व्यापार

भारत-ताइवान के व्यापारिक रिश्तों की मजबूती के लिए नई दिल्ली में खुला ताइपे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर

नई दिल्ली। भारत और ताइवान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के मकसद से ताइपे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (टीडब्ल्यूटीसी) ने मंगलवार को नई दिल्ली में अपना कार्यालय खोला। यह पहल भारत और ताइवान के व्यापारिक रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू करेगी। व्यापार प्रदर्शनी, इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्ट सिटी तथा पेट्रोकेमिकल आदि के क्षेत्र में दोनों देशों की भागीदारी बढ़ाने के लिए इस मौके पर फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (फिक्की), पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हिकल्स (एसएमईवी) और वल्र्ड ट्रेड सेंटर, मुंबई जैसे प्रमुख भारतीय संगठनों के साथ व्यापार साझेदारी संबंधी कई सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। ताइपे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर यानी ताइवान विदेश व्यापार विकास परिषद (टेट्रा) व्यापारिक मुद्दों, व्यापार भागीदारों, आपूर्तिकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय कारोबारी बाजार से जुड़ीं परामर्श सेवाएं मुहैया कराने वाला एकल और आधुनिक केंद्र होगा।
नई दिल्ली में यह केंद्र खुलने के साथ ही टीडब्ल्यूटीसी का यह चौथा भारतीय कार्यालय होगा। अमेरिका और चीन के बाद भारत ही ऐसा देश होगा जहां इसके 4 या इससे अधिक कार्यालय हैं। ताइवान के लिए भारत एक अहम आर्थिक सहयोगी और मित्र है और नई दिल्ली में कार्यालय खोलना अपने सभी भारतीय सहयोगियों और मित्रों के साथ एक मजबूत और सशक्त आर्थिक भविष्य बनाने की इसकी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
चेयरमैन जेम्स सी. एफ. हुआंग ने कहा, “हमें यह घोषणा करते हुए खुशी है कि टीडब्ल्यूटीसी इस साल एक के बाद एक कई प्रदर्शनियां आयोजित करने जा रही है। अगला कार्यक्रम ‘‘ताइवान एक्सपो इंडिया” 17 से 19 मई को आयोजित होगा जिसमें आईसीटी, ईवी, ऑटो पाट्र्स एवं कंपोनेंट्स, मशीन टूल्स आदि से जुड़ीं तकरीबन 130 ताइवानी कंपनियां शिरकत करेंगी।”
नई दिल्ली में खुले टीडब्ल्यूटीसी कार्यालय की मुख्य योजना में शामिल हैः भारतीय और ताइवानी कंपनियों को व्यापार संबंधी सूचनाएं प्रदान करना, व्यापारध्निवेश के लिए परामर्श सेवा देना, व्यापार प्रोत्साहन कार्यक्रम और ताइवान उद्योग संवर्धन परियोजनाएं आयोजित करना, भारतीय औद्योगिक विकास जरूरतों के लिए ताइवान में भारतीय कारोबारियों को आमंत्रित करना, भारत में निवेश के लिए ताइवानी कारोबारियों को सहयोग करना तथा स्थानीय सरकार और व्यापार प्रोत्साहन संगठन के साथ मिलकर काम करना। इस मौके पर टीडब्ल्यूटीसी के चेयरमैन जेम्स सी. एफ. हुआंग, भारत में ताइपे आर्थिक एवं सांस्कृतिक केंद्र के चुंग-क्वांग तिएन, सांसद हरीश मीणा, आईटीपीओ के कार्यकारी निदेशक दीपक कुमार तथा फिक्की की महानिदेशक श्रीमती अंबिका के अलावा कई कंपनियों की हस्तियां भी मौजूद थी। ये सभी भारत और ताइवान के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हुए एमओयू करार पर अधिसूचना जारी करने की खातिर यहां मौजूद थे।
एमओयू की विशेषताएं
वल्र्ड ट्रेड सेंटर मुंबई और टीडब्ल्यूटीसी ने भारत में मैंडरिन प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई है जिसके तहत ताइवान सरकार विभिन्न देशों में ताइवानी भाषा का विस्तार करना चाहती है। इस परियोजना का मकसद व्यापार बढ़ाने के लिए निरंतर सहयोग और दीर्घकालीन भागीदारी के जरिये भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूती प्रदान करना है।
सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हिकल्स (एसएमईवी) भारतीय ईवी निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करती है। यह संगठन केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करती है तथा उन्हें भारत के ईवी ईकोसिस्टम में सहयोग के लिए नीतियां और प्रक्रियाएं नियमित करने में मदद करती है। एमओयू के तहत टेट्रा ने इस वर्ष होने वाले ताइवान एक्सपो 2018 जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये ताइवान और भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योगों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एसएमईवी के साथ साझेदारी की है।
फिक्की, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और कम्युनिकेशन मल्टीमीडिया एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (सीएमएआई) एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर टेट्रा ने प्रदर्शनियों और भारत-ताइवान के छोटे एवं मझोले उद्योगों के बीच साझेदारी के जरिये कई साझा कार्यक्रम संचालित करते हुए व्यापार बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
अभी भारत और ताइवान के बीच कुल 6.3 अरब डॉलर की वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार है जो पिछले साल के मुकाबले 27 प्रतिशत की वृद्धि है। निर्यात करने के मामले में ताइवान के लिए भारत का 14वां स्थान है। भारतीय बाजार में ताइवान इलेक्ट्रिक वाहनों, पेट्रोकेमिकल, ऑटोमोबाइल पार्ट्स एवं उपकरण, स्क्रू एवं नट, ग्रीन एनर्जी, जलशोधन, टेक्सटाइल आदि जैसे क्षेत्रों में विस्तार करने की योजना रखता है। अभी आईसीटी, शिपिंग, फुटवियर, ऑटो उपकरण एवं निवेश से जुड़ीं 106 ताइवानी कंपनियां भारत में परिचालन कर रही हैं। पिछले 30 वर्षों में ताइवान ने मेनलैंड चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में विश्व के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग केंद्र निर्मित करने में मदद की है।

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