पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम
-डॉ प्रदीप मुले
(हेड इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुज, दिल्ली)
पेट के निचले भाग में दर्द होने के कईं कारण हो सकते हैं, उसमें से सबसे सामान्य कारणों में से एक है पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (पीसीएस)। यह युवाओं महिलाओं में अधिक सामान्य है। पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम को पेल्विक वेन इनकम्पेटेंस या पेल्विक वेनस इनसफिशिएंशी भी कहते हैं। यह महिलाओं में होने वाली एक चिकित्सीय स्थिति है। इस स्थिति में तेज दर्द होता है, जो खड़े होने पर और बढ़ जाता है, लेटने पर थोड़ा आराम मिलता है।
कितने प्रतिशत महिलाओं में यह बीमारी होने की संभावना होती है?
अधिकतर महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी स्तर पर पेट के निचले हिस्से के दर्द से परेशान रहती हैं। कुछ महिलाओं में पीरियड्स के दौरान या लंबे समय तक बैठे रहने से यह समस्या बढ़ जाती है। अगर पेट दर्द की समस्या छह महीने से अधिक समय तक रहती है तो यह पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (पीसीएस) के कारण हो सकता है। हर तीन में से एक महिला अपने जीवन के किसी स्तर पर पेल्विक पेन से पीडित होती है।
इस बीमारी के रिस्क फैक्टर्स व लक्षण क्या हैं?
जो महिलाएं मां बन चुकी हैं और युवा हैं उनमें यह समस्या अधिक होती है। चूंकि इस आयुवर्ग की महिलाएं अपने लक्षणों को नजरअंदाज करती हैं इसलिए उनमें यह समस्या अधिक बढ़ जाती है। पीसीएस का कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि शरीर रचना या हार्मोन्स के स्तर में किसी प्रकार की गड़बड़ी इसका कारण हो सकती है। इससे प्रभावित होने वाली अधिकतर महिलाएं 20-45 वर्ष आयुवर्ग की होती हैं और जो कईं बार गर्भवती हो चुकी होती हैं। इसका सबसे प्रमुख लक्षण पेट के निचले भाग में दर्द होना है। यह अधिक देर तक बैठने या खड़े रहने के कारण गंभीर हो जाता है, इसके कारण कईं महिलाओं में पैर में भारीपन भी लगता है। इसके अलावा पीसीएस में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
इस बीमारी का निदान कैसे संभव है?
डॉक्टर पहले लक्षणों की जांच करेगा और फिर फिजिकल एक्जामिनेशन करेगा। सीटी स्कैन, एमआरआई, पेल्विक एक्जाम, अल्ट्रासाउंड, एक्स रे आदि से उसका आसानी से निदान किया जा सकता है।
इस बीमारी का उपचार क्या है?
ओवेरियन वेन एम्बोलाइजेशन नाॅन-सर्जिकल प्रक्रिया है, जो ओवेरियन वैरिकोस वेन का एक प्रभावी उपचार है। इस प्रक्रिया के बाद थोड़ा दर्द होता है जो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। यह पीसीएस का एक मिनिमली इनवेसिव ट्रीटमेंट है इसमें जिन शिराओं में खराबी आ जाती है उन्हें बंद कर दिया जाता है ताकि उनमें रक्त जमा न हो। एम्बोलाइजेशन ब्लीडिंग को रोकने में बहुत प्रभावी है और ओपन सर्जरी की तुलना में बहुत आसान है, इसमें अस्पताल में रूकने की जरूरत नहीं होती।