हलचल

ईंट-भट्ठा कारोबारियों का रामलीला मैदान में प्रदर्शन

दिल्ली। ऑल इंडिया ब्रिक्स एंड टाइल्स मैन्युफैक्चरर्स फेडरेशन की अपील पर ईंट भट्ठा मालिक ने अपनी मांगों के समर्थन में गुरुवार को संसद का घेराव किया। इससे पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में गुरुवार को हुए धरना-प्रदर्शन में देश भर के सभी राज्यों के ईंट-भट्ठा मालिकों ने हिस्सा लिया। ईंट भट्ठा मालिकों ने रामलीला मैदान में एकत्रित होकर पैदल मार्च किया और संसद का घेराव किया। जीएसटी की दर घटाने और पर्याप्त मात्रा में कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना ईंट भट्ठा मालिकों की मुख्य मांगों में से एक है। प्रदर्शन में ईंट भट्ठा उद्योग के देश भर से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ईंट भट्ठा मालिकों ने कोयला सरकारी रेट पर उपलब्ध कराने और कारोबार के लिए ग्रहण बन चुकी भारी जीएसटी में कटौती करने की मांग की है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि जीएसटी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी और जिग-जैग के अव्यवहारिक नियमों के कारण मौजूद माहौल में ईंट भट्टों का संचालन करना बहुत मुश्किल हो गया है। इसलिए अव्यवहारिक और अनुचित दरों में बढ़ोतरी को सरकार को वापस लेना चाहिए। निर्माण कार्य में फ्लाईऐश से बनी ईंटों की जगह लाल ईंटों का प्रयोग अनिवार्य करना और ईंट भट्ठे में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए श्रम मंत्रालय से कानून बनाने की भी मांग की। कारोबारियों ने यह ऐलान किया कि अगर हमारी वाजिब मांगें पूरी नहीं होती तो ईंट निर्माण का काम बंद कर दिया जाएगा। कारोबारियों ने सरकार से जेसीबी मशीनों से ईंट भट्टों का खनन करने की अनुमति प्रदान करने के लिए कहा है। एनसीआर के ईट भट्ठों में ईंट पकाने के लिए कच्चे माल कोयले पर प्रतिबंध हटाते हुए ईंट भट्ठों को चलने देने की मांग की।
अखिल भारतीय ईंट एवं टाइल निर्माता महासंघ महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री ओमवीर सिंह भाटी ने कहा, “ईंट भट्ठा मालिकों के प्रति सरकार का यही रवैया रहा तो भारत में लगभग 3 करोड़ श्रमिक बेरोजगार होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। सरकार ने 12 फीसदी की जीएसटी ईट भट्ठा मालिकों पर लगा दी है, जिससे उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। ईंटों की बिक्री में जीएसटी कंपोजिशन स्कीम को समाप्त किया जाए। क्लेम का एक प्रतिशत से बढ़ाकर छह प्रतिशत किया जाए। ईंट निर्माताओं पर दो प्रकार के अव्यवहारिक और अनुचित कर दर की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को वापस लिया जाए। पहले की तरह कंपोजीशन स्कीम लागू की जाए। जीएसटी की दरों के बढ़ने और कोयले के महंगा होने से ईंट भट्ठा मालिकों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। ईंट भट्ठा इंडस्ट्री से लोगों को सस्ता आवास मिलता है, लेकिन इस तरह के हालात से इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है। ईंट भट्ठों को नई तकनीक जिगजैग में बदलने के लिए कारोबारियों ने कुछ और समय देने की मांग की है। इसका कारण यह बताया गया कि अभी कुशल श्रमिक उपलब्ध नहीं है।
भाटी ने कहा, “जीएसटी दर कम करने समेत कई मांगों को लेकर ईट- भट्‌टा मालिक पिछले कई महीने से हड़ताल कर रहे है, लेकिन उसके बाद भी मांगों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज देश भर के ईट-भट्ठा मालिकों ने रामलीला मैदान में गुरुवार से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। जीएसटी बढ़ने से नुकसान और लागत बढ़ गई है। जून से अक्टूबर के बीच पहले ही काम बंद रहता है। इस स्थिति में ईंट भट्ठा मालिक अपना कारोबार छोड़कर दूसरा व्यवसाय अपनाने की कवायद में जुटे हैं।“
महासंघ के संरक्षक अनंत नाथ सिंह ने कहा, “जीएसटी और कोयले के दाम बढ़ाने के फैसले का हाउसिंग सेक्टर पर असर पड़ना तय है। आने वाले समय में ईंटों की कीमतें आसमान पर पहुंच जाएंगी, जिससे मकान बनवाना काफी महंगा हो जाएगा। मिट्टी की ईंटों को पकाने के लिए काफी कोयले की जरूरत होती है। बीते कुछ वर्षों में कोयले की कीमतों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी ने कारोबार की लागत को कई गुना बढ़ा दिया है। इसके अलावा सरकारी स्तर पर जीएसटी में हुए बढ़ोतरी ने ईंट-भट्ठा मालिकों के जख्मों पर नमक रगड़ने का काम किया है।“
अखिल भारतीय ईंट और टाइल निर्माता महासंघ के उपाध्यक्ष, अतुल कुमार सिंह ने गुरुवार को कहा, “लगातार बढ़ रही लागत से ईंट भट्ठा कारोबारियों का मुनाफा लगातार कम होता जा रहा है सरकार की ओर से थर्मल प्लांट में फ्लाई ऐश से बनी ईंटों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकारी और अर्धसरकारी निर्माण में फ्लाईऐश से बनी ईंटों का प्रयोग करना जरूरी बना दिया गया है। निर्माण उद्योग में लगने वाली सामग्री में भी काफी बढ़ोतरी हुई है, जबकि उनके अनुपात में ईंटों के दाम नहीं बढ़े। उत्पादन लागत चार गुना बढ़ गई है। ईंट भट्ठा मालिक कर्ज में डूबते जा रहे हैं। मुनाफा कमाना तो दूर, वह अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं।“
अखिल भारतीय ईंट और टाइल निर्माता महासंघ के मंत्री गोपी श्रीवास्तव ने कहा, “ईंट भट्ठा कारोबार के ठप होने से लाखों मजदूर बेरोजगार को जाएंगे। कोयले के व्यापार में माफिया शामिल हैं, जिनको सरकार यदि नियंत्रित करना चाहे तो कर सकती है। लेकिन इन पर कोई लगाम न होने से ईंट की लागत में बेहताशा बृद्धि हुई है। ईंट भट्ठा मालिकों और उनमें काम करने वाले मजदूरों के अस्तित्व और रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। जब तक सरकार हमारी मांगों के संबंध में कोई ठोस फैसला नहीं करती उनकी यह अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी। ईंट भट्ठा इंडस्ट्री को पर्यावरण के अनुकूल उपाय करने के लिए एक की जगह दो साल और दो की जगह चार साल का समय दिया जाए क्योंकि अभी श्रमिकों की काफी कमी है। ईंट पकाने के लिए कच्चे माल के रूप में कोयले का प्रयोग करने पर रोक हटाई जाए। फ्लाई ऐश से बने किसी भी प्रॉडक्ट में रेडियोधर्मी पदार्थ पाए जाते हैं। इससे दमा, कैंसर जैसी घातक बीमारी होती है। ऐसे में फ्लाई ऐश की बनी ईंटों को लगाने की अनिवार्यता की अधिसूचना को रद्द किया जाए।“
प्रदर्शन में उपस्थित ईंट-भट्ठा इंडस्ट्री के पदाधिकारियों में अनंत नाथ सिंह, अशोक तिवारी, अतुल कुमार सिंह, गोपी श्रीवास्तव, रत्नशेखर, एस.पी. जयराज, योगेश अग्रवाल, अजीत सिंह यादव, रजनीश जैन, रमेश मोही, मुकेश नंदा, मुरारी कुमार, प्रभात कुमार, शंभूशरण त्रिपाठी, नरेश भागवानी, जयंती भाई दलवाड़ी, महेंद्र प्रजापति, रमेश प्रजापति, ज्ञान सिंह, विजय गोयल, प्रमोद चौधरी, रतन श्रीवास्तव, लाल सिंह, भूपेंद्र मलिक, केपी सिंह, प्रमोद गुप्ता भी मौजूद थे। इसकते अलावा बीएस यादव (संतजी), चौधरी बख्तावर सिंह, नरेश त्यागी, गोपाल मेहदिया, देवेंद्र भाई प्रजापति, सुरेंद्र सिंह चौहान, रतनगणेश गढ़िया, बृज मोहन गुप्ता, पारितोष शाह, अरविंद सिंह, एम.एल. राजेन्द्र रेड्डी, के.सी. थामस, के.वी. चौधरी, वी.एस. शानुगम, संजय कुमार और भारत के अलग-अलग हिस्सों से आए ईंट-भट्ठा मालिकों ने शिरकत की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *