धर्म

श्री नागचंद्रेश्वर दर्शन, मेले और देवता

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
श्री महाँकाल मंदिर परिसर उज्जैन में प्रथम तल पर स्थित इन के दर्शन वर्ष में एक बार ही नाग पंचमी को होते हैं। यह बहुत ही अद्वितीय मूर्ति हैं।

  • नागों का मेला

बिहार में समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड के सिंघिया घाट में नागपंचमी के अवसर सांपों का प्रसिद्ध अनोखा एवं अद्वभुत मेला लगता है।। एक दिवसीय मेले में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने भाग लिया और नाग देवता का पूजा-अर्चना करते हैं।
’’स्थानीय लोगों का कहना है कि नागपंचमी के दिन जिले के सिंधिया घाट पर सांपों का यह अनोखा मेला करीब 400 साल से आयोजित हो रहा है, जिसमें भगत सिधिंया नदी घाट पर जुटते हैं। मेले की खासियत है कि नदी से वहां उपस्थित कई भगत मंत्र विद्या से सैकड़ों की संख्या में नाग समेत जहरीली सांपों को निकालते हैं। इसके बाद हाथों और गर्दन में सांपों को लपेट कर भगत प्रदर्शन करते हैं।
’’भगतों द्वारा सांपों का खेल भी दिखाये जाते है मेले मे उपस्थित लोग भी बेखौफ होकर अपने गर्दन में जहरीले सांपों को लपेट कर उसे दूध-लावा देकर पूजा करते है। इस नाग पंचमी मेले में लोग जुलूस निकालकर जिले के सिधिया घाट के पास स्थित मंदिर मे जाकर पूजा भी करते हैं। पूजा के बाद सैकड़ों की संख्या में इन सांपों को नदी एवं आसपास के क्षेत्रों में छोड़ दिया जाता है।

  • नागों के देवता

यूं तो देशभर में नाग देवता के रूप में पूजे जाते हैं पर राजस्थान में तेजाजी, गोगा जी आदि विख्यात लोक देवता हैं जिनके थान और मन्दिर जगह-जगह बने हैं, पूजे जाते हैं। जनमानस में इनके प्रति असीम श्रद्धा और विश्वास है। इनकी जयंती पर हजारों जगह मेले जुटते हैं।

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