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सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन दर्शकों के लिए लेकर आया एक प्रेरणादायक आईएएस अधिकारी की दिलचस्प कहानी – ‘काव्या – एक जज़्बा, एक जुनून’

मुंबई। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन ऐसे दमदार किरदारों की कहानियां पेश करने में सबसे आगे रहा है, जो देश में प्रचलित रूढ़िवादिता को चुनौती देते हैं। और अब, ‘काव्या – एक जज़्बा, एक जुनून’ के साथ, यह चैनल दर्शकों के लिए एक प्रेरणादायक किरदार काव्या – एक आईएएस अधिकारी की एक दिलचस्प कहानी लेकर आया है, जिसकी महत्वाकांक्षा देश की सेवा करना और आम आदमी के लिए सही काम करना है।
टेलीविजन स्टार सुम्बुल तौकीर खान ने इस शो में टाइटल रोल निभाया है, जो आत्मविश्वास और पक्के इरादों से भरी है, और एक आईएएस अधिकारी बनने के लिए निडर होकर अपने लिए मुश्किल राह चुनती है। उनके साथ शामिल हैं मिश्कत वर्मा, जो महिलाओं के सच्चे समर्थक आदिराज प्रधान की भूमिका निभा रहे हैं, जो पूरे दिल से अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं और सिविल सेवा अकादमी में काव्या से मिलते हैं। अनुज सुलेरे ने काव्या के मंगेतर, शुभम की भूमिका कुशलता से निभाई है। काव्या के प्रति उसके गहरे लगाव और उसकी आईएएस अधिकारी बनने की आकांक्षा के बावजूद, वो उससे अपने रिश्ते और अपने करियर के बीच किसी एक को चुनने के लिए कहता है। इस चुनौती का सामना करने पर, काव्या एक आईएएस अधिकारी बनने के अपने संकल्प पर अटल रहती है। जब उसे अपने मकसद को छोड़ने के विकल्प का सामना करना पड़ता है, तब वो अपनी सगाई तोड़ने की हद तक चली जाती है।

शो के बारे में क्या कहते हैं शो के सितारे…… आइए जानते हैं

सुम्बुल तौकीर खान कहती हैं – “जिस बात ने मुझे काव्या की ओर आकर्षित किया, वो यह है कि वह एक प्रेरणादायक किरदार है। काव्या की जिंदगी का एक मकसद है: एक आईएएस अधिकारी बनना और यह मकसद उसे जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत देता है। काव्या सिर्फ एक किरदार नहीं है, वो ऐसी कई महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है जो ऐसे अनुभवों से गुजरती हैं जो उनके सब्र का इम्तेहान लेते हैं, लेकिन यह उसका अटूट उद्देश्य है जो उसे बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित करता है”

मिश्कत वर्मा कहते हैं – “मैं आदिराज का रोल निभाने के अवसर को लेकर बहुत उत्साहित हूं, एक ऐसा किरदार जो भारतीय टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले पुरुष किरदारों से बहुत अलग है। वो एक ‘आलसी प्रतिभा’ है, और उसका मनमोहक आकर्षण उसकी उल्लेखनीय बुद्धि से समान रूप से मेल खाता है। मैं निजी तौर पर महिलाओं को वो श्रेय देने में विश्वास करता हूं जिसकी वे हकदार हैं और असमानता को दूर करने में यकीन रखता हूं, और मुझमें और आदिराज में यही समानता है।”

अनुज सुलेरे कहते हैं – “महिलाएं एक अटूट शक्ति हैं – उन्हें अपनी जिंदगी या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किसी पुरुष की आवश्यकता नहीं है। वो मान्यता नहीं बल्कि सम्मान चाहती हैं; और मेरा मानना है कि पुरुष होने के नाते हमें उनका और उनकी पसंद का सम्मान करते हुए उनके सपनों का समर्थन करना चाहिए; और फिर करिश्मा होते देखने के लिए बाकी सब उन पर छोड़ दें! यह शो शुभम और काव्या के रिश्ते की उलझनों, उनके द्वारा एहसास किए जाने वाले अलग-अलग जज़्बातों और उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को बड़ी खूबसूरती से उजागर करता है।”

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