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फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से हो सकती है फोन नेक की समस्या

जहां पूरा देश कोरोना की समस्या से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है, ऐसे में समय काटने के लिए लोगो के पास केवल फोन या टीवी का विकल्प ही बचता है। लेकिन उन्हें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि गलत मुद्रा में बैठकर ज्यादा देर तक फोन चलाने से गर्दन और कंधे की समस्याएं बढ़ती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए सावधानी जरूरी है। फोन को चलाने के लिए हमें अपनी गर्दन को 60-70 डिग्री में झुकाना पड़ता है, जिसके कारण गर्दन पर लगभग 25 किलो के वजन का दबाव पड़ता है। ऐसे में गर्दन पर अत्यधिक दबाव पड़ने के कारण रीढ़ का ढ़ांचा समय से पहले बिगड़ने लगता है।
मुंबई स्थित बॉम्बे हॉस्पिटल के मुंबई स्पाइन स्कोलियोसिस एंड डिस्क रिप्लेसमेंट सेंटर के हेड डॉ. अरविंद कुलकर्णी का कहना है कि फोन नेक यानी गर्दन, पीठ और कंधे की मांसपेशियों में अकड़न, दर्द और सुन्नपन एक वैश्विक महामारी बन चुका है। इस बीमारी से आज हर आयु वर्ग, खासकर युवा वर्ग के लाखों लोग प्रभावित हैं। आज जिस तरह से हम दिन-रात मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और टैबलेट, कंप्यूटर जैसे स्मार्ट गैजेट्स का बिना रूके पूरे-पूरे दिन इस्तेमाल कर रहे हैं, उसका विपरित प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ रहा है। इसे फोन नेक की समस्या कहते हैं। फोन नेक गर्दन में होने वाले उस दर्द और समस्या को कहते हैं, जो लगातार और लंबे समय तक सेलफोन या दूसरे तार रहित गैजेट्स के इस्तेमाल के कारण होता है।
लॉकडाउन के दौरान गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। कुल मरीजों में 50 प्रतिशत मरीज युवा हैं, जिनकी उम्र 15-25 के बीच पाई गई है। इस बीमारी को लेकर सबसे बड़ी चिंता युवा और बढ़ते बच्चों की है, क्योंकि अभी उनकी बढ़ती उम्र है और इस उम्र में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से उनकी सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन की हड्डियों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। इस कारण उन्हें अपना पूरा जीवन गर्दन दर्द के साथ बिताना पड़ सकता है।
डॉ. अरविंद कुलकर्णी का कहना है कि लॉकडाउन के अंतराल के अलावा, एक हालिया रिपोर्ट यह बताति है कि 18-59 की उम्र की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या, रोजाना लगभग 12 घंटे फोन चलाने में व्यस्त रहती है। फोन चलाने वाले लोगों के अलावा लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने वाले लोग इस समस्या की लिस्ट में अगले नंबर पर आते हैं। इन तकनीकों के बेतहाशा इस्तेमाल से हमारे शरीर को काफी हानि पहुंच रही है। लेकिन अगर हम इन गैजेट्स के इस्तेमाल को लेकर सर्तकता बरतें तो फोन नेक की परेशानी से बच सकते हैं। जाहिर है लॉकडाउन में इन गैजेट्स का इस्तेमाल बहुत ज्यादा बढ़ गया है, इसलिए ऐसे में गर्दन और कंधे की समस्याएं बढ़नी ही थीं।

">फोन नेक के लक्षण

डॉ. अरविंद कुलकर्णी के अनुसार इस बीमारी के होने पर रोगी सुबह उठते ही पीठ के ऊपरी हिस्से में भयानक दर्द और मांसपेशियों में तनाव की शिकायत करता है। इस बीमारी के होने पर गर्दन का सामान्य झुकाव आगे की तरफ होने की बजाए पीछे की तरफ हो जाता है। इस तरह गर्दन की हड्डियों की प्रकृति में बदलाव आने से सिर, गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द बना रहता है।
फोन चलाते वक्त ठुड्ढ़ी को छाती पर रखने से रीढ़ की हड्डी और ब्रेन स्टेम में खिचाव आता है। इससे सांस लेने में मुश्किल, दिल की धड़कन और रक्तचाप में गड़बड़ी होती है। इस वजह से हमारे अंदर एंडॉर्फिन और सेरोटोनिन जैसे हैपी हार्मोन्स का स्त्राव बंद हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति सोने के बाद भी हमेशा चिंता और तनावग्रस्त महसूस करता है। हालांकि, एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली के साथ इन समस्याओं से बचा जा सकता है। एक स्वस्थ रीढ़ के लिए समय पर निदान, रोज एक्सरसाइज करना, सही तरीके से उठना-बैठना, सही तरीके से झुकना और शरीर को सीधा रखना आदि जरूरी है। अधिकतर बच्चे और युवा ऑनलाइन गेम्स के दीवाने हैं, जिसके कारण वे सारा-सारा दिन फोन पर लगे रहते हैं। इससे उनकी गर्दन, हाथ, जोड़ों और आंखों के साथ पूरा स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

फोन नेक से बचाव के उपाय
  • अपने सेलफोन को जितना हो सके अपनी आंखों के सामने रखने का प्रयास करें। ऐसा ही लैपटॉप और टैबलेट इस्तेमाल करते समय करें। अगर इन गैजेट्स का इस्तेमाल करते हुए आपको अपने जोड़ों और मांसपेशियों में तनाव महसूस हो रहा है, तो अपनी शारीरिक स्थिति में बदलाव करें।
  • सेलफोन का इस्तेमाल करते हुए अपने सिर को नीचे की ओर न झुकाएं। पूरे दिन अपने सिर को झुकाकर नीचे देखने से बचें।
  • फोन पर टेक्सटिंग करने के बचाय कॉल पर बात करने की कोशिश करें। इससे आपकी मुद्रा में झुकाव नहीं आएगा।
  • फोन चलाते वक्त बीच-बीच में ब्रेक लें। इस दौरान गर्दन पर हल्की मसाज करें और रीढ़ को स्ट्रेच करें।
  • आप चाहे घर में हों या ऑफिस में, कंप्यूटर पर काम करते हुए थोड़-थोड़े अंतराल पर 10 से 15 मिनट का ब्रेक अवश्य लें।
  • नियमित टहलें (लॉकडाउन के दौरान घर में ही टहलें) और कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें ताकि आपकी गर्दन और कंधे की मांसपेशियों को आराम मिल सके और उनका तनाव दूर हो।
  • वर्कआउट करते समय अपने अंदरूनी और पीठ की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करें।
  • नियमित पौष्टिक आहार लें और भरपूर पानी पीएं ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो और आपकी मांसपेशियां सुचारु रूप से कार्य करती रहें।

पूरा दिन अपनी शारीरिक मुद्रा का ध्यान रखें। क्या आपका सिर ड्राइविंग करते हुए या लैपटॉप चलाते हुए आगे की तरफ झुका रहता है? इसके साथ उन सभी गतिविधियों पर ध्यान दें जब आप सिर नीचे झुकाकर काम करते हैं। इससे गर्दन में तनाव बढ़ सकता है।

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