हलचल

दाधिच राजस्थानी साहित्य की अनूठी संभावनाओं के कवि-निर्माेही

कोटा। वेदवती सभागार कुन्हाड़ी में कवि विश्वामित्र दाधीच का सम्मान ज्ञान भारती संस्था की ओर से सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जितेन्द्र निर्माेही थे। उन्होंने कहा कि विश्वामित्र दाधीच विपुल राजस्थानी साहित्य की संभावनाओं के कवि हैं। केन्द्रीय अकादमी नई दिल्ली का बाल साहित्य पुरस्कार यह बताता है कि वो अन्य विधाओं के साथ बाल साहित्य में भी स्तरीय दखल रखते हैं।उनका उपन्यास उत्तर आधुनिक युग का श्रेष्ठ उपन्यास है।
वो अच्छे निबंकार और समालोचक भी है। पुरस्कृत पोथीष्माछल्यां रा आंसूष् सोरठा परंपरा की बाल साहित्य कृति है। ऐसी कृति अब तक देखने में नहीं आई विशिष्ट अतिथि परमानंद दाधीच,महेश पंचौली ने भी अपने विचार रखे वक्ता नंद सिंह पंवार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस राजस्थानी काव्य कृति का हिंदी अनुवाद होना आवश्यक है।
आयोजन की अध्यक्षता सुरेश पंडित ने की संचालन नहुष व्यास ने किया। केन्द्रीय अकादमी नई दिल्ली से बाल काव्य कृति ‘माछळ्यां का आंसू’ पर बोलते हुए कवि विश्वामित्र दाधीच ने कहा की इस कृति की रचना के पीछे चंबल कोटा बैराज की वह घटना है। जब हजारों मछलियां मैंने इसके तट पर मरी हुई देखी। मैंने विचार किया इसका सबसे बड़ा कारण जल प्रदूषण है। मैंने साठ सोरठे बाल सुलभ दृष्टि से लिख दिए। मैं भाग्यशाली हूं कि मेरी पहली रचना ही पुरस्कृत हो गई। सरस्वती वंदना बाल कवि मोनू ने की धन्यवाद काव्य मंच के संयोजक ने दिया।

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