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1897 के सारागढ़ी के युद्ध में शहीद हुए 21 सिख जवानों के शौर्य की गाथा बयां करती ‘केसरी’

फिल्म का नाम : ‘केसरी’
फिल्म के कलाकार: अक्षय कुमार, परिनीति चोपड़ा, गोविंद नामदेव, राकेश चतुर्वेदी ओम, वंश भारद्वाज, विवेक सैनी
फिल्म के निर्देशक : अनुराग सिंह
फिल्म के निर्माता : करन जौहर,
रेटिंग : 3.5/5

निर्देशक अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी फिल्म ‘केसरी’ होली के त्योहार पर रिलीज़ हो चुकी है। यह फिल्म वर्ष 1897 के ऐतिहासिक सारागढ़ी के युद्ध पर आधारित है। केसरी को भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी लड़ाई माना जाता है, इसमें सिख सैनिकों ने सारागढ़ी किला बचाने के लिए पठानों से अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी थी। जानते हैं फिल्म कैसी है…..

फिल्म की कहानी :
यह वाक्या है 1897 का जब हिंदुस्तान में अंग्रेजों की हुकूमत थी। उस वक्त अंग्रेज़ हर मुमकिन कोशिश किया करते थे कि हिंदुस्तानी हमेशा उनके गुलाम बने रहें। अफगान भी हिस्दुस्तान पर आक्रमण करना चाहता था। गुलिस्तान फोर्ट पर तैनात हवलदार ईशर सिंह (अक्षय कुमार) ब्रिटिश राज की सेना में एक सिपाही है। अफगानी सरगना (राकेश चतुर्वेदी ओम) के हाथों वह एक शादीशुदा औरत का कत्ल होने से बचाता है। जिसकी वजह से उसे सजा के तौर पर उसका ट्रांसफर गुलिस्तान फोर्ट से सारागढ़ी फोर्ट में तैनात कर दिया जाता है। सारागढ़ी आने के बाद ईशर को लगता है कि वहां के 21 सैनिकों में अनुशासन की कमी है। वह पहले सिपाहियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाता है। ईशर सिंह अपने ख्यालों में अपनी पत्नी (परिणीति चोपड़ा) को याद करता है और उससे अपने मसलों पर बात भी करता है। ईशर सिंह की तरह दूसरे सिपाही भी अपने घर-परिवार को याद करते हैं। इसी बीच उन्हें पता चलता है कि अफगानी सरगना अफगानी पठानों की एक बड़ी फौज तैयार करके सारागढ़ी पर हमला करने वाला है। अंग्रेजी हुकूमत मदद न भेज पाने के कारण ईशर सिंह को उसके जवानों समेत किला छोड़कर भाग जाने की सलाह देती है, मगर ईशर सिंह को याद आ जाती है उस अंग्रेज मेजर की बात, जिसने कहा था कि तुम हिंदुस्तानी कायर हो, इसीलिए हमारे गुलाम हो। उस वक्त ईशर सिंह अपने गौरव के लिए शहीद होने का फैसला करता है और उसके इस फैसले में वो 21 जांबाज सिपाही भी उसका साथ देते हैं। पूरी कहानी को जानने के लिए आपको सिनेमाघर का रूख करना पड़ेगा।

बत करें एक्टिंग की तो ईशर सिंह के किरदार में अक्षय कुमार खूब जमे हैं, उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है। कहीं भी उनकी एक्टिंग ओवर नहीं लगती। एक सिक्ख की भूमिका में उनकी संवाद अदायगी कमाल की है। फिल्म में परिणीता का रोल बहुत ही छोटा है, लेकिन शायद फिल्म की कहानी के हिसाब से उनके रोल के विस्तार की कोई ज़रूरत भी नहीं थी। सभी अन्य कलाकारों ने अपने-अपने रोल को बखूबी निभाया है।

फिल्म के पहले भाग से ज़्यादा दूसरा भाग काफी प्रभावी है। कुछ सीन हैं जो आपके रोंगटे खड़े कर देते हैं। यह एक वाॅर फिल्म है लेकिन इसका स्क्रीनप्ले अच्छा होने की वजह से आप अंत फिल्म छोड़कर उठ नहीं पाते। संवाद जोशीले हैं, वाॅर सीन काॅफी रियल लगते है जो आपके रोंगटे खड़े करते हैं।

फिल्म क्यों देखें :
सारागढ़ी की कहानी एक ऐतिहासिक कहानी है, जिसे शायद ही हर कोई जानता होगा। फिल्म अच्छी है। परिवार के साथ देख सकते हैं, आपके पैसे बेकार नहीं जाएंगे।

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