असम में व्यापक स्तर पर विश्व कैंसर दिवस मनाया गया
गुवाहाटी। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व कैंसर दिवस 04 फरवरी को विभिन्न स्थानों पर मनाया गया। आज के आयोजन का का मुख्य आकर्षण गुवाहाटी में 10 सार्वजनिक स्थानों पर ‘प्लेज फॉर एक्शन’ अभियान रहा। इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के साथ इंटर कॉलेज पोस्टर प्रतियोगिता, कैंसर से बचे लोगों का साक्षात्कार और बारपेटा, कामरूप (आर) जोरहाट, नागांव और डिब्रूगढ़ में सामान्य कैंसर की स्क्रीनिंग का भी आयोजन किया गया ।
असम में हर साल 32,000 कैंसर के मामले सामने आते हैं। इनमें से 70% मरीजों में कैंसर एडवांड स्टेज पर होता है। इस कारण यहां ऐसे मरीजों की मृत्यु दर 40-50% है। स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा और मुंह गुहा जैसे सामान्य कैंसर का आरंभिक स्तर पर ही पता लगाया जा सकता है और यदि प्रारंभिक अवस्था में इसका इलाज किया जाए तो मरीज स्वस्थ हो सकता है। राज्य में असम सरकार और टाटा ट्रस्ट के बीच असम कैंसर केयर फाउंडेशन (एसीसीएफ), असम के रूप में एक संयुक्त साझेदारी की स्थापना दिसंबर 2017 में की गई थी। एक ऐसी साझेदारी है जिसके तहत राज्य में अपने तरह का तीन स्तरीय कैंसर ग्रिड बनाने के लिए राज्य के कई हिस्सों में इस अवसर पर कई जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया गया।
सभी कैंसर का 50% किसी न किसी रूप में तम्बाकू के सेवन के कारण होता है। इसलिए, एसीसीएफ – तंबाकू नियंत्रण, प्रारंभिक पहचान, उपचार और पीड़ाहारी देखभाल रोकथाम पर काम कर रहा है। एसीसीएफ के चिकित्सा सलाहकार डॉ. निर्मल कुमार हजारिका ने इस अवसर पर कहा, “आज विश्व कैंसर दिवस है, वैश्विक स्वास्थ्य कैलेंडर पर एकमात्र दिन जहां हम सभी सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से’ कैंसर ’के एक बैनर के तहत एकजुट होकर इसके खिलफ और रैली कर सकते हैं। वर्ष 2019 के लिए मैं, आज और भविष्य में हमेशा उनके साथ रहने का वादा करके हम सभी से कैंसर रोगियों को अपना समर्थन देने की अपील करते हूं। उन्हें और उनके परिवारों को कैंसर से जुड़ी समस्याओं से मुक्त करने और उनके जीवन स्तर को सुधारने की जरूरत है।”
आधुनिक चिकित्सा ने एक रोग-उन्मुख दृष्टिकोण विकसित किया है, जिसमें बीमारी पर विजय प्राप्त करने के प्रयास की तुलना में पीड़ितों पर कम ध्यान दिया जाता है। कैंसर के संदर्भ में,पीड़ाहारी चिकित्सा देखभाल का एक मॉडल पेश करती है जो रोग के नियंत्रण और इसके लक्षणों पर आधारित है। यह मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक समर्थन से जुड़ा हुआ है। पीड़ाहारी देखभाल पर संवेदनशीलता के लिए, विशेषज्ञों द्वारा एक पैनल चर्चा आयोजित की गई और गुवाहाटी में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में और एसीसीएफ पैलियेटिव केयर यूनिट-एएमसी, डिब्रूगढ़ में सूचनात्मक पत्रक वितरित किए गए।
डॉ. बी. बरुआ कैंसर इंस्टीट्यूट, गुवाहाटी के कैंसर सर्जन डॉ. अशोक दास ने कहा, “असम में कैंसर के लिए तंबाकू प्रमुख रुप से दोषी है। राज्य में 48.2% लोग तंबाकू के किसी न किसी रूप में सेवन करते हैं। मेरे अस्पताल में कम उम्र के रोगी को इलाज के लिए आते हैं। राज्य में कैंसर की घटनाओं को कम करने के लिए तंबाकू का सेवन पर रोक लगाना सबसे अच्छा तरीका है। ”