लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार शारीरिक निष्क्रियता

-डॉ. विपुल गुप्ता
डायरेक्टर (अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस)
आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

भारत फैलने वाली बीमारियों से लेकर न फैलने वाली बीमारियों से घिरा हुआ है। भारत में होने वाली मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में स्ट्रोक भी शामिल होता है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख लोगों में से 84,000 लोग और शहरों में एक लाख में से 35,000 लोग स्ट्रोक का शिकार बनते हैं। स्ट्रोक के कारण गंभीर रूप से बीमार पड़ने के साथ व्यक्ति की जान तक जा सकती है। स्ट्रोक एक गंभीर समस्या है, जिसका तत्काल इलाज करना आवश्यक होता है। यह मस्तिष्क से संबंधित समस्या है, जो खून के प्रवाह के रुकने से होती है। यह समस्या मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देती है और कई मामलों में इससे ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्ट्रोक का खतरा 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होता है। लेकिन आज, लाइफस्टाइल में बदलाव और एक्सरसाइज में कमी, धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन आदि जैसी खराब आदतों के साथ स्ट्रोक देश के युवाओं को भी अपना शिकार बना रहा है। आज के शहरीकरण और एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ हर काम आसानी से पूरा किया जा सकता है, लेकिन इसी के साथ शारीरिक गतिविधि में कमी आई है। आज के युवा अधिक तनाव के चलते भी डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बड़ी उम्र वाली बीमारियों की चपेट में आ गए हैं।

" style="color:#a30067">शारीरिक निष्क्रियता से बढ़ रहे स्ट्रोक के मामले

यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैलिफोर्निया के हालिया अध्यन के अनुसार, अन्य विकसित देशों की तुलना में, स्केमिल स्ट्रोक भारतीयों में बहुत ही कम उम्र में विकसित हो जाता है। खराब डाइट, शराब और धूम्रपान आदि जैसे सामान्य कारणों के अलावा भारतीयों में स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण शारीरिक निष्क्रियता है। इस अध्यन के अनुसार, स्ट्रोक से ग्रस्त होने वाले सबसे कम उम्र के पीड़ितों की उम्र 52 साल थी, जबकी अमेरिका में यह उम्र 71 साल थी। इसका सबसे बड़ा कारण शारीरिक निष्क्रियता थी, जहां मरीजों की 94 प्रतिशत आबादी भारत की थी, जबकि 60 प्रतिशत आबादी अमेरिका की थी।

स्ट्रोक की रोकथाम के लिए जरूरी है एक्सरसाइज

कम उम्र में होने वाले स्ट्रोक के अन्य बड़े कारणों के अलावा शारीरिक निष्क्रियता भी इसका एक मुख्य कारण है। नियमित एक्सरसाइज से न केवल स्वस्थ रहा जा सकता है, बल्कि स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी कई घातक बीमारियों से बचा जा सकता है। उच्च रक्तचाप स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है, जहां स्केमिक स्ट्रोक के 50 प्रतिशत मामलों के लिए उच्च रक्तचाप ही जिम्मेदार होता है। नियमित एक्सरसाइज ब्लड प्रेशर के स्तर को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है, जिससे स्ट्रोक के खतरे को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। डायबिटीज के रोगियों में स्ट्रोक का खतरा दोगुना होता है क्योंकि बढ़ी हुई शुगर मुख्य रक्तवाहिकाओं को डैमेज कर देती है, जिससे स्केमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। नियमित एक्सरसाइज की मदद से न सिर्फ शुगर लेवल कम होता है, बल्कि इससे स्ट्रोक का खतरा भी कम होता है। शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है। शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से धमनियों पर एक परत चढ़ने लगती है, जो एथेरोस्लेरोसिस की समस्या को दिखाता है। इस समस्या के कारण थक्के बनने शुरू हो जाते हैं और खून का प्रवाह रुक जाता है, जो स्ट्रोक का कारण बनता है। शारीरिक गतिविधि में कमी से पूरे शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क भी प्रभावित होता है। नियमित रूप से एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट की मदद से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किया जा सकता है।

एक्सरसाइज की इंटेंसिटी

चूंकि, भारतीय डायबीटीज, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से सबसे ज्यादा ग्रस्त रहते हैं, इसलिए उन्हें पश्चिम आबादी की तुलना में बहुत अधिक एक्सरसाइज करने की आवश्यकता होती है। छोटी शुरुआत के साथ धीरे-धीरे एक्सरसाइज का लेवल बढ़ाते रहें। मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज को वर्कआउट रुटीन में शामिल करें। इसके अलावा ब्रिस्क वॉक, साइकलिंग आदि जैसी एरोबिक एक्सरसाइज भी नियमित रूप से करें। हल्की इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज भी की जा सकती हैं, लेकिन कोई भी एक्सरसाइज प्लान बनाने से पहले अपने फिजीशियन से सलाह अवश्य लें। यदि आप कम इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज रोज करते हैं, तो इसके कई फायदे हैं। इसकी मदद से दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है, जिससे भविष्य में स्ट्रोक का खतरा नहीं होगा। कम इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज में टहलना, स्ट्रेचिंग, योगा और दिनचर्या के काम आदि शामिल हैं।

स्ट्रोक से बचने के लिए ज्यादा एक्सरसाइज करें

सक्रीय रहने के कई तरीके हैं और उसके लिए आपको नई-नई गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता है। यदि आप किसी प्रकार का मेडिकेशन ले रहे हैं तो पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर द्वारा बताई गई एक्सरसाइज और गितिविधियों को अपने रुटीन में शामिल करें। अच्छी सुविधाओं वाला जिम जॉइन करना एक अच्छा विकल्प है। यदि स्ट्रोक के कारण आपको मूवमेंट में समस्या आ रही है, तो आप कुर्सी पर बैठने वाली एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।

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