राष्ट्रीय

इरडा की समिति ने बीमा दावों के निपटान को तेज करने के लिये कई सुझाव दिये

नई दिल्ली। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की गठित एक समिति ने दावों के न्यायोचित तरीके से तेजी से निपटान और सर्वेक्षकों और नुकसान आकलनकर्ताओं के पेशे में प्रतिभावन युवकों को आकर्षित करने के लिए मौजूदा प्रावधानों में बदालव की सिफारिशें की है। बीमा क्षेत्र में सर्वेक्षक और नुकसान आकलनकर्ता की विशेष भूमिका होती है तथा उनका काम दावों के न्यायिक निपटान में महत्वपूर्ण होता है। वे नुकसान का सर्वेक्षण और आकलन कर रिपोर्ट सौंपते हैं। बीमा नियामक ने सर्वेक्षकों और नुकसान आकलनकर्ताओं से संबंधित मौजूदा रूपरेखा के परीक्षण के लिये एक कार्य समूह का गठन किया था। समूह को बीमा क्षेत्र में आ रही नई चुनौतियों एवं अवसरों के आलोक में सुझाव देने का काम दिया गया था। समूह ने सर्वेक्षकों और नुकसान आकलनकर्ताओं की नियुक्ति के लिये दो स्तरीय परीक्षा की व्यवस्था का सुझाव दिया। अभी महज प्रायोगिक प्रशिक्षण देकर सर्वेक्षकों और नुकसान आकलनकर्ताओं की नियुक्ति की जाती है। समूह ने कहा कि प्रायोगिक प्रशिक्षण के आधार पर नियुक्ति की मौजूदा व्यवस्था निहित उद्देश्यों को पूरा कर पाने में असफल रही है। उसने कहा कि इसकी जगह ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिये जिसमें संबंधित विषय पर समुचित परीक्षण के बाद सर्वाधिक पात्र लोगों को चुना जा सके। उसने कहा कि सर्वेक्षण एवं नुकसान का आकलन कर पाने की दक्षता सुनिश्चित करने के लिये यह आवश्यक है। समूह ने कृषि बीमा के संबंध में सर्वेक्षकों एवं नुकसान आकलनकर्ताओं की पात्रता के संबंध में कहा कि इसके लिये उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होने चाहिये। उसने कहा कि उम्मीदवारों के स्नातक में कम से कम एक विषय कृषि विज्ञान होना आवश्यक है। हालांकि सरकारी योजनाओं को इससे छूट दी जा सकती है। सर्वेक्षण रिपोर्ट देने की समयसीमा के बारे में समूह ने कहा कि दावा किये जाने के सात कामकाजी दिनों के भीतर बीमाधारक को उन दस्तावेजों के बारे में सूचित करना होगा जो धारक को दावा का समर्थन करने के लिये सौंपना है। यदि दस्तावेज सार्वजनिक मंच या सरकारी प्राधिकरण के अधिकार में हों तो सर्वेक्षक को उसे हासिल करना होगा। समूह ने कहा कि सर्वेक्षण का कार्य तुरंत शुरू हो जाना चाहिये। सर्वेक्षक को पहले दौरा करने के 15 दिन के भीतर नुकसान की अंतरिम रिपोर्ट बीमा कंपनी को सौंपना होगा। अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिये समूह ने 30 दिन की समयसीमा का सुझाव दिया है।

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