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महापौर एजाज ढेबर ने दिया ई-रिक्शा, दिव्यांग के जज्बे के सब हुए कायल

रायपुर। मनुष्य अपने जीवन से जितना प्यार करता है, अगर वह निष्ठापूर्वक अपनी प्रबल इच्छाशक्ति को जगाए रखे, जीवन के प्रति मोह पैदा करे, जीवन में रागात्मकता को जगाए रखे तभी उसका जीवन जीने योग्य बनता है। यह कहानी पूरी तरह चरितार्थ होती है छत्तीसगढ़ के दिव्यांग रामसेवक साकवार पर। एक पैर नहीं होने के बावजूद रोज करीब 8 किलोमीटर तक पैदल घूमकर और गुपचुप बेचकर वह अपने परिवार का भरण पोषण करते थे।
सोशल मीडिया पर रामसेवक साकवार का वीडियो पोस्ट होने के बाद वह लोगों के लिए एक मिसाल बन गए और सभी लोग उसके जज्बे की तारीफ कर रहे हैं। शारीरिक अक्षमता के बावजूद जीवन में संघर्ष और चुनौतियों का डटकर सामना करने की जिजीविषा की उनकी कहानी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित रायपुर के महापौर एजाज ढेबर को काफी प्रभावित किया।
दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फेसबुक वॉल पर रामसेवक की कहानी पोस्ट की गई थी। उनके संघर्ष और कड़ी मेहनत को जानने के बाद मुख्यमंत्री ने उनका पता लगाने का निर्देश दिया।
रामसेवक की जानकारी जुटाने के बाद महापौर एजाज ढेबर, रायपुर उत्तर विधायक कुलदीप जुनेजा और अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा ने शुक्रवार को रामसेवक साकवार को ई-रिक्शा के साथ पांच हजार रुपए की आर्थिक मदद सौंपी।
इस मौके पर महापौर एजाज ढेबर ने कहा, “माना में रहने वाले रामसेवक पिछले 20 वर्षों से गुपचुप का ठेला लगा रहे हैं। वे एक पैर के सहारे ही ठेला खींचकर रोज 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय कर गुपचुप बेचने जाते हैं। फेसबुक वॉल पर उनकी कहानी सामने आई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनकी पतासाजी की गई। उन्हें आगे बढ़ने और रोजगार की वृद्धि के लिए ई-रिक्शा दिया गया।”
महापौर ने कहा, “उनके लिए विशेष तौर पर ऐसा ई रिक्शा मंगवाया गया जिसमें बैठकर वे अपने गुपचुप का कारोबार कर सकें। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि शासन के कार्यक्रम और योजनाएं आखिरी व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। कोई भी ऐसा व्यक्ति, जो जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मकता के साथ संघर्ष को चुनौती के रूप में स्वीकार करता है, उनकी मदद के लिए शासन पीछे नहीं रहेगा। राज्य सरकार की ऐसी ढेरों योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से गरीबों, जरूरतमंदों और असहायों का कल्याण किया जाता है।”
महापौर ढेबर ने कहा, “मन में कुछ करने की लगन हो तो शारीरिक अक्षमताएं कभी बाधक नहीं बन सकती। शासन ने दिव्यांग रामसेवक को ई-रिक्शा दिया है जिससे उन्हें अब रोजगार में सुविधा होगी।”

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