संपादकीयसैर सपाटा

चुनौती पूर्ण जीवन परन्तु सैलानियों के रोमांच में कोई कमी नहीं

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवं पत्रकार

अपनी जिंदगी भय और दहशत में जीते हुए भी आने वाले सैलानियों मनोरंजन और रोमांच में यहाँ कोई कमी नहीं आती। जी हां ! मै बात कर रहा हूं राष्ट्रीय सुंदरवन पार्क की। भारत के पश्चिम बंगाल के दक्षिण में गंगा डेल्टा स्थित यह उद्यान जितना बेमिसाल और खूबसूरत है उतना ही यहां के 54 द्वीपों में निवास करने वाली करीब 50 लाख की आबादी के लिये जिंदगी जीने के लिए किसी खौफ से कम नहीं हैं। रॉयल बंगाल टाइगर उनके बच्चों को उठा ले जाते हैं, मछली पकड़ते हुए लोग खारे पानी के मगरमच्छों का निवाला बन जाते हैं। जिनसे बचने के लिये ये बोनबीबी नामक देवी की पूजा कर जानवरों से अपनी रक्षा की कामना करते हैं। जंगल में जगह-जगह इस देवी के स्थल बनाये गए हैं। समय-असमय आने वाले चक्रवात एक नई मुसीबत बनकर आती हैं। जमीन समुद्र के जल से लवणीय हो जाने से खेती योग्य नहीं रहती है। यूँ कहे कि यहाँ के निवासियों के जीवन पर हर समय खतरा मंडराता है। डर और दहशत में गुजरती हैं चुनौतिपूर्ण जिंदगी। इनका जीवन मुख्यतः चावल की खेती, मछली पालन, मछली पकड़ना, पशुपालन और वनों से शहद एवं मोम वनोपज का संग्रह पर आधारित हैं। किसी भी कार्य को करने से पूर्व देवी का पूजन कर रक्षा की मनोती मांगते हैं। अनूठे प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर, वन्यजीवों की विविधता, रॉयल टाइगर का दुनिया का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र, सबसे चैड़ा, गहरा एवं सक्रिय गंगा के डेल्टा क्षेत्र में राष्ट्रीय उद्यान, बाघ संरक्षित क्षेत्र, बायोस्फियर रिजर्व, मैन्ग्रोव के पेड़ों से घिरा जंगल, सदाबहार वनों का सबसे बड़ा भण्डार, विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षी, सरीसर्प एवं अकशेरुकीय प्रजातियों का घर, खारे पानी के मगरमच्छ की विशेषताओं से लगदक सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान विश्व भर के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। दुनिया के सबसे बड़े 10,500 वर्ग किलोमीटर जंगल क्षेत्र को अपने में समाए सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिण भाग में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियों से बने गंगा डेल्टा क्षेत्र में प्रकृति एवं वन्यजीव प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं।
सुंदरवन 4 मई 1984 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इससे पूर्व 1973 में मूल सुंदरवन बाघ रिजर्व का कोर क्षेत्र एवं 1977 में वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया था। इस उद्यान की प्राकृतिक एपर्यवर्णीय एवं पारिस्थितिकीय तंत्र की विशेषताओं को देखते हुए वर्ष 1987 में यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने इसे प्राकृतिक श्रेणी में विश्व धरोहर घोषित कर दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। वर्ष 1987 में सुंदरवन क्षेत्र को बायोस्फियर घोषित किया गया। दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा सुंदरवन भारत और बांग्लादेश के मध्य में फैला है। इसका अधिक भाग बांग्लादेश में पड़ता है। भारत की सीमा में पड़ने वाला वन क्षेत्र सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है। सुंदरवन 38,500 वर्ग किमी इलाके में फैला है जिसका करीब एक तिहाई हिस्सा पानी तथा दलदल से भरा है। वन में सुंदरी नामक पेड़ों की संख्या बहुत अधिक है इसीलिए इस वन का नाम इन्हीं पेड़ों के नाम पर सुंदरवन रखा गया है। यह उद्यान समुद्र तल से औसत 7.5 मीटर ऊँचा है तथा 54 छोटे.छोटे द्वीपों से मिल कर बना है और गंगा नदी से घिरा है। डेल्टा के मुहाने पर 7 नदियाँ एवं अनेक जलकुण्डों का चैनल नेटवर्क जुड़ा हुआ हैं।
जैसा कि बताया गया यह डेल्टा बंगाल टाइगर के लिए सबसे बड़े रिजर्व में से एक है। सुंदरवन 400 से अधिक बाघों का घर है। वर्ष 2015 की गणना में यहाँ 175 रॉयल टाइगर पाये गए थे जिनमें में 100 बंगाल में एवं 75 रॉयल टाइगर थे। यहाँ 15 फुट तक लम्बाई के खारे पानी के मगरमच्छ पाये जाते हैं। मादा भी 12 फुट तक लम्बाई की होती हैं। ये 8 से 12 मील प्रति घंटा की रफ्तार से तैर सकये हैं और अपने इलाके में किसी भी दूसरे जानवर को बर्दाश्त नहीं करते हैं। यदा . कदा बड़े मगरमच्छ के जबड़ों में फंसकर रॉयल बंगाल टाइगर के मारे जाने की खबरें भी आती हैं। बहुतायत में पाए जाने वाले जलीय जंतु, मछलियों की उपलब्धता और हिरण जैसे बड़े जानवरों की मौजूदगी इनकी आहार व्यवस्था सुनिश्चित कर देते हैं। यह उद्यान जंगली मुर्गी, तेंदुए की बिल्लियां, मकाक, भारतीय ग्रे मोनगोज, विशाल छिपकली, चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, उड़ने वाली लोमड़ी, रीसस बंदर, मगरमच्छ आदि जैसे कई अन्य वन्य पशुओं का भी प्राकृतिक निवास स्थान है। उद्यान में पक्षियों में सामान्यतः सारस, शॉर्ट टॉड ईगल, सैंडपाइपर, व्हिम्ब्रेल्स, स्पूनबिल्स, ओरिएंटल हनी बजर्डए हेरोन्स, स्टिल्ट्स, थिक केन, ऑस्प्रे और क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, ग्रीन शैंक्स, करलेव, ऑस्प्रे, शिकारा, ब्राह्मणी पतंग आदि प्रमुख हैं। साइबेरियाई पक्षी मौसम के दौरान यहां आते हैं। सुंदरवन विलुप्तप्राय प्रजातियों जैसे बटागुर बसका, किंग क्रैब और ऑलिव रिडल कछुए का भी निवास स्थान है। उद्यान में करीब 50 किस्म के पशुए 60 किस्म के रेंगने वाले जीव, 300 किस्म के पक्षी एवं करीब 350 किस्म की वनस्पति पाई जाती हैं। यहाँ दुर्लभ समुद्र के एनीमोन, घोड़े की नाल केकड़ा और छोटे ऑक्टोपस भी पाये जाते हैं पर नजर मुश्किल से ही आते हैं। नदी के पानी में कई प्रकार की डॉल्फिन पाई जाती हैं जिनमें गंगेटिक डॉल्फिन और इरावाडी डॉल्फिन प्रमुख हैं। तारा मछली, मक्खन मछली, सिल्वर कॉर्प आदि विभिन्न किस्म के जलीय जीव भी पाए जाते हैं। पर्यटन के लिहाज से सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान में सरकार की ओर से संचालित नाव सफारी का अपना अलग ही आनन्द है। बोट सफारी को एक दिन या इससे भी लम्बी अवधि के लिए बुक किया जा सकता हैं। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली दो रात्रि क्रूज सैलानियों को सजनेखाली वाच टावर, सुधन्याखाली वाच टावर, झिंगाखाली वाच टावर, और डोबंकी प्रहरीदुर्ग तक की यात्रा पर ले जाते हैं। निजी क्रूज भी यहां उपलब्ध हैं। सुंदरवन देखने वालों को अपनी यात्रा को दो हिस्सों में करना उचित रहेगा। एक भाग में सुंदरवन का बायोस्फियर रिजर्व का भगवतपुर लोथियान द्वीपए बोनी कैम्पए कलश कैम्प तथा दूसरे भाग में सुंदरवन टाइगर रिजर्व का सजनेखाली, सुधन्यखाली, दोबांकी से लेकर बुडिरडाबर तक। सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान को देखने का अपना निराला ही अनुभव होता है। यहां घूमने के लिए नवम्बर-दिसम्बर के महीने अच्छे माने जीते हैं। यहां पहुँचने के लिये निकटतम 140 किलोमीटर दूर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है। निकटम रेलवे स्टेशन 29 किमीण्दूर कैनिंग रेलवे स्टेशन है। कोलकाता से राज्य मार्ग – 3 से सड़क मार्ग से यहाँ पहुँचा जा सकता हैं।

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