मूवी रिव्यु

एक फौजी के ज़ज़्बे और समाज के प्रति सेवाभाव की झलक को पेश करती है फिल्म ‘सेटैलाइट शंकर’

फिल्म का नाम : सेटैलाइट शंकर
फिल्म के कलाकार : सूरज पंचोली, मेघा आकाश, पालोमी घोष
फिल्म के निर्देशक : इरफान कमल
रेटिंग : 2/5

फिल्म ‘सैटेलाइट शंकर’ लेकर आए हैं निर्देशक इरफान कमल जो कि रिलीज़ के करीब है। कहानी एक ऐसे नायक की है जो फौजी एक फौजी है और वो देशभक्ति के कामों में और अच्छे कामों को करने के लिए बगैर हिचकिचाए हमेशा तत्पर रहता है।

फिल्म की कहानी :
फिल्म का नायक आर्मी मैन शंकर (सूरज पंचोली) को उसकी बटैलियन में सभी सैटेलाइट के नाम से बुलाते हैं, वो इसलिए क्योंकि उसके पास बचपन से ही पिता का दिया हुआ एक डिवाइस है, जिसे लेकर वह कई तरह की आवाजें निकालता है यानि मिमिक्री करता है। शंकर को कई भाषाओं का ज्ञान भी है। कई बार वो दूसरों की आवाजें निकालकर विषम परिस्थिति को भी अनुकूल बनाकर लोगों के बीच खुशियों की बहार ले आता है। शंकर अपनी आठ दिन की अस्पताल वाली छुट्टी पर घर जाने के लिए अपने सीनियर्स को मना लेता है, मगर शर्त यह है कि उसे आठवें दिन अपनी बेस पर रिपोर्ट करना है। जब वह अपने घर पोलाची जाने के लिए रवाना होता है, तो उसकी बटालियन के साथी उसे अपने घरों के लिए संदेश और तोहफे भिजवाते हैं। कश्मीर से पोलाची जाते समय उसका मददगार और निस्वार्थ स्वभाव उसके लिए मुसीबतें खड़ी कर देता है। एक बंगाली बुजुर्ग दंपती को सही ट्रेन में बैठाने के चक्कर में उसकी अपनी ट्रेन छूट जाती है। आगे चलकर उसकी मुलाकात एक यूट्यूब ब्लॉगर से होती है, जिसे साथ मिलकर वह टैक्सी माफिया का पर्दाफाश करता है। अपने आगे के सफर में वह दुर्घटनाग्रस्त बस में फंसे लोगों को मौत के मुंह से बचाता है। वह अपने दोस्त की आवाज में बातें करके उसकी कोमा में जा चुकी मां को होश में लाता है, तो टेंपो ड्राइवर को गुंडों से भी बचाता है। अपनी बटालियन के साथी अनवर के घर जाकर उनके आपसी मनमुटाव को दूर करता है। इस समाज सेवा के चक्कर में अब उसके बेस में रिपोर्ट करने के सिर्फ दो दिन बचे हैं और वह अपनी मां को मिलने नहीं जा पाया है। ऐसे में उसकी मुलाकात नर्स प्राॅमिला (मेघा आकाश) से होती है। मेघा को शंकर की मां ने उसके रिश्ते के लिए पसंद किया है। मेघा शंकर को न केवल उसकी मां से मिलने की तरकीब बताती है, बल्कि उसके वापस कश्मीर लौटने का रास्ता भी सुझाती है। आगे क्या होता है, क्या वह समय पर अपने कैंप पहुंच पाता है……..आगे की कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

हालांकि निर्देशक इरफान देश के जवानों पर एक काॅन्सेप्ट लेकर आए हैं लेकिन फिर भी कहीं-कहीं फिल्म कमज़ोर साबित होती है। फिल्म में शंकर के किरदार को कुछ ज़्यादा ही बढ़-चढ़ा कर दिखाया गया है। फिल्म के पहले भाग से ज़्यादा अच्छा दूसरा भाग है। क्योंकि पहले भाग को कुछ ज्यादा ही खींचा गया है। गाने ज़्यादा प्रभाव नहीं छोड़ते। कहानी कहीं से शुरू होकर कहीं और पहुँच जाती है और आखिर में निष्कर्ष कुछ और निकल कर आएगा।

बात करें कलाकारों के अदाकारी कि तो आर्मी मैन के किरदार में सूरज पंचोली काफी अच्छे लगते हैं, उनकी एक्टिंग लोगों पर कुछ तो असर करती ही है। मेघा आकाश की अदाकारी अच्छी लगी है। सूरज और मेघा की जोड़ी परदे खूब जमी है। पलोमी घोष और उपेंद्र का काम भी अच्छा है।

फिल्म क्यों देखें? : फिल्म एक बार देखा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *