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नोएडा सिटी सेन्टर – नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी मेट्रो कॉरिडोर परिचालन के लिए तैयार

नई दिल्ली । 6.675 किलोमीटर लंबा नोएडा सिटी सेंटर – नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी मेट्रो कॉरिडोर, जो नोएडा के कई नए क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बाकी हिस्सों से जोड़ेगा, अब परिचालन के लिए तैयार है। वर्तमान में चल रही द्वारका सेक्टर 21- नोएडा सिटी सेंटर ब्लू लाइन का यह विस्तार है, जिसमें छह एलिवेटेड स्टेशन शामिल हैं।

कॉरिडोर विवरण :
दूरी : 6.675 किलोमीटर लंबाई
स्टेशन : 06 (सेक्टर 34, सेक्टर 52, सेक्टर 61, सेक्टर 59, सेक्टर 62 और नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी)।
● यह कॉरिडोर पूरी तरह से एलिवेटेड है और ब्रॉड गेज पर होगा।
● स्टेशन सेंट्रल वर्ज पर हैं और संरेखण (अलाइंमेंट) एनएच- 24 के साथ-साथ है।
● इस खंड के खुलने के बाद द्वारका सेक्टर 21 – नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी ब्लू लाइन 56.46 किलोमीटर लंबी हो जाएगी।
● गाजियाबाद के दिलशाद गार्डन-शहीद स्थल (न्यू बस अड्डा) कॉरीडोर और नोएडा सिटी सेंटर- नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी कॉरीडोर के खुलने के बाद दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की कुल लंबाई 250 स्टेशनों के साथ 343 किलोमीटर हो जाएगी। (नोएडा – ग्रेटर नोएडा एक्वा लाइन को छोड़कर)।
● संपूर्ण द्वारका सेक्टर 21 – इलेक्ट्रॉनिक सिटी ब्लू लाइन कॉरिडोर, फेज-3 के 59 किलोमीटर लंबे मजलिस पार्क – शिव विहार कॉरिडोर के बाद दिल्ली मेट्रो का दूसरा सबसे लंबा मेट्रो कॉरिडोर होगा।

इस कनेक्टिविटी से होने वाले लाभ :
● यह खंड सेक्टर 34, 52 और 22 के कई आवासीय इलाकों के साथ-साथ सेक्टर 59, 61, 62 और इलेक्ट्रॉनिक सिटी के वाणिज्यिक क्षेत्रों के लिए बहुत ही लाभदायक होगा।
● अंतिम स्टेशन अर्थात् नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी नोएडा-गाजियाबाद बॉर्डर पर है। इसलिए उत्तर प्रदेश के पड़ोसी गाजियाबाद जिले के निवासी भी इस बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से लाभान्वित होंगे।
● नोएडा के सेक्टर 61, 62 इलेक्ट्रॉनिक सिटी में कई कॉर्पोरेट कार्यालय होने के साथ-साथ वाणिज्यिक एन्क्लेव भी हैं। समूचे एनसीआर से रोजाना बहुत से लोग इन स्थानों की यात्रा करते हैं। इससे इन लोगों को भी लाभ होगा।
● आसपास के दो बड़े अस्पताल – फोर्टिस अस्पताल और लाइफ केयर हॉस्पिटल भी सीधे मेट्रो कनेक्टिविटी से जुड़ जाएंगे। दिल्ली में, एम्स, सफदरजंग, गंगाराम और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जैसे कई अस्पतालों के पास मेट्रो उपलब्ध है। अस्पतालों के पास इस तरह की कनेक्टिविटी मरीजों और रिश्तेदारों के लिए एक वरदान है। अब वही लाभ नोएडा के लोगों को भी प्राप्त होगा।
● सेक्टर 52 और नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी स्टेशनों पर पार्किंग की सुविधा दी जाएगी।

इस लाइन के निर्माण के दौरान पेश आई प्रमुख चुनौतियाँ

  • दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने नोएडा सेक्टर – 34 में पहली बार उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीटीसीएल) के लिए छह (06) मोनोपोल टावर लगाए हैं। ये मोनोपोल टावर 61.2 मीटर ऊंचे हैं और भारत के किसी भी मोनोपोल टॉवर में सबसे ऊँचें हैं।
    मोनोपोल टॉवर एक नए प्रकार के विद्युत और वाई-फाई ट्रांसमिशन टॉवर हैं जो पारंपरिक टॉवर (जिसे लैटिस टॉवर भी कहा जाता है) की तुलना में कम जगह घेरते हैं।
    यूपीपीटीसीएल की विद्युत ट्रांसमिशन लाइनें सेक्टर 34 में कॉरिडोर के अलाइनमेंट को पार कर रही थीं, इसलिए डीएमआरसी ने इन ट्रांसमिशन लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला किया। यह क्षेत्र भारी आबादी वाला है और दैनिक आधार पर बड़ी मात्रा में यातायात होता है, इसलिए टावरों की ऊंचाई बढ़ाना एक आसान काम नहीं था।
    भूमि आवश्यकता को कम करने और भूमि की लागत बचाने के लिए पारंपरिक लैटिस टावरों के स्थान पर मोनोपोल टावर संस्थापित करने का निर्णय लिया गया। एक पारंपरिक ट्रांसमिशन टॉवर के लिए प्रति टॉवर 245 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता थी, जबकि एक मोनोपोल टॉवर को केवल 33.26 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता थी। प्रत्येक मोनोपोल टॉवर का वजन लगभग 40 टन है। भूमि की आवश्यकता को और कम करने के लिए, दो ट्रांसमिशन लाइनों को एक मोनोपोल टॉवर से जोड़ दिया गया।
    इन मोनोपोल टावरों को 400 टन क्षमता की हेवी ड्यूटी क्रेन का उपयोग कर उत्थापित किया गया था। इन टावरों के निर्माण में भारी मशीनरी और ट्रेलरों का भी उपयोग किया गया था, जो घनी आबादी वाले क्षेत्र को देखते हुए बेहद मुश्किल था। डीएमआरसी ने इन मोनोपोल टावरों को खड़ा करते समय पर्याप्त सुरक्षा बरती। संपूर्ण संरचना का परीक्षण आईआईटी, मुंबई और आईआईटी, रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा किया गया था।
  • नोएडा सिटी सेंटर- नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी कॉरिडोर का पूरा अलाइनमेंट बहुत अधिक ट्रैफिक वाली बेहद भीड़भाड़ वाली सड़कों से होकर गुजरता है। फिर भी, डीएमआरसी ने बिना किसी बड़े ट्रैफिक डायवर्जन या अवरोधक का निर्माण किए, निर्माण कार्य पूरा किया। कई अंडरपास थे, जो अलाइनमेंट के साथ-साथ संचालित हैं लेकिन डीएमआरसी ने इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक निर्माण की योजना बनाई थी।
  • नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी मेट्रो स्टेशन का निर्माण 21 मीटर की ऊंचाई पर किया गया है, जो दिल्ली मेट्रो की सबसे ऊंचाई वाले स्टेशनों में से एक है। स्टेशन के पास स्थित वायाडक्ट एनएच-24 के ऊपर से गुजरता है, जहां भविष्य में फ्लाईओवर निर्माण का भी प्रावधान रखा गया है। इसी फ्लाईओवर को ध्यान में रखते हुए, जो निर्माण के बाद मेट्रो वायाडक्ट के नीचे से गुजरेगा, स्टेशन की ऊंचाई इतनी बढ़ानी पड़ी। इस स्टेशन पर एक अतिरिक्त ट्रैक भी है, जो दिल्ली मेट्रो के नव निर्माणाधीन नोएडा सेक्टर 63 डिपो से सीधा जुड़ेगा। प्रॉपर्टी डेवलपमेंट और पार्किंग के लिहाज से भी इस स्टेशन पर विशेष प्रबंध किए गए हैं।

परिचालन योजना

  • नोएडा सिटी सेंटर – नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी सेक्शन में पीक ऑवर के दौरान 5 मिनट 26 सेकेंड की फ्रीक्वेंसी पर ट्रेन सेवा उपलब्ध रहेगी। इस सेक्शन पर मेट्रो में कुल 12 मिनट 23 सेकेंड का यात्रा समय लगेगा।

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