सामाजिक

ग्लोबल साहित्यिक समारोह का भव्य समापन

अपने मन के उद्गार को परिभाषित करने के लिए सोशल मीडिया इतना आगे बढ़ गया है की जिस पर अपनी कहानी कविता या कोई भी अच्छे विचार लिख सकते है और तुरंत ही लोगो की प्रतिक्रिया जान सकते है जो एक अच्छी बात है जबकि आज से 20-25 साल पहले किताबो के अपनी ही अलग दुनिया थी जहाँ लेखक लिखता था तब वो छपती थी तब हमारे तक आती थी फिर हम उसपर अपनी विचार प्रकट करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है यह कहना था ग्लोबल साहित्यिक समारोह के समापन समारोह में लेखक प्रयाग शुक्ल का। उन्होंने आगे कहा की आप बहुत अच्छे समय पर पैदा हुए हो जब हर चीज आपको इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से मिल जाती है लेकिन हमे उसकी भाषा को सुधारना चाहिए। इस अवसर पर ट्रेड एंड इकोनॉमिक कॉउन्सिलर डेम्बा कैमाराए साहित्य लेखक लीलाधर मण्डोई और लेखिका देवाश्री बैनर्जी, कवि खालिद अल्वी भी उपस्थित हुए।
इस अवसर पर मारवाह स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह ने कहा कि इन तीन दिनों में हमने बड़े बड़े लेखकों के विचार सुने और समझने की कोशिश की और मुझे लगता है जितनी आधुनिक इनकी विचारधारा है उतनी आधुनिकता हमारे देश में आ जाए तो हम किसी से भी पीछे नहीं है, आज मीडिया ने अपनी जो पहचान बनाई है उसे नकारा नहीं जा सकता और अच्छे लेखक, कवि की हमेशा ही जरुरत इस देश को है और में चाहता हूँ की मेरे छात्रों में से भी कोई इतना बड़ा लेखक बने जिसपर हम नाज कर सके।
डेम्बा कैमारा ने कहा भारत की संस्कृति बहुत विशाल है और आज के लेखकों में जितनी आधुनिकता भारतीय लेखकों में है उतनी कहीं नही मिलती। आज पूरे विश्व को शांति की जरूरत है और शांति तभी आ सकती है जब एक दूसरे देश की संस्कृति व साहित्य के बारे में जाने व उसका सम्मान करे।
लेखिका देवाश्री बैनर्जी ने कहा की मुझे यहाँ आकर अपनी उम्र के छात्रों के सामने अपने विचार रखकर बहुत खुशी हो रही है। मेरे लेख हमेशा आज के ज्वलंत मुद्दों पर होते है जैसे उत्तराखंड की त्रासदी में लोगो ने क्या क्या खोया और किस तरह की जिंदगी वो जी रहे है मैंने अपनी पहली किताब में लिखा जिसे युवाओ ने बहुत सराहा। इस अवसर पर कई सेमीनार, कार्यशाला, नुक्कड़ नाटक, कविताएं, पेटिंग प्रदर्शनी के साथ-साथ छात्रों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

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