सामाजिक

सहपीडिया अब इंडिया हेरिटेज वाॅक फेस्टिवल का दूसरा संस्करण ज्यादा बड़े पैमाने पर शुरू करेगी

नई दिल्ली। कई शहरों में पहली बार महीने भर चलने वाले अपने इंडिया हेरिटेज वाॅक फेस्टिवल (आईएचडब्ल्यूएफ) की सफलता से उत्साहित भारतीय कला एवं संस्कृति की आॅनलाइन विश्वकोष सहपीडिया क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से अगले साल बड़े पैमाने पर इस कार्यक्रम का दूसरा सत्र आयोजित करेगी। इसके तहत नए स्थानों पर यह अपनी उपस्थिति बढ़ाएगी और अपना दायरा बढ़ाते हुए कुछ दिलचस्प कार्यक्रमों को भी इसमें शामिल करेगी।
आईएचडब्ल्यूएफ के फेस्टिवल निदेशक और सहपीडिया के सचिव वैभव चौहान ने कहा, “भारतीय धरोहर को बढ़ावा देने के लिए हर साल इस कार्यक्रम को विस्तार देने तथा आम नागरिकों एवं संस्थाओं का एक मजबूत नेटवर्क बनाना है। इसके जरिये हमारा इरादा विविधता लाने के लिए विभिन्न पृष्ठभूमियों और भौगोलिक क्षेत्रों के ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय भागीदारों, सरकारी संस्थाओं और सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े लोगों के साथ साझेदारी पर केंद्रित रहते हुए लक्ष्य हासिल करने का है।”
सहपीडिया (sahapedia.org) ने फरवरी में यस बैंक के वैचारिक मंच यस ग्लोबल इंस्टीट्यूट की सांस्कृतिक शाखा यस कल्चर के संयुक्त तत्वाधान में आईएचडब्ल्यूएफ 2018 का आयोजन किया था। इसका मकसद नागरिकों को अपने शहरों एवं नगरों की मूर्त एवं अमूर्त विरासत के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करना था।
इस समारोह का एक बड़ा आकर्षण विषय आधारित क्षेत्रों, स्थानों की विविधता और विशिष्टता से रूबरू होने या विशेष लक्षित समूहों के साथ भ्रमण करने के लिए खास पहल करना था।
चैहान ने कहा, “मसलन जयपुर और मुंबई में हमने दिव्यांग जनों के लिए सैर-सपाटे का आयोजन किया। इसी इरादे के साथ हम भविष्य में भी धरोहर स्थलों के आसपास खजाने की खोज, साइकिलिंग या मैराथन का आयोजन कर सकते हैं जिसकी अपार संभावनाएं हैं। हमने पाटन, ईंटानगर, वाराणसी, उदयपुर और जोधपुर जैसे दूसरी और तीसरी श्रेणी के कई शहरों को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया। आने वाले वर्षों में हमने दूसरे शहरों तक इस कार्यक्रम को विस्तार देने की योजना बनाई है।”
आईएचडब्ल्यूएफ 2018 को इनक्रेडिबल इंडिया (अतुल्य भारत) का सहयोग मिला। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सहपीडिया ने सरकारी महकमों के साथ भी साझेदारी शुरू करने की योजना बनाई। कुल मिलाकर इसने अपने पहले सत्र के कार्यक्रम के दौरान देश के लगभग 40 भागीदारों का सहयोग लिया जिससे क्षेत्रीय परिधियों में इसे अधिक से अधिक पड़ताल करने और भ्रमण करने का मौका मिला।
शुरुआती सत्र में सैर-सपाटे के लिए भागीदारों की अधिकतम संख्या 25 रखी गई थी लेकिन इसके प्रति लोगों में जबर्दस्त उत्साह को देखते हुए सहपीडिया इस बार ज्यादा भागीदारों को शामिल करने के लिए पंजीकरण पद्धति का पुनर्मूल्यांकन करेगी। हालांकि गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह भीड़-भाड़ से बचने के लिए उन्हीं जगहों पर फिर से भ्रमण आयोजित कर सकती है।
चैहान ने कहा, “आईएचडब्ल्यूएफ 2018 ने हमें धरोहर स्थलों को अधिक लोकप्रिय तथा अधिक अनुभवजन्य बनाने के लिए समस्त भारत में कार्यक्रम संचालित करने के लिए मदद की है। हम भविष्य के सत्रों में नए भागीदारों और स्थलों की खोज-पड़ताल के लिए इस आंदोलन को जारी रखने का लक्ष्य रखते हैं। इसका उद्देश्य हमारी समृद्ध धरोहर और संस्कृति के बारे में विश्वसनीय, प्रामाणिक और परिपूर्ण विषय-वस्तु तैयार करना है और इसने प्रत्येक सत्र में देशभर में सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े लोगों का एक मजबूत नेटवर्क विकसित करना है।”
सहपीडिया ने बच्चों के लिए कार्यशालाओं और कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए धरोहर संरचनाओं के बारे में पर्यावरणीय जागरूकता फैलाने की भी योजना बनाई है। हैदराबाद तथा बंगलूरू जैसे शहरों में सैर-सपाटे का एक मुख्य विषय जैव विविधता भी है और इसके तहत भविष्य में भी इसी तरह के कुछ और सैर-सपाटे शुरू करने की योजना है।
कुछ स्थानों पर इस कार्यक्रम को राज्य सरकार के अधिकारियों का भी सहयोग मिला। मसलन, कश्मीर पर्यटन के निदेशक महमूद ए शाह और इसके उप निदेशक रियाज बेग ने श्रीनगर में इस भ्रमण कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
यस बैंक के एमडी और सीईओ तथा यस ग्लोबल इंस्टीट्यूट के चेयरमैन राणा कपूर ने कहा, “भारत को समृद्ध धरोहर और सांस्कृतिक इतिहास का वरदान मिला हुआ है जहां हर कोने में स्मारकों और वास्तुकला नमूनों की खान मौजूद हैं। हमारे राष्ट्रीय धरोहर में हेरिटेज वाॅक जैसी गतिविधियों से सिविल सोसायटी की भागीदारी सुदृढ़ होती है और इन स्थलों के संरक्षण और सुरक्षा का यह एक अभिन्न हिस्सा बन गई है। इस तरह की धरोहर पर्यटन मुहिमों में स्थानीय समाज तथा नागरिकों की तहेदिल से भागीदारी और संलग्नता राष्ट्र गौरव की भावना बढ़ाने की क्षमता रखती है और साथ ही धरोहर के विकास का एजेंडा भी पूरा होता है।”
आईएचडब्ल्यूएफ 2018 को सैर-सपाटे का नेतृत्व करने वालों और इसमें शामिल भागीदारों की तरफ से उत्साहवर्धक प्रोत्साहन मिला। ‘एक्सप्लोरिंग स्ट्रीट आर्ट इन दिल्लीज लोधी आर्ट डिस्ट्रिक्ट’ सैर का नेतृत्व करने वाले गौरव रतूड़ी ने कहा कि यह एक अद्भुत अनुभव था। अति उत्सुक लोगों का समूह देखकर मैं दंग रह गया, जिसमें छात्र, कलाप्रेमी और शहरों के कलाकारों के अलावा कुछ विदेशी नागरिक भी थे जो भारत और विश्व की कला विधाओं और कलाकारों की अभिव्यक्ति देखकर अभिभूत हो गए थे। दरअसल, हमारे साथ एक भरा-पूरा परिवार था जो उन दीवारों को देखना चाहते थे जो इन पर अंकित भित्तिचित्र के बारे में कहानियां सुनना और इन पर इस्तेमाल की गई तकनीक को जानना चाहते थे।
मुंबई वाॅक में शामिल एक भागीदार गुंजन माथुर ने कहा, “कहानी की शक्ल में जटिल इतिहास को बयां करने, स्थानीय संस्कृति के साथ ताल्लुक और इसके अनुभव को मैंने इंडिया हेरिटेज वाॅक फेस्टिवल में ही महसूस किया। आज की तारीख में यह देश का एक बेहतरीन समारोह है, इसने ‘हेरिटेज के बारे में सोच’ को लेकर वाकई मेरा दिमाग खोल दिया।”
कोलकाता में ‘डीप डाउन इन चाइना टाउन’ सैर-सपाटे में हिस्सा ले चुके पी. एन. नाथ ने कहा कि लोगों को अपनी जड़ों और अपने आसपास की विविधता के साथ जोड़ने के लिए चलाई गई यह एक अच्छी पहल थी। उन्होंने कहा, “सैर-सपाटे सूचनापरक होते हैं और बड़ी खूबसूरती से अधिक से अधिक लोगों में अपनी धरोहरों के बारे में समझ पैदा करते हैं। इस नेक कार्य को जारी रखें और इसी तरह की कुछ और सफल मुहिमों के साथ वापसी करें।”
द चा प्रोजेक्ट के संस्थापक-निदेशक रिंकू भौमिक ने कहा, “हम सिंगापुर में हैं और सहपीडिया दिल्ली में। साथ मिलकर हमने कोलकाता में एक दिलचस्प सैर-सपाटे की तैयारी की। इस अद्भुत समारोह की योजना बनाने और साकार करने के लिए सहपीडिया ने कितनी मशक्कत की होगी, इसका प्रमाण देने की जरूरत नहीं है।”
आईएचडब्ल्यूएफ 2018 के तहत देशभर के 20 शहरों और नगरों को शामिल किया गया जिसमें ऐतिहासिक स्मारकों, पवित्र स्थलों, जाने-माने स्थलों, कला एवं संस्कृति के लिए मशहूर स्थानों, व्यंजनों और प्रसिद्ध व्यापारिक स्थलों का भ्रमण कराया गया। इसके तहत सांस्कृतिक विषयों और व्याख्यान श्रृंखला पर आधारित एक आॅनलाइन डाक्यूमेंटरी फिल्म समारोह भी आयोजित किया गया जो लगभग 70 कार्यक्रमों के तहत बैठकों और मिलन समारोहों का ही हिस्सा था।

 

 

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