मूवी रिव्यु

एक्शन-ड्रामा फिल्म मरजावां प्यार-मोहब्बत, बदला, कुर्बानी का मिक्सचर है जिसे आप फैमिली के साथ देख सकते हैं

फिल्म का नाम : मरजावां
फिल्म के कलाकार : सिद्धार्थ मल्होत्रा, रितेश देशमुख और तारा सुतारिया, रकुल प्रीत सिंह, रवि किशन, नासर, उदय नेने, शाद रंधावा, गोदान कुम
फिल्म के निर्देशक : मिलाप जावेरी
फिल्म के निर्माता : भूषण कुमार, निखिल आडवाणी
रेटिंग : 2.5/5

लेखक-निर्देशक मिलाप जावेरी के निर्देशन में बनी फिल्म मरजावां आज ही रिलीज़ हुई है। एक निर्देशक के रूप में मिलाप की यह पहली फिल्म है। यह एक एक्शन-ड्रामा फिल्म है। फिल्म कैसी है जानते हैं…..

फिल्म की कहानी : रघु (सिद्धार्थ मल्होत्रा) बचपन से ही अनाथ है उसे नासर (अन्ना) ने सहारा दिया इसलिए रघु के लिए अन्ना का कोई भी आदेश पत्थर पर खींची हुई लकीर की तरह है। अन्ना एक टैंकर माफिया है उसके इस गोरख धंधे को चलाने में अन्ना का राईट हैंड रघु हमेशा साथ देता है। अन्ना उसे (रघु) को अपने बेटे से बढ़कर मानता है, मगर अन्ना का असली बेटा विष्णु (रितेश देशमुख) रघु से नफरत करता है। विष्णु बौने कद का है उसे हमेशा यही लगता है कि अन्ना का असली वारिस होने के बावजूद सम्मान रघु को दिया जाता है। बार में नाचने वाली आरजू (रकुल प्रीत) रघु पर मरती है। रघु के तीन दोस्त (उदय नेने, शाद रंधावा, गोदान कुमार) हैं जो रघु का हर काले काम में साथ देते हैं। एक दिन रघु की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है, जब कश्मीर से आई गूंगी लड़की जोया (तारा सुतारिया) से वह मिलता है। तारा सभी को संगीत सिखाना चाहती है उसे लगता है कि संगीत से हर किसी का दिल बदल सकती है। धीरे-धीरे रघु के दिल को ज़ोया अच्छी लगने लगती है इसलिए जोया के साथ रघु अच्छाई के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है। एक दिन विष्णु एक व्यक्ति का मर्डर करता है और जोया उसे मर्डर करते हुए देख लेती है। ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि रघु को अपने प्यार जोया को अपने हाथों गोली मारनी पड़ती है। जोया की मौत के बाद रघु जिंदा लाश बन जाता है, ऐसे जोया के मर्डर के जुर्म में सज़ा हो जाती है। वहां बस्ती पर विष्णु का जुल्म बढ़ता जाता है। आगे क्या होता है क्या जेल से रिहा होने के बाद रघु अपना बदला विष्णु ले पाता है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

निर्देशक-लेखक मिलाप ने एक्शन, इमोशन, लव स्टोरी, इंतेकाम आदि मिलाकर मसाला फिल्म बनाने की अच्छी कोशिश की है। लेकिन कहीं-कहीं फिल्म में ओवर एक्टिंग ज़्यादा ही दिखाई देती है। फिल्म के डायलाॅग काफी हाई हैं, यानि बहुत से डायलाॅग आपको पसंद आएंगे और बहुत से डायलाॅग काफी ओवर लगते हैं। फिल्म मरजावां के गाना तुम्ही आना ने इस फिल्म के रिलीज से पहले ही लोगों को काफी पसंद आ रहा था। बाकि दो-तीन गाने पुराने हैं जिसे रिमिक्स करके फिल्म में डाला गया है। ऐसा लगता है बाॅलीवुड में नए गाने लिखने वाले मुट्ठी भर भी नहीं हैं तभी हर फिल्म में पुराने गाने को ही रिमिक्स करके परोसा जा रहा है। फिल्म में ‘एक तो कम जिंदगानी’ गाने को रिमिक्स करके नोरा फतेही का आइटम नं. भी डाला गया है।

बात करें कलाकारों की अदाकारी कि तो इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा एक्शन हीरो के रूप में दिखे हैं, कहीं-कहीं वो ओवर भी लगे हैं जैसे- इतनी लड़ाई के बाद पता नहीं कहां से उनके मुंह में माचिस की तीली का आ जाना, ये थोड़ा अखरता है। बौने के नेगेटिव किरदार में रितेश देशमुख काफी जमे हैं। एक विलेन में पहले भी रितेश ने नेगेटिव किरदार किया था। नेगेटिव और पाॅजिटिव किरदार में सिद्धार्थ और रितेश की जोड़ी काफी अच्छी लगती है। तारा सुतारिया ने एक गंूगी लड़की का किरदार काफी अच्छे से निभाया है उनके एक्सप्रेशन काफी शानदार हैं। बार डांसर के किरदार को रकुल प्रीत ने ठीकठाक निभाया है। अन्ना के किरदार में नासर जमे हैं। इंस्पेक्टर के किरदार में रवि किशन भी दिखाई देते हैं, हालांकि उनका रोल बहुत ज़्यादा नहीं है लेकिन फिर भी जो भी है उन्होंने ठीक से निभाया है। शाद रंधावा और अन्य किरदारों ने भी ठीकठाक काम किया है।

फिल्म क्यों देखें? : फिल्म में ड्रामा बहुत है लेकिन फिर भी यह फिल्म आप अपनी फैमिली के साथ बैठ कर देख सकते हैं।

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