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संग्रहालय में जिला कलेक्टर ने किया चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन

कोटा। कला संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए संग्रहालय में दुर्लभ संग्रह हैं। इनको देख कर कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र की संस्कृति के बारे में समझ सकता है। यह विचार गुरुवार को जिला कलेक्टर ओ.पी.बुनकर ने आज राजस्थान दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा कि संग्रहालय को लोक प्रिय बनाए जाने की आवश्यकता है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग यहां आकर अपनी कला और संस्कृति की देख और समझ सकें।
जिला कलेक्टर ने राजकीय संग्रहालय में आयोजित बूंदी शैली के लघु चित्रों की प्रदर्शनी का विधिवत फीता काट उद्घाटन और अवलोकन करने के बाद यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने चित्रों के साथ-साथ संग्रहालय में प्रदर्शित मूर्तिकला और अन्य प्रदर्शनों का भी अवलोकन किया।
संग्रहालय अधीक्षक उमराव सिंह ने उन्हें बूंदी शैली के चित्रों की विशेषताओं और प्रदर्शित चित्रों की बारीकियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बूंदी शैली के लघुचित्रों का देश में विशिष्ठ स्थान है। यहां नायक, नायिकाओं के रंगचित्र प्रदर्शित किए गए हैं। नायिकाभेद एवं रागमाला के चित्रों के साथ कृष्ण की बाल लीलाएं, गोचारण, असुरवध, नंद-कंस सम्मेलन आदि लघुचित्रों को संयोजित किया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में बूंदी शैली में राजसी जीवन, शिकार, श्रंगार प्रियता, संगीत की विभिन्न रागों और भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं से सम्बन्धित बेमिसाल पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं। लघुचित्रों में प्रेमाशक्त नायक – नायिका, संगीत का आंनद लेते हुए नायक, सोते हुए नायिका को सेविका पंखा करते हुए, प्रेमालाप करते नायक – नायिका, शुक क्रीड़ा करते नायिका और सामने पिंजरा लिए खड़ी नायिका, उपवन में रोमांचक मुद्रा में खड़े नायक – नायिका, भवन के सामने खड़े नायक – नायिका, सेज पर बैठी नायिका से प्रिमालाप करते, सरोवर के किनारे स्नान के बाद केश विन्यास करती नायिका और दूसरी स्त्री ओढ़नी से ओट करते हुए, भवन के समीप मीरा सितार के लिए बालक को बुलाते हुए, विचारों में खोई नायिका, राजा – रानी सेज पर बैठे हैं और नीचे दो स्त्रियां वादन एवं गायन कर रही हैं के चित्र प्रदर्शित किये गये हैं। कृष्ण लीलाओं से संबंधित भी अनेक चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
इस अवसर पर इतिहासविद सुषमा आहूजा, नेचर प्रमोटर ए. एच.जैदी, उपनिदेशक जनसंपर्क हरिओम गुर्जर, पर्यटन लेखक डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, नगर विकास न्यास सचिव राजेश जोशी, नगर निगम उपयुक्त गजेंद्र सिंह, वी.पी.आहूजा, आर्टिस्ट अंकित बनवाडिया, दिलदार कुरेशी, सिक्कों के विशेषज्ञ शैलेंद्र कुमार जैन, इतिहास एवम कला मर्मज्ञ मुक्ति पराशर और संग्रहालय के अधिकारी आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

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