मूवी रिव्यु

अफगानों और मराठाओं के बीच हुए भीषण युद्ध पर आधारित है फिल्म ‘पानीपत’

फिल्म का नाम : पानीपत
फिल्म के कलाकार : अर्जुन कपूर, कृति सैनन, संजय दत्त, मोहनीश बहल, पद्मिनी कोल्हापुरे, नवाब शाह, जीनत अमान, सुहासिनी मुले, अभिषेक निगम
फिल्म के निर्देशक : आशुतोष गोवारिकर
रेटिंग ; 3/5

निर्देशक आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनी पीरियड ड्रामा फिल्म ‘पानीपत’ आज से सिनेमाघरों में लग चुकी है। यह फिल्म 14 जनवरी 1761 में हुए पानीपत के युद्ध पर आधारित है जो कि अफगानों और मराठाओं के बीच हुई थी। इस युद्ध का ज़िक्र इतिहास के पन्नों में दर्ज है जिसे हम बचपन से किताबों में पढ़ते आए हैं। पानीपत की इसी लड़ाई को आधार बनाकर आशुतोष ने फिल्म की कहानी को गढ़ा है।

जहां अर्जुन मराठा योद्धा सदाशिव रॉव की भूमिका में हैं, वहीं कृति उनकी पत्नी का किरदार निभा रही हैं। संजय विदेशी आतातायी अहमद शाह अब्दाली के दमदार किरदार में नजर आ रहे हैं जो कि एक निगेटिव किरदार है। सेलेब्रिटीज की माने तो उन्होंने तीनों के अभिनय और आशुतोष के किरदार को काफी पसंद किया है और फिल्म के हिट होने की पूरी उम्मीद की जा रही है।

फिल्म की कहानी :
चचेरे भाई नाना साहब पेशवा (मोहनीश बहल) की सेना का जांबाज पेशवा है सदाशिव राव भाऊ (अर्जुन कपूर)। फिल्म के शुरूआत में ही वह युद्ध में विजयी होकर लौटता है और नाना साहब पेशवा के दरबार में उसका सम्मान किया जाता है। उदगीर के निजाम को हरा देने के बाद जब सदाशिव राव भाऊ का रसूख और ख्याति दरबार में बढ़ती है, तो पेशवा की पत्नी गोपिका बाई (पद्मिनी कोल्हापुरे) इस बात को लेकर हमेशा ही असुरक्षित महसूस करती है कि कहीं गद्दी का वारिस सदाशिव न बन जाए। वह अपने पुत्र विश्वास राव (अभिषेक निगम) को गद्दी पर बैठा देखना चाहती है। यहां राज वैद्य की बेटी पार्वती बाई (कृति सेनन) सदाशिव से प्रेम करने लगती है और जल्द ही वे विवाह के बंधन में बढ़ जाते हैं। दूसरी तरफ सदाशिव के प्रभाव को कम करने के लिए उसे युद्ध से हटाकर धनमंत्री बना दिया जाता है। तभी दिल्ली की गद्दी को हथियाने के लिए नजीब उद्दौला (मंत्रा) अफगानिस्तान के बादशाह अहमद शाह अब्दाली (संजय दत्त) के साथ हाथ मिलाता है। ऐसे समय में दिल्ली की गद्दी और देश को बचाने के लिए मराठा सेना का नेतृत्व सदाशिव राव भाऊ को सौंपा जाता है। वहां अहमद शाह अब्दाली शुजाउद्दौला (कुनाल कपूर) के साथ मिलकर मराठाओं और भारत के तमाम राजाओं के खिलाफ मोर्चा खोल देता है। पानीपत के मैदान में सदाशिव और अब्दाली की जंग के बीच वीरता और शौर्यता प्रदर्शन खूब होता है। लड़ाई के दौरान ही विश्वास राव को धोखे से मौत के घाट उतार दिया जाता है। आगे क्या होता है जंग में किसकी होती है जीत और किसकी हार यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

इस में कोई शक नहीं कि आशुतोष गोवारिकर एक मंझे हुए निर्देशक हैं और कई बार उन्होंने साबित भी किया है। भारत को आज़ादी मिलने से पहले देश में कई सारे राज्य वहां के राजाओं के अधीन थे, उस समय में जो भी सबसे ताकतवर राजा होता था वो अन्य कमजोर राज्यों को अपने राज्य में मिलाकर अपने राज्य का विस्तार करता था। राज्य एक-दूसरे के खिलाफ गुटबाजी करते थे। इन सभी चीजों को बड़े ही अच्छे ढ़ग से गोवारिकर पर्दे पर दिखाया है। ऐतिहासिक कथा पर आधारित फिल्मों की भव्यता को दिखाने में गोवारिकर मंझे हुए हैं, उन्होंने फिल्म में बड़ी सेना को काबू करने और उसकी हिम्मत बनाए रखने से लेकर कई अलग-अलग पहलू दिखाए गए हैं। फिल्म के पहले भाग में राजाओं के बीच राजनीति, कूटनीति, गुटबाजी और सदाशिव व पार्वती बाई के बीच प्यार के सफर को दिखाया गया है लेकिन दूसरे भाग में पानीपत के युद्ध को दिखाया गया है जो काफी दमदार है। हालांकि फिल्म की लम्बाई काफी लम्बी है। फिल्म क्योंकि मराठा किरदारों को दिखाया गया है इसलिए मराठी भाषा का काफी इस्तेमाल किया गया है जो कि यदि आम भाषी इस फिल्म को देखेगा तो उसके लिए काफी मुश्किल होगी।

बात करें कलाकारों के अभिनय कि अर्जुन कपूर ने सदाशिव राव के किरदार को दमदार बनाने के लिए बहुत ही मेहनत किया है जो कि नज़र भी आता है। लेकिन उनके किरदार को अब्दाली के किरदार में संजय दत्त कड़ी टक्कर देते नज़र आते हैं। पार्वती बाई की भूमिका में कृति खूब जची हैं, अर्जुन और कृति के पे्रम कहानी आपको अच्छी लगेगी। अब्दाली के किरदार में संजय दत्त दर्शकों को खूब भाने वाले हैं, उनकी एक्टिंग काबिले तारीफ है, इस तरह के किरदार उनपर खूब जचते हैं। इन सब के अलावा बाकी स्टाकास्ट में पद्मिनी कोल्हापुरे का रोल अच्छा है। मोहनीश बहल का किरदार भी काफी शानदार है। जीनत अमान, सुहासिनी मुले, नवाब शाह, अभिषेक निगम आदि ने भी अपने किरदारों में अपना बेस्ट दिया है।

फिल्म क्यों देखें? : फिल्म की कहानी को पानीपत की लड़ाई के आधार पर दिखाया गया है, हम सभी ने इस कहानी को अब तक किताबों में ही पढ़ा है लेकिन यदि आप इसे लड़ाई के बारे में पर्दे पर जानना चाहते हैं तो एक बार ज़रूर देखें।

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