मूवी रिव्यु

चमन पर बालों का न होना कितनी बड़ी दिक्कत है, यही बताती है फिल्म ‘उजड़ा चमन’ की कहानी

फिल्म का नाम : उजड़ा चमन
फिल्म के कलाकार : सनी सिंह, करिश्मा शर्मा, मानवी गागरू, सौरव शुक्ला, शारीब हाशमी, ऐश्वर्या सखुजा
फिल्म के निर्देशक : अभिषेक पाठक
फिल्म के निर्माता : कुमार मंगत और अभिषेक पाठक
रेटिंग : 2.5/5

निर्देशक अभिषेक पाठक के निर्देशन में बनी फिल्म उजड़ा चमन कन्नड़ फिल्म ‘ओंडू मोट्टेया काथे’ का हिंदी रीमेक है। आज से फिल्म सिनेमाघरों में लग चुकी है। फिल्म की कहानी कम उम्र ही गंजेपन का शिकार हुए व्यक्ति पर अधारित है।

फिल्म की कहानी :
चमन कोहली की उम्र 30 साल है वो दिल्ली के हंसराज कॉलेज में हिंदी का प्रोफेसर है। चमन का परिवार चाहता है कि कैसे भी करके चमन की शादी हो जाए, लेकिन इसमें तीन बड़ी मुश्किलें हैं। सबसे बड़ी दिक्कत है उसका गंजापन, जिसके चलते कोई भी लड़की उसे पसंद नहीं करती है। कुछ लड़कियों की या तो फैमिली रिजेक्ट करती है या उन लड़कियों को कैसे एप्रोच करना है ये चमन नहीं जानता। दूसरी दिक्कत है कि उसके पास वक्त बहुत कम है, क्यूंकि उसके फैमिली पंडित ने कहा है कि अगर 31 साल तक उसकी शादी नहीं हो जाती तो वो आजीवन कुंवारा रहेगा। तीसरी दिक्कत है चमन की खुद की एक्सपेक्टेशन, कहने का मतलब यह वो चाहे कैसा भी हो, लेकिन उसे लड़की चाहिए खूबसूरत। अपने गंजेपन को छिपाने के लिए चमन विग लगाने से लेकर ट्रांसप्लांट तक की सोचता है, लेकिन बात नहीं बनती। जैसे-तैसे अप्सरा (मानवी गगरू) के रूप में उसे एक लड़की मिलती है, वैसे तो वो थोड़ी मोटी है लेकिन फिर भी वो चमन से शादी करने को तैयार है। क्या अप्सरा और चमन की शादी हो पाती है। और क्या चमन अपने गंजेपन की परेशानी को भूलकर आगे बढ़ पाता है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना पड़ेगा।

फिल्म का सब्जेक्ट नया और अलग है लेकिन निर्देशन कमज़ोर है। पहले भाग के बाद फिल्म को दूसरे भाग तक आते-आते गति पकड़ लेना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दूसरे भाग तक आते-आते फिल्म की कहानी बोझिल सी लगने लगती है। फिल्म का संगीत बेहद कमज़ोर है, गाने ऐसे होने चाहिए कि जो जुबां पर चढ़ जाऐ।

सनी सिंह को फिल्म में एक सुनहरा मौका मिला था कि वह फिल्म में सपोर्टिंग रोल के बजाए लीड रोल में है, लेकिन उनकी एक्टिंग कुछ खास नहीं लगी। मानवी गंगरू का संवेदनशील अभिनय फिल्म को थोड़ा बहुत दर्शनीय बनाता है। सौरभ शुक्ला की कॉमिक टाइमिंग अच्छी है। बेशक वो दो एक छोटे-छोटे सीन में हैं लेकिन जो भी है ठीक हैं। फिल्म की सपॉर्टिंग कास्ट अच्छी है। चमन के पैरंट्स की भूमिका में अतुल कुमार और ग्रूशा कपूर भरपूर मनोरंजन करते हैं। अन्य भूमिकाओं ने गौरव अरोड़ा, करिश्मा शर्मा, ऐश्वर्या सखूजा ने भी अपने किरदारों से न्याय किया है।

फिल्म क्यों देखें? : फिल्म एक ही बार देखने लायक है।

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