकेज 2.5 लाख रुपए प्रति वर्ष होगा।

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