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फिल्म ‘छपाक’ में एसिड सर्ववाईवर की वेदना, उसका दर्द आपको अंदर तक कचोट कर रख देगी

फिल्म का नाम : छपाक
फिल्म के कलाकार : दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी, अंकित बिष्ट
फिल्म के निर्देशक : मेघना गुल्ज़ार
फिल्म के निर्माता : फॉक्स स्टार स्टूडियोज, दीपिका पादुकोण, गोविंद सिंह संधू
रेटिंग : 4/5

लड़कियों को कमज़ोर समझने वाले हमारे इस समाज में पुरूषत्व हमेशा से चरम पर रहा है। हमेशा से ही संस्कृति की दुहाई देने वाले हमारे इस समाज में यदि कोई युवती समाज के पुरूष की इच्छा के खिलाफ जाती है तो उसे किसी न किसी तरीके से दबाने या तोड़ने की कोशिश की जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ लक्ष्मी के साथ जब उसने एक पुरूष के प्रस्ताव को नकार दिया। इस इंकार की उसे बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी। एसिड अटैक जैसी घटनाओं ने लक्ष्मी जैसी हज़ारों लड़कियों के अस्तित्व को चोट पहंुचाई है। मेघना ने लक्ष्मी की ही कहानी को छपाक में उजागर किया गया है।

फिल्म की कहानी :
फिल्म छपाक की कहानी लक्ष्मी अग्रवाल की है लेकिन इस फिल्म में किरदार का नाम मालती अग्रवाल रखा गया है। मालती (दीपिका पादुकोण), जिसपर एसिड से अटैक किया गया है। एसिड से मालती का पूरा चेहरा बिगड़ चुका है और उसकी जिंदगी एकदम बदल गई है। लोगों का शक उसके बॉयफ्रेंड राजेश (अंकित बिष्ट) पर जाता है, लेकिन मालती का गुनहगार राजेश नहीं बल्कि उसी का जानकार बब्बू उर्फ बशीर खान और उसकी रिश्तेदार परवीन शेख है।
जिंदगी की जद्दोजहद में मालती की मदद के लिए उसके पिता की मालकिन शिराज और उनकी वकील अर्चना (मधुरजीत सरघी) आती हैं। अर्चना, मालती का केस लड़ती है और उसे न्याय दिलाने के लिए पूरी कोशिश करती है। वहीं मालती की मुलाकात होती है अमोल से, जो अपनी पत्रकार की नौकरी छोड़कर एसिड अटैक सर्वाइवर्स के इलाज के लिए एनजीओ चलाता है। मालती और अमोल साथ काम करते हैं और धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार हो जाता है। मालती को न्याय के लिए कितना जद्दोजहद करना पड़ता है, किन-किन परेशानियों से लड़ना पड़ता है। परिस्थितियों से जूझना पड़ता है……..यह सब जानने के लिए और मालती (एसिड सर्ववाइवर) के दर्द को महसूस करने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

बात करें अदाकारी की तो दीपिका पादुकोण की अदाकारी काबिले तारीफ है। मालती के किरदार के लिए दीपिका से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था। फिल्म देखकर आपको लगेगा कि दीपिका ने मालती के किरदार को जिया है। जब तक कोई कलाकार किसी भी किरदार को अपने अंदर नहीं उतार लेता तबतक वो किरदार या अदाकारी निखर कर नहीं आता। मालती के किरदार में आपको दर्द, खुशी, हिम्मत सबकुछ देखने को मिलेगा। विक्रांत मैसी ने अमोल के किरदार में अपने आपको पूरी ढाला है। दिन पर दिन विक्रांत की अदाकारी और भी बेहतरीन होती जा रही है, अब उन्हें अपने आपको साबित करने की ज़रूरत नहीं है। दीपिका के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों को काफी पसंद आएगी। अन्य कलाकारों की अदाकारी भी बढ़िया है, सभी ने अपना-अपना किरदार बखूबी निभाया है।

बात करें निर्देशन की तो मेघना गुलजार ने फिल्म किरदारों पर, स्थितियों पर, सिनेमेटोग्राफी, म्यूजिक, एडिटिंग और प्रोस्थेटिक्स सभी पर बहुत ही बारीकी से काम किया है। किसी के दर्द को पर्दे पर उतारना एक बहुत ही मुश्किल काम है जिसे मेघना ने बहुत ही अच्छे से किया है। कुल मिलाकर फिल्म का निर्देशन बहुत कमाल का है। गुलजार के लिखे लिरिक्स और अरिजीत सिंह की आवाज आपको अंदर तक झिंझोड़ कर रख देखी है।

फिल्म क्यों देखें? :
एक एसिड सर्ववाईवर के अंदर की वेदना, चित्कार और उसकी परिस्थिति को समझने और महसूस करने के लिए आपको यह फिल्म ज़रूर देखनी चाहिए क्योंकि किसी के शरीर पर जब बाहरी चोट पहंुचाई जाती है तो उसका तन ही नहीं बल्कि मन भी बुरी तरह से ज़ख्मी हो जाता है।

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