किडनी में खराबी की चेतावनी के लक्षण
डाॅ. सुदीप सिंह सचदेव
नेफ्रोलॉजिस्ट (नारायणा सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पीटल, गुरुग्राम)
वैसे तो किडनी सम्बन्धी बीमारियों का पता लगाने के लिए एक मात्र तरीका जांच ही है, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी है जो आपको किडनी सम्बन्धी किसी रोग या संक्रमण के बारे में समय रहते चेता सकते है।
लाखों वयस्क लोग किडनी सम्बन्धी रोगों के शिकार है, लेकिन उनमें से ज्यादातर इनके बारे मे जानते तक नहीं है। ज्यादातर लोग अपने रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल की तो नियमित जांच कराते हैं, लेकिन किडनी सम्बन्धी समस्या की जानकारी देने वाला “क्रेटनिन टेस्ट” नहीं कराते है। ग्लोबल बर्डन डिजीज अध्ययन 2015 के अनुसार किडनी की गम्भीर बीमारियां (सीकेडी) भारत में मौतों का आठवां सबसे बडा कारण है।
किडनी सम्बन्धी रोगों के कई शारीरिक लक्षण सामने आते है लेकिन कई बार लोग उन पर ध्यान नहीं देते या भ्रमित हो जाते है, क्योंकि इसके लक्षण विशिष्ट प्रकृति के नहीं होते। ऐसे में नीचे बताए हुए लक्षणों के बारे में सचेत रहें और बिना देर किए जांचें कराएं ताकि रोग का पता लग सके। इसके अलावा अपने नेफ्रोलाॅजिस्ट को उन लक्षणों के बारे में भी जरूर बताएं जो आप अनुभव कर रहे है। यदि आप हापरटेंशन, मधुमेह, सीएडी के रोगी है, आपके परिवार में यह रोग रहे हैं, किडनी फेल हुई है या आप 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के है तो भी आपको नियमित रूप से किडनी की जांचें करानी चाहिए।
चेतावनी देने वाले लक्षण निम्न हैं –
- पैरों, टखने या टांगों में सूजन- किडनी जब काम करना कम कर देती है तो सोडियम रूकना शुरू हो जाता है। इससे आपके पैरों, चेहरे या टखनों में सूजन बढ सकती है।
- पेरियरबिटल एडमा – इसके तहत आंखों के चारों ओर सूजन या फुलाव आ जाता है, क्योंकि कोशिकाओं या टिश्यूज में फ्लूइड बढ जाता है। अन्य कारणों के अलावा इसे किडनी रोग के एक लक्षण के रूप में भी देखा जा सकता है। आंखों के चारों और फुलाव बढने का मतलब है कि आपकी किडनी से मूत्र में प्रोटीन का रिसाव बहुत ज्यादा हो रहा है, जबकि यह प्रोटीन शरीर में ही रहना चाहिए था।
- कमजोरी, थकान या भूख में कमी – यदि आप सामान्य दिनों के मुकाबले अधिक थकान महसूस कर रहे है तो इसका बडा कारण यह है कि आपकी किडनी सही ढंग से काम नहीं कर रही है और आपके रक्त में टाॅक्सिन और अन्य गंदगी बढ़ रही है।
- हीमोग्लोबीन का स्तर गिर रहा है। पीलापन बढ़ रहा है – किडनी रोग का सबसे सामान्य कारण एनिमिया यानी रक्तअल्पता है। यह थकान और कमजोरी बढ़ा सकती है।
- मूत्र त्याग की आवृत्ति में बदलाव – आपके मूत्र में कमी आ सकती है या आप को बार-बार मूत्र त्याग की इच्छा हो सकती है, विशेषकर रात में यह समस्या ज्यादा हो सकती है। यह चेतावनी वाला लक्षण है जो यह बताता है कि आपकी किडनी के फिल्टर खराब हो गए है। कई बार मूत्र संक्रमण या पुरूषों में प्रोस्टेट बढ़ने के कारण भी ऐसा हो सकता है।
- मूत्र में झाग या रक्त आना – मूत्र यदि बहुत ज्यादा झागदार है तो इसका अर्थ है कि मूत्र में प्रोटीन है। कई बार जब किडनी के फिल्टर खराब हो जाते हैं तो रक्त की कोशिकाओं का मूत्र में रिसाव होने लगता है। मूत्र में रक्त आना न सिर्फ किडनी रोग का लक्षण है, बल्कि यह ट्यूमर, किडनी में पथरी या किसी तरह के संक्रमण का संकेत भी हो सकता है। इसके अलावा मूत्र के साथ पीप आना और साथ में बुखार होना या बहुत ठंडा लगना काफी गम्भीर बात हो सकती है।
- सूखी और खुजली वाली त्वचा – किडनी स्वस्थ है तो यह हमारे शरीर से गंदगी और अतिरिक्त फ्लूइड को बाहर कर देती है और लाल रक्त कणिकाएं बनाने में सहायता करती है। ये न सिर्फ हमारी हड्डियों को मजबूत बनाती है, बल्कि हमारे रक्त में मिनरल्स की सही मात्रा भी बनाए रखती है। सूखी और खुजली वाला त्वचा गम्भीर किडनी रोग का लक्षण है।
- पीठ या पेट के निचले हिस्से में दर्द – पीठ, साइड या पसलियो के नीचे की तरफ तेज दर्द होना किडनी में पथरी का लक्षण हो सकता है। इसी तरह पेट में नीचे की तरफ दर्द है तो यह ब्लेडर में सकं्रमण या किडनी व ब्लेडर को जोडने वाली नलकी यूरेटर में पथरी का लक्षण हो सकता है।
आपकी किडनी को स्वस्थ बनाए रखना
किडनी रोग सामान्यतः चुपचाप वार करते है, क्योंकि शुरूआत में हो सकता है कि इनका कोई बडा लक्षण नजर न आए। हालांकि किडनी रोग की जोखिम कम करने के कई तरीके है। ऐसे में किडनी खराब होने का इंतजार क्यों किया जाए। नीचे बताए हुए कदम उठाइए और अपनी किडनी के स्वास्थ्य का ध्यान रखिए।
- खूब पानी पीजिए – आपकी किडनी को स्वस्थ रखने का यह सबसे सामान्य और सही तरीका है। तरल पदार्थ विशेषकर पानी खूब पीजिए इससे किडनी को सोडियम, यूरिया और अन्य टाॅक्सिन शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है।
- खाने में नमक या सोडियम की मात्रा कम करें- सोडियम या नमक के इस्तेमाल पर नियंत्रण कीजिए। इसका अर्थ है कि आपको पहले से पैक किया हुआ या रेस्टोरेंट का बना भोजन कम लेना होगा। इसके अलावा अपने भोजन में उपर से अतिरिक्त नमक लेना भी बंद कीजिए।
- शरीर का वजन मत बढ़ने दीजिए – पौष्टिक और अच्छा भोजन कीजिए तथा अपने वजन पर नजर रखिए। अपन भोजन से अतिरिक्त वसा को हटाइए और रोजाना खूब फल व सब्जियां खाइए।
- ब्लड शुगर स्तर पर नियंत्रण रखिए – यदि समय पर ध्यान दिया जाए तो मधुमेह के रोगियों में किडनी की खराबी से बचा जा सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अपने ब्लड शुगर स्तर पर लगातार नजर बनाए रखें।
- रक्तचाप का ध्यान रखिए – यदि आप हाइपरटेंशन के शिकार हैं तो स्वस्थ जीवनशैली अपनाइए और जहां तक सम्भव हो सके भोजन की आदतों में बदलाव कीजिए। रक्तचाप का सामान्य स्तर 120/80 है। उच्च रक्तचाप किडनी की समस्या के अलावा स्ट्रोक या हृदयाघात का कारण भी बन सकता है।
- किडनी और मूत्र की जांच नियमित रूप से कराएं – यदि आप हाइपरटेंशन, मधुमेह, मोटापे के शिकार है या फिर आप 60 वर्ष से अधिक आयु के है किडनी और मूत्र की जांच नियमित रूप से कराएं। यदि मूत्र में प्रोटीन की थोडी भी मात्रा है तो तुरंत अपने नेफ्रोलाॅजिस्ट से सम्पर्क करें। मधुमेह के रोगियों को तो इस का विशेष तौर पर ध्यान रखना है।