सामाजिक

युवाओं को तंबाकू से छुटकारा दिलाएगा एनएसएस

गुवाहाटी। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ने युवाओं को तंबाकू सेवन की महामारी से बचाने की पहल के अंतर्गत ‘प्लेज फॉर लाइफ अभियान पर कार्यक्रम अधिकारियों और विद्यार्थी स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए सेामवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में गौहाटी विश्वविद्यालय, असम में एनएसएस स्वयंसेवकों और अधिकारियों को कैंसर की रोकथाम का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में 70 एनएसएस इकाइयों के 70 कार्यक्रम अधिकारियों और 140 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। अभियान का उद्देश्य युवाओं को तम्बाकू के सेवन की शुरुआत करने से रोकना है। इस कार्यशाला का आयोजन गुहाटी विश्वविद्यालय, संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) द्वारा संयुक्त रूप से डॉ. बी बरूआ कैंसर संस्थान और असम कैंसर केयर फाउंडेशन (एसीसीएफ) के सहयोग से किया गया था। असम में एक करोड़ से अधिक तम्बाकू सेवन करने वाले लोग हैं। यहां तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के कारण हर साल 34000 लोगों की मौत हो जाती है।
इस अवसर पर गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मृदुल हजारिका ने कहा, “तंबाकू की समस्या राज्य में एक गंभीर मुद्दा है। इस विश्वविद्यालय के युवा भी तंबाकू का उपयोग करते हैं। इस पहल से न केवल एनएसएस स्वयंसेवकों को मदद मिलेगी बल्कि तंबाकू का सेवन करने वाले विभिन्न समुदाय के लोगों को तम्बाकू का सेवन न करने के लिए प्रभावित किया जाएगा।
डॉ. बी बरुआ कैंसर इंस्टीट्यूट के कैंसर सर्जन और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक डॉ. अशोक दास ने कहा, “हम अपने अस्पताल में आने वाले युवाओं को देख रहे हैं और कैंसर का निदान कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि एनएसएस युवाओं को बचाने की पहल और इसका नेतृत्व कर रहा है। यह निश्चित रूप से तंबाकू की खपत और सेवन को कम करने में मदद करेगा। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे(जीएटीएस) 2017 के अनुसार, असम में तम्बाकू सेवन का प्रचलन पिछले छह वर्षों में 39 प्रतिशत से बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई है। ”
इस दौरान असम के एनएसएस परियोजना समन्वयक डॉ.रंजन काकोटी ने कहा, “गौहाटी विश्वविद्यालय ने इस पायलेट परियोजना में भाग लिया और समुदाय को जुटाने में सफल रहा है। अब गौहाटी विश्वविद्यालय की सभी इकाइयां प्लेज फॉर लाइफ अभियान का हिस्सा होंगी। ”एनएसएस (प्लेज फॉर लाइफ’ (पीएफएल) अभियान का समर्थन करके समाज में बदलाव ला रहा रहा है। तीन विश्वविद्यालयों (सिलचर, गौहाटी और डिबू्रगढ़) में 60 एनएसएस इकाइयों के साथ अगस्त 2018 से मार्च 2019 तक एक पायलेट परियोजना का संचालन किया गया था। इस पायलेट परियोजना ने तंबाकू से अपनी रक्षा के लिए समुदाय को सफलतापूर्वक जुटाया है। इसमें 1,200 एनएसएस स्वयंसेवकों ने 260 कार्यक्रम किए। इन कार्यक्रमों में नुक्कड़ नाटक, प्रतिज्ञा लेने की गतिविधियों, दीवार पर लेखन, वाद-विवाद और अन्य के माध्यम से 40,000 से अधिक लोगों को तम्बाकू के नुकसान के प्रति जागरूक किया गया। पीएफएल अभियान असम के सभी एनएसएस इकाइयों में शुरू किया जाएगा।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे(जीएटीएस) 2017 के अनुसार, असम में 48 प्रतिशत लोग (15 आयु वर्ग के) धूम्रपान और चबाने के रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं। असम में धुआं रहित तम्बाकू सेवन का प्रचलन 41.7 प्रतिशत है जबकि धूम्रपान का 13.3 प्रतिशत असम में प्रतिदिन 140 से अधिक बच्चे तम्बाकू सेवन की शुरुआत करते हैं।
असम कैंसर केयर फाउंडेशन (एसीसीएफ) के सीईओ वरा प्रसाद ने कहा, रोकथाम प्रचलन को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। इस दिशा में एनएसस की पहल और नेतृत्व सामाजिक सुधार लाएगा और हमारी भावी पीढ़ी को इन घातक तम्बाकू उत्पादों से बचाएगा।

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