सामाजिक

माँ और बच्चे का बंधन

-नेहा शर्मा
जब हम अपने बच्चों में अपने धैर्य और प्रयासों के परिणाम देखते हैं, तो दुनिया के शीर्ष पर है ऐसा महसूस होता है। उपलब्धि मायने रखती है कि चाहे छोटी हो या बड़ी, लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कोई बाधित नही है। हम अपने बच्चों में कुछ सकारात्मक चमत्कारों व बदलाव को शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। टकटाईल असंतुलन और सैंसरी असंतुलन के के कारण ये बच्चे को अपनी आवश्यकताओं को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रतिबंधित होते हैं। अपने उम्र के ग्रुप में नहीं खेल पाते है।
उनके लिए सहायक बनें। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि समाज में उन्हें खोलने के लिए उनके पास अभी भी कई विकल्प हैं। इसका सिर्फ यह मतलब है कि वे सामान्य दुनिया में फिट होने के लिए एक अलग रास्ता अपना सकते हैं। और समझें कि कौन से विकल्प आपके बच्चे को सही रास्ते पर लाने में मदद कर सकते हैं, इसलिए उसके साथ हर पल बातचीत करे। इससे उसके उच्च आत्मसम्मान और प्रदर्शन मे बेहतरी होती है। माता-पिता के साथ उसके संबंध मे सुधार होता है। विशेष रूप से माँ और बच्चे के बीच विशेष बातचीत, उसे शांत करने में मदद करती है। इसने मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देने के लिए भी कारगर होता है।
जब हम बच्चे से इस बारे में बात करते हैं कि उन्होंने क्या गलत किया है, तो उनके कंधे पर हाथ रखकर उन्हें बातचीत के अंत में गले लगाकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहें कि, भले ही हम उनके व्यवहार से प्रसन्न न हों, फिर भी हम उनसे प्यार करते हैं। दिव्यांग बच्चों की माँ को उनके बच्चों के लिए एनिमेटर के रूप में भी जाना जाता है। दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं है।
अंत में, मैं यही कहूंगी कि हमने उसे जन्म दिया है, तो हम ही केवल है जो उसके जीवन को भी बदल सकते है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे एक शानदार जीवन दें, निश्चित रूप से वह हमारे प्रयासों और विश्वासों के माध्यम से सब कुछ हासिल करेगा। एक माँ कुछ भी कर सकती है। उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। मैं स्पेशल माताओं को सलाम करती हूं।

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