हलचल

दोहरे हत्याकांड के 9 आरोपियों को उम्र कैद की सजा

-अख्तर खान एडवोकेट, कोटा
अपर जिला जज क्रम 5 के न्यायधीश दीपक पाराशर ने आज इटावा क्षेत्र में दोहरे हत्याकांड के 9 आरोपियों को अपने 160 पृष्ठ के ऐतिहासिक फैसले में उम्र कैद की सजा से दंडित करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि 2 अभियुक्तों को संदेह का लाभ देकर बरी किया है। एक अभियुक्त प्रभुलाल झालावाड़ जेल में शिफ्ट होने से, वो न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका इसलिए माननीय न्यायालय ने अभियुक्त प्रभुलाल को झालावाड़ जेल से ही विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उसे सजा सुनाई, कोटा के इतिहास में विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग से सजा सुनाने का यह पहला ऐतिहासिक मामला बन गया है। उक्त सभी अभियुक्तों के खिलाफ थाना, इटावा में हरिशंकर उर्फ शंकरलाल, चंद्रप्रकाश की हत्या का मामला दर्ज हुआ था, जबकि फरियादी जोधराज, गवाह जमनाशंकर के भी चोटें आयी थीं। अपर लोक अभियोजक क्रम 5 एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने बताया की घटनाक्रम के अनुसार फरियादी जोधराज मीणा ने इटावा थाने में दिनांक 18 सितम्बर 2010 को एक तहरीरी रिपोर्ट देकर कहा था की फरियादी जोधराज मीणा के भाई चंद्रपकाश, जमनाशंकर, हरिशंकर हमारे खेत में हांकने गए थे, वहाँ से वापसी के वक्त, रामप्रताप के मकान के अंदर, रामप्रताप पुत्र रामचंद्र मीणा, जोधराज पुत्र रामप्रताप मीणा, अमृतलाल पुत्र रामप्रताप मीणा, निवासी रणोदिया, योगेन्द्र पुत्र रामप्रसाद मीणा, रामपुरिया, एक बाल अपचारी, भवानीपुरिया, रामप्रताप का जंवाई प्रभुलाल पीपल्दा बिरम थाना बूढ़ादीत, नंदकिशोर पुत्र बजरंगलाल मीणा, रणोदिया व् अन्य सभी तलवारों, गंडासों, धारिया, से लेस होकर, योजनाबद्ध तरीके से, रामप्रताप के मकान के अंदर छिप कर बैठे हुए थे। जैसे ही मेरा ट्रेक्टर रामप्रताप के मकान के पास से गुजरा, स्पीड ब्रेकर के पास इन लोगों ने अपना ट्रेक्टर मेरे ट्रेक्टर के आड़े लगा दिया, सभी मुल्जिमान ने मेरे ट्रेक्टर पर हमला कर दिया, मेरे भाई हरिशंकर व् चन्द्रप्रकाश को ट्रेक्टर से खींच लिया। एक बाल अपचारी ने मेरे आड़े फिर कर मेरे ऊपर देसी कट्टे से फायर किया, मैं बच गया, इन सभी ने हमे जान से मारने की गरज से, हथियारों से मारना शुरू कर दिया। बाल अपचारी, अशोक कुमार, अमृत लाल, जोधराज, गीताबाई, हेमलता, पुष्पा बाई, निवासी रनोदिया, पपुरुषोत्तम, योगेंद्र मीणा, प्रभु मीणा पीपल्दा, बिरम ने तलवारों, गंडासों से वार कर मेरे भाई हरिशंकर को मौके पर ही मार डाला, चन्द्रप्रकाश को गंभीर घायल कर दिया जिसकी बाद में मोत हो गयी, जमना शंकर के भी जगह जगह गंभीर चोटें आयी है। मैं जोधराज बढ़ी मुश्किलों में जान बचाकर भागा, जगन्नाथ, धरणराज वगेरा ने घटना देखी हैं। इन लोगों ने पुरानी रंजिश के चलते, यह घटना कारित की है, इसके पूर्व भी यह लोग दो तीन बार हमला कर चुके है। इटावा पुलिस ने इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ, एफआईआर नंबर 202/2010 अंतर्गत धारा, 147, 148, 149, 302, 307, आई पी सी में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू की, पुलिस ने अनुसंधान के दौरान, गवाह सौभागमल, हुकमचंद, जोधराज, बृजमोहन, धर्मराज, जमना शंकर, महेंद्र, सत्यनारायण, रामचरण, जयराम, जाबिर सिंह सहित कई गवाहों के बयान लिए प्रकरण में हरिशंकर-उर्फ शंकरलाल पुत्र मांगीलाल, चन्द्रप्रकाश पुत्र मांगीलाल की हत्या हुई, इनकी हत्या में उपयुक्त हथियारों में, गंडासी, कुल्हाड़ी, लठ, वगेरा पुलिस ने अभियक्तों को गिरफ्तार कर बरामद किये। पुलिस अनुसंधान में कुछ अभियुक्तों के नाम निकाल देने के बाद, माननीय न्यायालय ने, 319 सी आर पी सी में प्रसंज्ञान लेकर बकाया अभियुक्तों को तलब किया। पुलिस ने रामप्रताप से कुल्हाड़ी, गीताबाई से दांतली, पुष्पा बाई से कुल्हाड़ी, हेमलता से डंडा बरामद किया जबकि मोटरसाइकल, जीप मार्शल, ट्रेक्टर भी जब्त किये। हत्या मामले में शामिल, ट्रेक्टर, जीप मार्शल, वगेरा वाहन भी पुलिस ने वजह सुबूत जब्त किये। न्यायालय में जोधराज पुत्र रामप्रताप, रामप्रताप पुत्र रामचंद्र, अशोक पुत्र जोधराज, पुरुषोत्तम पुत्र रामप्रताप, पुष्पा बाई पत्नी रामप्रताप, गीताबाई पत्नी जोधराज, हेमलता पत्नी अमृतलाल, अमृतलाल पुत्र रामप्रताप, नंदकिशोर पुत्र बजरंगलाल, प्रभुलाल पुत्र नंदकिशोर, योगेंद्र पुत्र रामप्रसाद के खिलाफ विचारण शुरू किया। अदालत में, अभियुक्त की तरफ से भी सफाई में आधा दर्जन गवाह पेश किये गये।
अपर लोक अभियोजक अख्तर खान अकेला ने इसे दोहरा हत्याकांड होने से गंभीर प्रकरण बताते हुए, कठोर सजा देने की मांग उठाई, अभियोजन पक्ष की तरफ से तीस से भी अधिक गवाह को परीक्षित कराया। जबकि बहस के दौरान हत्या में उपयुक्त जो हथियार न्यायालय में प्रस्तुत नहीं करवाए थे, उन्हें 311 सी आर पी सी की दरख्वास्त लगाकर, दोबारा गवाहान की उपस्थिति में हथियारों को न्यायालय के समक्ष खुलवाकर, परीक्षित करवाए, इस मामले में अस्सी से भी ज्यादा फर्द, दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए। अभियोजन पक्ष ने इसे दोहरा निर्मम हत्याकांड होने से, रेयर टू रेयरेस्ट मामला मानकर भी सजा देने की मांग उठाई।
अपर न्यायधीश क्रम 5 ने आज 160 पेज के अपने निर्णय में, 11 अभियुक्तों में से अमृतलाल, नंदकिशोर को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के आदेश दिए, जबकि अभियुक्त जोधराज, रामप्रताप, अशोक, पुरुषोत्तम, पुष्पाबाई, गीताबाई, हेमलता, प्रभुलाल योगेंद्र को दोष सिद्ध करते हुए, आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। अभियुक्त प्रभुलाल झालावाड़ जेल में होने से माननीय न्यायाधीश महोदय ने विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये झालावाड़ जेल में अभियुक्त को उसकी पहचान की पुष्ठि कर उसे दोष सिद्ध करने और आजीवन कारावास के फैसले की सजा से अवगत कराया। फैसले के बाद न्यायलय परिसर में पुष्पाबाई, गीताबाई, हेमलता, फुट फुट कर रो पढ़ी,, न्यायालय ने दोहरे हत्याकांड को सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद, इस प्रकरण को रेयर टू रेयरेस्ट, मामला नहीं मानते हुए अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। सभी अभियुक्तों को हत्या के अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 में आजीवन कारावास के साथ पांच हजार रूपये प्रत्येक पर अर्थदंड लगाया है। जबकि अर्थदंड अदम अदायगी तीन वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। भारतीय दंड संहिंता की धारा 147 में सभी अभियुक्तों को एक वर्ष का कारावास एक हजार रूपये जुर्माना प्रत्येक, अदम अदायगी तीन माह का कारावास अतिरिक्त भुगतना होगा। सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 148 में दो वर्ष का साधारण कारावास अदम अदायगी तीन माह के जुर्माने की अतिरिक्त सजा भुगतने के आदेश दिए है, जबकि भारतीय दंड संहिता की धारा 323/149 में एक वर्ष का कारावास एक हजार रूपये जुर्माना, अदम अदायगी तीन माह का कारावास भुगतना होगा जबकि जोधराज, रामप्रताप, पुरुषोत्तम, अशोक, गीताबाई, पुष्पाबाई योगेंद्र को एक वर्ष का कारावास, एक हजार रूपये जुर्माना अदम अदायगी तीन माह की सजा से दंडित किया है। अभियुक्तों की भोगी हुई सजा इस में मुजरा किये जाने के आदेश हैं। जबकि सभी सजाये साथ चलेंगी, न्यायालय ने इस मामले में मृतक हरिशंकर, चन्द्रप्रकाश के परिजनों को, पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत, निर्णय की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में भी भिजवाई है।

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