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दर्शकों का दिल जीतने में नाकामयाब साबित होती है फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’

फिल्म का नाम : अर्जुन पटियाला
फिल्म के कलाकार : दिलजीत दोसांझ, कृति सैनन, वरुण शर्मा, सीमा पाहवा, मोहम्मद जीशान अयूब और रोनित रॉय आदि।
फिल्म के निर्देशक : रोहित जुगराज
फिल्म के निर्माता : दिनेश विजान और भूषण कुमार
रेटिंग : 2/5

निर्देशक रोहित जुगराज कुछ हिन्दी फिल्मों में निर्देशन दे चुके हैं लेकिन उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई फिर उन्होंने पंजाबी फिल्मों का रूख किया, जहां उन्हें कामयाबी मिली और फिल्में भी चली। अब एक बार फिर से रोहित के हाथ हिन्दी फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’ आई है जिसमें उन्होंने निर्देशन का ज़िम्मा उठाया है। यह एक स्पूफ काॅमेडी फिल्म है। यह फिल्म सिनेमाघरों में लग चुकी है। जानते हैं फिल्म कैसी है…

फिल्म की कहानी :
फिल्म की कहानी पंजाब के काल्पनिक शहर फीरोजपुर की कहानी है इसकी शुरुआत होती है राइटर अभिषेक बनर्जी अपनी फिल्म की कहानी प्रोड्यूसर पंकज त्रिपाठी को सुनाते हैं और फिर फिल्म आगे बढ़ती है। कहानी पंजाब के पुलिसवाले अर्जुन पटियाला (दिलजीत दोसांझ) की है, बड़ी मशक्कत करके स्र्पोट्स कोटे के ज़रिए वो पुलिस आॅफिसर बनता है। उसकी पोस्टिंग फिरोजपुर में होती है। अर्जुन अपने गुरु आईपीएस गिल (रोनित रॉय) के नक्शेकदम पर चल कर इलाके में क्राइम का खात्मा करना चाहता है। अपने इसी मिशन को आगे बढ़ाते हुए वो चैनल रिर्पोटर रितु (कृति) से पहले इलाके के गुंडों की जानकारी लेता है और फिर अपने पुलिस साथी ओनिडा (वरुण शर्मा) के साथ मिलकर अपराधियों को एक-दूसरे से भिडा़ता है ताकि वे एक दूसरे को मार दें ऐसा होने भी लगता है। कहानी आगे बढ़ती रहती है और साथ ही साथ बिंदास रिपोर्टर रितु और अर्जुन की लव स्टोरी भी चलती रहती है। कहानी में अजीबो-गरीब एमएलए प्राप्ति मक्कड़ (सीमा पाहवा) भी है, जो सारे गुंडों का सफाया करके खुद टॉप डॉन बनना चाहती है। उसके रास्ते के सभी कांटों को अर्जुन और ओनिडा हटाते जाते हैं, मगर अपनी गुंडई के दम पर पैसों की उगाही करने वाला गुंडा सकूल (मोहम्मद जीशान अयूब) कुछ ज्यादा चालाक साबित होता है। जब अचानक एक के बाद एक अपराधियों की मौत होने लगती है तो रितु को यह लगने लगता है कि अर्जुन ही इसका ज़िम्मेदार है। दोनों के रिश्ते में दूरियां आ जाती है और आखिर में ट्विस्ट आता है। वो ट्विस्ट क्या है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखना पड़ेगा।

फिल्म की कहानी और क्लाइमेक्स सब अजीबो-गरीब है समझ ही नहीं आता की फिल्म में चल क्या रहा है। फस्र्ट हाफ में कहीं-कहीं छोटे-मोटे हंसी के पल हैं लेकिन इसके डायलाॅग और चुटकुले इतने जबर्दस्त नहीं हैं कि आप हंसते-हंसते लोट-पोट हो जाएं। कहने को यह स्पूफ काॅमेडी फिल्म है लेकिन फिल्म में कहानी बिल्कुल नदारद है और काॅमेडी के नाम पर कुछ चुटकुले हैं, पंचलाइन एक भी असरदार नहीं है। कमज़ोर स्टोरी लाइन की वजह से दर्शक फिल्म से जुड़ नहीं पाता और वो बोर होने लगता है। गाने भी कुछ खास नहीं है और कुछ दृश्य तो ज़बदस्ती ठूंसे गए हैं।

बात करें अभिनय की तो पुलिस के गेटअप में दिलजीत दोसांज अच्छे लगे हैं। कृति सेनन बिंदास चैनल रिपोर्टर के रूप में पसंद आती है। वरुण शर्मा की वजह से फिल्म में कुछ पल आपके चेहरे पर हंसी आ पाती है। रोनित रॉय, सीमा पाहवा, मोहम्मद जीशान जैसे कलाकारों का काम औसत है।

फिल्म क्यों देखें : यदि आप फिल्म देख ही रहें तो अपना दिमाग न लगाएं क्योंकि कुछ समझ ही नहीं आएगा कि क्या चल रहा है।

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