काष्ट चितरे त्रिलोक मांडण ने लकड़ी पर उकेरी जादूगर की स्मृति
-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवम पत्रकार
राजस्थान के काष्ठ शिल्पी त्रिलोक चंद मांडण के लिए 28 दिसंबर 2022 का दिन खुशियां ले कर आया जब रात करीब 10 बजे उन्होंने सागवान की लकड़ी से बनाई स्व.लक्ष्मण सिंह गहलोत की स्मृति छवि की काष्ठ शिल्प कृति उनके सुपुत्र मुख्य मंत्री अशोक गहलोत को उनके निवास पर जयपुर में भेंट की। मुख्यमंत्री शिल्प कार्य से काफी प्रभावित हुए और शिल्पकार की भूरी – भूरी प्रशंसा की। गहलोत आश्चर्य चकित थे की पिता जो फोटो उन्होंने कभी किसी को शेयर नहीं किया उसकी कृति कैसे चितेरे ने बना दी। आज से पहले किसी ने यह काम नहीं किया। मांडण ने मुझे फोन पर बताया कि करीब 40 मिनट चर्चा हुई और बहुत सारी बातें हुई।
मांडण ने बताया कि यह कृति सागवान की लकड़ी से बनाई गई है और यह 24 इंच चौड़ी एवम ढाई फीट ऊंचाई लिए है और मोटाई 2 इंच है। इसमें किसी तरह का फेविकोल व अन्य किसी केमिकल का उपयोग नही किया गया है। इसे बनाने में 40 दिन का समय लगा। विशेषता यह है कि यह एक फोल्डिंग कृति है जिसे खोल कर बैग में रखा जा सकता है।
राजस्थान को हस्तशिल्प का अजायबघर कहा जाता है। यहां की शिल्पकृतियां विदेशों में लोकप्रिय होने से निर्यात की जाती हैं। राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के नोहर कस्बे के ढढेला ग्राम के ये शिल्पी ऐसे हैं जो अपनी शिल्पकृतियों का विक्रय नहीं करते हैं वरन इनका संग्रह करते हैं। अब तक बनाई गई करीब एक हज़ार शिल्पकृतियों का अच्छा खासा संग्रहालय इनके घर पर दर्शनीय है।
पिछले 30 वर्षो से ये काष्ठ पर विभिन्न प्रकार की शिल्पकृतियां बनाते आ रहे हैं। आपने 1986 में पारंपरिक लकड़ी फर्नीचर का काम शुरू किया। काष्ठ कला की कृतियां बनाने लगे। आपने अपनी अंत: प्रेरणा से 1997 में प्रथम कृति भगवान गणेश जी की बनाई और तब से यह सफर निर्बाध जारी है। आपको कलाकार पेंटर एस.कुमार से मार्गदर्शन मिला। आपने करीब 200 मौलिक कृतियों का निर्माण किया। मूर्तियों के साथ – साथ लकड़ी के फ्रेम, चित्रकारी, बर्तन,गहने, वाद्य यंत्र, चारपाई, चौकी और दैनिक जीवन में काम में आने वाली अनेक कलाकृतियों का निर्माण किया। कला कृतियां बिना किसी मशीन के हाथ के औजारों से खुदाई कर बनाई जाती हैं।
यूनिक रिकॉर्ड कृतियां : आपकी तीन यूनिक रिकॉर्ड कृतियां विशेष रूप से अपनी और शिल्पकार की पहचान बनाती हैं। इनमें 6 मिली.की आटा चक्की, 4 मिली.की अंगूठी और 3 मिली.का सूक्ष्म हल कृतियां शामिल हैं। इन कृतियों ने विश्व रिकॉर्ड कायम किए।
अनूठे और अद्भुत शिल्पकार को द आइडियल इंडियन बुक ऑफ रिकार्ड्स द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड -2022″ से सम्मानित किया गया। देश भर की प्रतिष्ठित संस्थाओं से करीब डेढ़ दर्जन और एक सौ से अधिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। आपको सरकार की और से भी राज्य, जिला और तहसील स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
शिल्पकार त्रिलोक मांडण का जन्म 1 जनवरी 1968 को नोहर कस्बे के ढढेला ग्राम में गणपत राम के परिवार में हुआ। आप पूर्वजों के समय से खेती कर्म से जुड़े हैं। आपने मिडिल तक शिक्षा प्राप्त की और खेती कार्य और बाद में काष्ठ शिल्प में लग गए। आप अत्यंत सरल और मृदु व्यवहार के शिल्पी हैं और समय मिलने पर धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं। संस्थागत प्रयासों से अपने कला संसार को प्रचारित करना, शिक्षण और प्रशिक्षण के माध्यम से कला को उन्नत कर शोध करना आपकी अभिरुचि है।