भावुक करती है एक अनोखी प्रेम कहानी – एक लड़की को देखा तो………
फिल्म का नाम : एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
फिल्म के कलाकार : अनिल कपूर, सोनम कपूर, जूही चावला, राजकुमार राव, सीमा पाहवा और बिजेन्द्र काला
फिल्म का निर्देशक : शैली चोपड़ा धर
फिल्म के निर्माता : विदु विनोद चोपड़ा
रेटिंग : 3.5/5
शैली चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ अब रिलीज़ हो चुकी है। फिल्म में पहली बार अनिल कपूर और सोनम कपूर एक फिल्म में एक साथ काम कर रहे हैं और साथ ही साथ जूही चावला भी लम्बे वक्त के बाद किसी फिल्म में नज़र आने वाली हैं। फिल्म की कहानी समलैंगिक के उपर है। समलैंगिक लोगों के रिश्ते को हमेशा हमारे समाज में नकारा गया है। लेकिन जबसे समलैंगिकों के रिश्ते को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मान्यता दे दी गई है तो ऐसे में समलैंगिकों को एक राहत मिली है। आइए जानते हैं फिल्म कैसी है?
फिल्म की कहानी :
फिल्म की कहानी पंजाब में स्थित मोंगा के एक परिवार की है। जिसमंें एक घर का मुखिया बलविंदर सिंह (अनिल कपूर) है, उसका खुद का कपड़े का बिजनेस है। बलविंदर का एक बेटा बबलू (अभिषेक दुहन) है और एक बेटी स्वीटी (सोनम कपूर) है जो कि एक समलैंगिक है। घर में बलविंदर की एक मां है, बलविंदर को खाना बनाने का बहुत शौक है लेकिन उसकी मां नहीं चाहती कि मर्द किचन में आए। स्वीटी के समलैंगिक होने का उसके भाई को पता है लेकिन परिवार और अपने पिता की बदनामी कि वजह से वह इसके बारे में सबसे छुपा कर रखता है। स्वीटी हमेशा अकेलापन महसूस करती है इस वजह से वो अपना पूरा वक्त अपनी डायरी के साथ ही बिताती है। स्वीटी पर घर की ओर से शादी करने का हमेशा दबाव रहता है। स्वीटी लंदन आर्ट्स स्कूल में दाखिला लेना चाहती है। दिल्ली में स्वीटी की मुलाकात साहिल मिर्ज़ा (राजकुमार राव) से होती है जो एक लेखक है और रंगमंच की दुनिया से ताल्लुक रखता है। एक ही मुलाकात के बाद साहिल के दिल में स्वीटी के लिए प्यार होने लगता है और इसी वजह से साहिल अपने थिएटर ग्रुप के साथ मोंगा आ जाता है। अब आगे कहानी में क्या होता है, स्वीटी के ज़िदगी में क्या उतार-चढ़ाव आते हैं यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
बाप-बेटी की भूमिका में सोनम और अनिल की केमेस्ट्री बहुत ही अच्छी है। सीधे-साधे लुक और अपनी चुलबुले किरदार में जूही चावला भी अच्छी लगी हैं। राजकुमार राव ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है, पहले भी राजकुमार राव और अनिल कपूर साथ काम कर चुके हैं इसमें भी वो साथ नज़र आए हैं।
फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा असमंजस में रखता है क्योंकि शुरूआत में समझ नहीं आता कि कहानी में क्या चल रहा है, पहले हिस्से में फिल्म आपको बोर करती है। लेकिन इंटरवल यानि फिल्म का दूसरा हिस्सा अच्छा है जो कुछ हद तक दर्शकों को बांधे रखता। इंटरवल के बाद से आपको लगता है कि अंत तक फिल्म को देखना चाहिए। फिल्म का अंत काफी इमोशनल है जो एक मैसेज के साथ खत्म होता है। फिल्म में हल्की-फुल्की हंसी भी है। स्क्रीनप्ले अच्छा है। कुछ पंजाबी गाने हैं जो आपको पसंद आएंगे।
फिल्म क्यों देखें : समलैंगिकता के मुद्दे पर बनी यह फिल्म मैसेज देने के साथ मनोरंजन भी करती है, एक बार देखने में कोई बुराई नहीं है।