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कोहरे के दौरान यात्री और माल रेलगाड़ियों के संचालन के लिए उत्तर रेलवे की रेल परिचालन योजना तैयार

दिल्ली। शीतकालीन मौसम के दौरान उत्तर भारत में कोहरे का छाना एक आम बात है। तथापि, हाल ही के वर्षों में, देश के पूर्वी और पश्चिमी भागों में कोहरे की अवधि और स्थितियों में काफी बदलाव देखने में आया है जिसके कारण अनेक तरह की चुनौतीपूर्ण स्थितियां सामने आती हैं।
धुंध के मौसम में सामान्य जन-जीवन भी प्रभावित होता है। इसका रेल परिचालन प्रणाली पर भी गहरा असर पड़ता है। कम दृश्यता के चलते रेलगाड़ियों का परिचालन भी प्रभावित होता है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में रेलगाड़ियों की गति सीमा पर प्रतिबंध लगाने जैसे अनेक उपाय किये जाते हैं। कोहरे के चलते रेलगाडियां अपने गंतव्य पर विलम्ब से पहुँचती हैं और अधिक विलम्ब से चलने वाली रेलगाड़ियों की वापसी यात्रा को प्रायः परिवर्तित समय से चलाया जाता है अथवा निरस्त कर दिया जाता है।

घने कोहरे के कारण रेलवे के समक्ष आने वाली कठिनाईयां –

  • रेलगाडियों के विलम्ब से चलने के कारण रैकों का अनियमित आगमन/प्रस्थान ।
  • मार्ग अवरोधों और रेलगाड़ियों की धीमी गति के कारण कार्य के घंटों में वृद्धि के चलते चालक दल की कमी।
  • रेलगाड़ियों के विलम्ब से चलने के कारण रेलगाड़ियों की समय-सारणी, उनके प्लेटफार्मों पर लगाए जाने की योजना, वाशिंग लाइन परिसरों में उनके रख-रखाव के समय पर प्रभाव।
  • रेलगाड़ियों के विलम्ब से चलने के कारण खान-पान सुविधाओं पर असर।
  • प्रमुख रेल टर्मिनलों के प्लेटफार्मों पर प्रतीक्षारत यात्रियों की भीड़ बढ़ना।
  • कम क्षमता के कारण अनुरक्षण ब्लॉकों की अनुपलब्धता।
  • गति सीमा पर प्रतिबंध और क्षमता बाधित होने के कारण परिसम्पतियों के न्यूनतम उपयोग और चालक दल के ओवर टाइम के कारण परिचालन की लागत में वृद्धि।
  • आगामी सर्दियों में कोहरे के मद्देनजर रेल परिचालन को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की प्रस्तावित योजना।

गत वर्षों के दौरान कोहरे के मौसम में आई कठिनाईयों को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे द्वारा रेल परिचालन की योजना तैयार की गई है।

यात्री सुविधा-

  • एक घंटे से अधिक विलम्ब से प्रस्थान करने वाली रेलगाड़ियों की सूचना यात्रियों को एसएमएस के माध्यम से उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर दी जायेगी।
  • सामान्य कार्य अवधि के उपरांत भी देर तक प्लेटफार्मों पर खान-पान स्टॉलों को खोलने का प्रावधान किया गया है।
  • भीड़-भाड़ प्रबंधन और सुरक्षा मामलों से निपटने के लिए स्टेशनों पर रेल सुरक्षा बल के अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जायेगी।

सुरक्षा-

  • सर्दियों के मौसम में रेल लाइनों पर गश्त बढ़ाकर सतत् निगरानी।
  • रेल पथ पर गश्त लगाने वाले कर्मचारियों को जीपीएस आधारित हैंड-हैल्ड उपकरण प्रदान किए गए हैं ताकि किसी भी आकस्मिक घटना की सूचना वे दोनों ओर के निकटवर्ती स्टेशनों तक तुरंत पहुँचा सकें।
  • सभी इंजनों में फॉग-सेफ्टी डिवाइस का प्रावधान। दृश्यता कम होने की स्थिति में ड्राइवर आने वाले सिगनल की ऑडियो-विजुअल सूचना प्राप्त कर सकता है।
  • जीपीएस नेटवर्क से जुड़ी सभी मॉडिफाइड स्वचालित सिगनल इकाईयों की सिगनल प्रणाली का अपग्रेडेशन।
  • साइटिंग बोर्डों, लेवल क्रासिंग बोर्डों, फॉग सिगनल चैकियों इत्यादि को चमकदार पेंट से बेहतर बनाना। रेल पटरियों के साथ लाइम मार्किंग की गई है। इससे कोहरे के दौरान दृश्यता कम होने पर आने वाले सिगनलों और बोर्डों की जानकारी मिलती है।
  • कोहरे के अवधि के दौरान इंजनों/ड्राइवरों/लिंक रैकों की योजना बनाना एवं उनकी समीक्षा करना ताकि चालक दल को आराम करने का पर्याप्त समय मिल सके। साथ ही चल स्टॉक की साफ-सफाई और अनुरक्षण ठीक प्रकार से किया जा सके । इससे रेलगाड़ी की अगली सेवा बिना विलम्ब के चलाना सम्भव हो सके।
  • स्टेशन और उसके आसपास के क्षेत्रों में कोहरे की स्थिति को जांचने के लिए स्टेशन मास्टरों द्वारा विजिबिलिटी टैस्ट किए जाते हैं।
  • कम दृश्यता संबंधी मामलों से निपटने के लिए लोको पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। वह रेल पथों पर परिस्थिति के अनुसार रेलगाड़ी की गति सीमा को अपने विवेक और सूझ-बूझ के साथ नियंत्रित करेगा।

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