लोकपाल करेगा क्रिकेट में भ्रष्टाचार को क्लीन बोल्ड
-रमेश ठाकुर
तमाम अड़चनों के बाद आखिरकार क्रिकेट की संस्था बीसीसीआई में लोकपाल का गठन हो ही गया। हिंदुस्तान में क्रिकेट के प्रति जनमानस में जिस कदर जुनून और दीवानगी है, वह भविष्य में भी बरकरार रहे, इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में लोकपाल नियुक्त करने का फरमान जारी कर दिया है। दरअसल सियासत की तरह क्रिकेट भी भ्रष्टाचार की दलदल में समा गया था। कमोबेश उसी दलदल से क्रिकेट को बाहर निकालने के लिए लोकपाल का गठन किया गया है। क्रिकेट में घूसखोरी बंद हो और तुरंत प्रभाव से लोकपाल लागू किया जाए, ऐसी मांगे लंबे समय से बुलंद थी। मांग का सिलसिला 21 फरवरी को खत्म हुआ जब अदालत ने रिटायर्ड जज डीके जैन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई का पहला लोकपाल नियुक्त किया । गौरतलब है कि नए लोकपाल के रूप में आसीन किए गए पूर्व जज डीके जैन के समक्ष चुनौतियों की कमी नहीं होगी। उनके लिए लोकपाल का पद कांटों भरे ताज से कम नहीं होगा। शिकायतों का पिटारा जब खुलेगा, तब उनको एहसास होगा कि संस्था में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। बताने की शायद जरूरत नहीं है कि भारत में क्रिकेट से संबद्व बीसीसीआई एक स्वतंत्र खेल संस्था है। पर, दुनिया के सभी खेल संघ संस्थाओं के मुकाबले धनी है। भारत में दूसरे खेलों के मुकाबले क्रिकेट सबसे ज्यादा प्रचलित है। क्रिकेट के घरेलू टूर्नामेंटों के लिए भी स्पाॅनसरों की लाइन लग जाती है। जबकि अन्य खेल मुंह ताकते रहते हैं। बीसीसीआई के खजाने में बंदरबांट होने की खबरें भी किसी से नही छिपी हैं। माया की लालच के चलते कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी। पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी व पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर उदाहरण हैं। दरअसल, लोकपाल के गठन का मुख्य मकसद बीसीसीआई में फैले भ्रष्टाचार को कम करना होगा। विगत कुछ वर्षों से संस्था में घूसखोरी के चर्चे आम हो गए थे। इससे क्रिकेटप्रमियों में भंयकर नाराजगी थी। क्रिकेट प्रेमी कहते थे कि सियासत में भ्रष्टाचार का होना कोई नहीं बात नहीं, लेकिन मनोरंजन और खेल के क्षेत्रों में भी वही स्थिति है। आईपीएल के दौरान संस्था बेहताशा पैसा कमाती है, तब संस्था से जुड़े लोगों की नजर उन्हीं पैसों पर होती है। इसके अलावा टीम सेलेक्शन के दौरान अपात्र खिलाड़ियों से घूस लेकर टीम में जगह देने की खबरें भी सबसे ज्यादा परेशान करती रही हैं। इस बावत कई खिलाड़ियों ने खुलकर अपनी शिकायतें बीसीसीआई में दर्ज कराईं, लेकिन उनकी सुनवाई की जगह उलटे उन्हें ही प्रताड़ित किया गया। लेकिन लोकपाल के नियुक्त होने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए, ऐसे कृत्यों पर लगाम लग सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज को लोकपाल के रूप में बीसीसीआई में उठ रहे प्रशासनिक मुद्दों व पीड़ित खिलाड़ियों को उचित न्याय दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है। अपने मिशन में लोकपाल कितना सफल और असफल होगा, इसकी तस्वीर भी जल्द देखने को मिल सकती है। देश की सर्वोच्य अदालत के न्यायाधीश एसए बोब्डे और जस्टिस अभय मनोहर सापरे की बेंच ने छह वकीलों के बीच सहमति हो जाने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ईमानदार छवि वाले पूर्व जज जैन को लोकपाल नियुक्त किया है। लोकपाल के रूप में नियुक्त किए पूर्व जज डीके जैन को उदारवादी किस्म का, परन्तु कठोर फैसले लेने के लिए जाना जाता रहा है। उनकी नियुक्ति के बाद बीसीसीआई में खलबली मच गई है। भ्रष्टाचारी अधिकारियों की नींद हराम हो गई है। यह सच है अगर लोकपाल डीके जैन ने पूर्व की कुछ बड़ी फाइलें खोल दीं, तो कई बेपर्दा हो जाएंगे। बीसीसीआई के संविधान के अनुच्छेद-40 के मुताबिक ही पूर्व न्यायाधीश को बीसीसीआई का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया है। यह तय है कि देर-सवेर लोकपाल का चाबुक कइयों पर चलना निश्चित है? बस इंतजार लोकपाल के कार्यभार संभालने का है। संभवताः इसी माह की पच्चीस तारीख को एमिकस क्यूरेई पीएस नरसिम्हा उनकी नियुक्ति की सभी औपचारिकता पूरी करेंगे। लोकपाल के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्टिनेंट जनरल रवि थोडगे को प्रशासकों की समिति (सीओए) के तीसरे सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। इस समिति के अध्यक्ष पूर्व सीएजी विनोद राय हैं। लोकपाल से जुड़ने के बाद बीसीसीआई पर गहन पहरेदारी रहेगी। प्रशासकों की समिति खिलाड़ियों के चुनाव व संस्था में नियुक्तियों पर पैनी नजर रखेगी। साथ ही बीसीसीआई में अब कोई काम पर्दे के पीछे नही, बल्कि सबकुछ पारदर्शी होगा। दरअसल पारदर्शिता को लेकर ही विगत काफी समय से सवाल उठ रहे थे। आराप लगते रहे हैं कि किसी भी टूर्नामेंट के लिए खिलाड़ियों का चयन सिफारिशों के आधार पर किया जाता था, जिसमें पात्र खिलाड़ी मुंह ताकते रह जाते थे। लेकिन अब शायद सभी के साथ न्याय हो सकेगा और सभी को सामान्य आधार पर जुड़ने का मौका मिलेगा। बीसीसीआई में घूसखोरी और बेवजह पदाधिकारियों का दखल नहीं होगा। इनके लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। सभी फैसले सीओए की निगरानी में हुआ करेंगे। कुल मिलाकर क्रिकेट में अब व्याप्त कलंक की सफाई कर नई सुबह का आगाज होने वाला है। भारत में क्रिकेट का बहुत महत्व है। जो क्रिकेट में अपना भविष्य देखते हैं उनको भ्रष्टाचार की खबरें दुख देती हैं। अभी कुछ माह पहले खबरियां चैनलों पर एक स्टिंग दिखाया गया था, जिसमें कुछ दलाल खिलाड़ियों से सलेक्शन के नाम पर पैसे और कुछ आपत्तिजनक चीजों की डिमांड करते दिखाए गए थे। दरअसल इस तरह की तस्वीरें क्रिकेट की लोकप्रियता को कम करने का काम करती हैं। लोकपाल का गठन होने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए, कि इसके बाद क्रिकेट का क्षेत्र पूरी तरफ से पाक-साफ होगा।