हलचल

अखिल भारतीय अहेरिया समाज कल्याण सेवा संस्थान द्वारा दिल्ली प्रदेश में पहले परिचय सम्मेलन का आयोजन

नई दिल्ली। 72 वर्षों से आज़ाद भारत के मूल निवासी अहेरिया समाज देश के अनेक राज्यों में निवास कर रहा है। अनेक वर्षों से अहेरिया समाज अपने हक के लिए लड़ता आया है, उनका मानना है कि देश पर शासन करने वाली पार्टियों ने अहेरिया समाज को राज्यों और केन्द्र में कभी हिस्सेदारी नहीं दी है जबकि अहेरिया समाज दिल्ली व दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में सभी सीटों पर जिताने और हराने की क्षमता रखता है।
बता दें कि आज दिल्ली के गुर्जर भवन कोटला, पटपड़गंज में अखिल भारतीय अहेरिया समाज कल्याण सेवा संस्थान द्वारा परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अहेरिया समाज के गणमान्य लोगों ने उपस्थित होकर इस समाज के लोगों के लिए सरकारों द्वारा हो रही अनदेखी के विषय में अपना विचार प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में श्री छत्रपाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष), माननीय श्री भीकू राम (अध्यक्ष,) श्री श्यामलाल सहेरिया (राष्ट्रीय अध्यक्ष) – बारां राजस्थान, श्री जयपाल सहेरिया (राष्ट्री अध्यक्ष) – उत्तराखंड आदि लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

अहेरिया समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री छत्रपाल जी का कहना है कि दिनांक 15/4/1950 के गजट में 2 पर अहेरिया जाति को अनुसूचित जाति में रखा गया उसके उपरांत उत्तर प्रदेश सरकार ने दिनांक 27/6/2016 को केंद्र सरकार को अनुसूचित जाति में मानते हुए प्रस्ताव भेजा था, इसके उपरांत प्रस्ताव को दिनांक 28/12/2016 को बिना किसी कारण के निरस्त कर दिया गया। वर्तमान में अहेरिया जाति एस.सी, एस.टी., ओ.बी.सी, समान्य विमुक्त किसी भी सूची में अंकित नहीं है। 8 राज्यों से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ किसी भी सूची में नहीं हैं। संख्या लगभग 16 लाख उत्तर प्रदेश, 2 लाख उत्तराखंड, 1 लाख चंडीगढ़ में लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है। छत्रपाल जी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी जी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि अहेरिया जाति किस सूची में अंकित है तो अहेरिया समाज चुनाव बहिष्कार करने के लिए बाध्य होगा।
श्री भीकू राम जी ने कहा कि समय-समय पर हमने सरकार को अहेरिया समाज की स्थिति के संदर्भ में पत्र भेजकर अहेरिया समाज की समस्याओं से अवगत कराया है लेकिन सरकार की तरफ से हमें निराशा ही हाथ लगी है।

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